" चक्रवर्ती सम्राट श्री श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन "
*********हैहयवंश*********
था बिसराया आपने, मगर,
नहीं आसान बिसराना , हमें
हाथ आपका.
साथ आपका.
क्या, जो तोडा आपने, मगर,
आसान नहीं तोडना, हमें
दिल आपका.
जज्बात आपके.
चलो, किया जो अनदेखा आपने, मगर,
आता नहीं करना अनदेखा, हमें
बुलाती बाहें आपकी.
प्यासी आँखें आपकी.
तेरे प्यार ने ज़िन्दगी से पहचान कराइ है ,
मुझे वो तूफानों से फिर लौटा के लायी है ,
बस इतनी ही दुआ करते हैं खुद से हम ,
बुझे न यह शमा कभी जो …
अहिस्ता अहिस्ता आपका यकीन करने लगे हैं ….
अहिस्ता अहिस्ता आपके करीब आने लगे हैं …
दिल तो देने से घबराते हैं …
मगर अहिस्ता अहिस्ता आपके दिल की कदर करने लगे हैं ….
तेरी निगाहों के यूं ही कायल थे हम
क्या जरूरत थी आजमाने की
यूं ही बेहोश पड़े है तेरी राहों मैं
क्या जरूरत थी अलग से मुस्कुराने की …
pradeep singh taamer
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