अनमोल विचार
Priceless views
Self-confidence बढाने के 10 तरीके
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता की जीवन में सफलता पाने के लिए self-confidence एक बेहद important quality है . जीवन में किसी मुकाम पर पहुंच चुके हर एक व्यक्ति में आपको ये quality दिख जाएगी , फिर चाहे वो कोई film-star हो , कोई cricketer, आपके पड़ोस का कोई व्यक्ति , या आपको पढ़ाने वाला शिक्षक . आत्मविश्वास एक ऐसा गुण है जो हर किसी में होता है , किसी में कम तो किसी में ज्यादा . पर ज़रुरत इस बात की है कि अपने present level of confidence को बढ़ा कर एक नए और बेहतर level तक ले जाया जाये . और आज haihayvanshi.blogspot.com at google पर मैं आपके साथ कुछ ऐसी ही बातें share करूँगा जो आपके आत्म-विश्वास को बढाने में मददगार हो सकती हैं :
1) Dressing sense improve कीजिये :
मैंने खुद इस बात को feel किया है , जब मैं अपनी best attire में होता हूँ तो automatically मेरा confidence बढ़ जाता है , इसीलिए जब कभी कोई presentation या interview होता है तो मैं बहुत अच्छे से तैयार होता हूँ . दरअसल अच्छा दिखना आपको लोगों को face करने का confidence देता है और उसके उलट poorly dress up होने पे आप बहुत conscious रहते हैं .
आप किस तरह से dress-up होते हैं इसका असर आपके confidence पर पड़ता है . ये बता दूँ कि यहाँ मैं अपने जैसे आम लोगों की बात कर रहा हूँ , Swami Vivekanand और Mahatma Gandhi जैसे महापुरुषों का इससे कोई लेना देना नहीं है , और यदि आप इस category में आते हैं तो आपका भी .
मैंने कहीं एक line पढ़ी थी ,” आप कपड़ों पे जितना खर्च करते हैं उतना ही करें , लेकिन जितनी कपडे खरीदते हैं उसके आधे ही खरीदें ” . आप भी इसे अपना सकते हैं.
2) वो करिए जो confident लोग करते हैं :
आपके आस -पास ऐसे लोग ज़रूर दिखेंगे जिन्हें देखकर आपको लगता होगा कि ये व्यक्ति बहुत confident है . आप ऐसे लोगों को ध्यान से देखिये और उनकी कुछ activities को अपनी life में include करिए . For example:
• Front seat पर बैठिये .
• Class में , seminars में , और अन्य मौके पर Questions पूछिए / Answers दीजिये
• अपने चलने और बैठने के ढंग पर ध्यान दीजिये
• दबी हुई आवाज़ में मत बोलिए .
• Eye contact कीजिये , नज़रे मत चुराइए .
3) किसी एक चीज में अधिकतर लोगों से बेहतर बनिए :
हर कोई हर field में expert नहीं बन सकता है , लेकिन वो अपने interest के हिसाब से एक -दो areas चुन सकता है जिसमे वो औरों से बेहतर बन सकता है . जब मैं School में था तो बहुत से students मुझसे पढाई और अन्य चीजों में अच्छे थे , पर मैं Geometry में class में सबसे अच्छा था (thanks to Papa ), और इसी वजह से मैं बहुत confident feel करता था . और आज मैं haihayvanshi.blogspot.com at google को world’s most read Hindi/English Blog बना कर confident feel करता हूँ . अगर आप किसी एक चीज में महारथ हांसिल कर लेंगे तो वो आपको in-general confident बना देगा . बस आपको अपने interest के हिसाब से कोई चीज चुननी होगी और उसमे अपने circle में best बनना होगा , आपका circle आप पर depend करता है , वो आपका school, college, आपकी colony या आपका शहर हो सकता है .
आप कोई भी field चुन सकते हैं , वो कोई art हो सकती है , music, dancing, etc कोई खेल हो सकता है , कोई subject हो सकता है या कुछ और जिसमे आपकी expertise आपको भीड़ से अलग कर सके और आपकी एक special जगह बना सके . ये इतना मुश्किल नहीं है , आप already किसी ना किसी चीज में बहुतों से बेहतर होंगे , बस थोडा और मेहनत कर के उसमे expert बन जाइये , इसमें थोडा वक़्त तो लगेगा , लेकिन जब आप ये कर लेंगे तो सभी आपकी respect करेंगे और आप कहीं अधिक confident feel करेंगे .
और जो व्यक्ति किसी क्षेत्र में special बन जाता है उसे और क्षेत्रों में कम knowledge होने की चिंता नहीं होती , आप ही सोचिये क्या कभी सचिन तेंदुलकर इस बात से परेशान होते होंगे कि उन्होंने ज्यादा पढाई नहीं की ….कभी नहीं !
4) अपने achievements को याद करिए :
आपकी past achievements आपको confident feel करने में help करेंगी . ये छोटी -बड़ी कोई भी achievements हो सकती हैं . For example: आप कभी class में first आये हों , किसी subject में school top किया हो , singing completion या sports में कोई जीत हांसिल की हो , कोई बड़ा target achieve किया हो , employee of the month रहे हों . कोई भी ऐसी चीज जो आपको अच्छा feel कराये .
आप इन achievements को dairy में लिख सकते हैं , और इन्हें कभी भी देख सकते हैं , ख़ास तौर पे तब जब आप अपना confidence boost करना चाहते हैं .इससे भी अच्छा तरीका है कि आप इन achievements से related कुछ images अपने दिमाग में बना लें और उन्हें जोड़कर एक छोटी सी movie बना लें और समय समय पर इस अपने दिमाग में play करते रहे . Definitely ये आपके confidence को boost करने में मदद करेगा .
5) Visualize करिए कि आप confident हैं :
आपकी प्रबल सोच आपको ,मजबूत बनने का रास्ता खोज लेती है , इसलिए आप हर रोज़ खुद को एक confident person के रूप में सोचिये . आप कोई भी कल्पना कर सकते हैं , जैसे कि आप किसी stage पर खड़े होकर हजारों लोगों के सामने कोई भाषण दे रहे हैं , या किसी seminar haal में कोई शानदार presentation दे रहे हैं , और सभी लोग आपसे काफी प्रभावित हैं , आपकी हर तरफ तारीफ हो रही है और लोग तालियाँ बजा कर आपका अभिवादन कर रहे हैं . अल्बेर्त्र्ट आइन्स्टीन भी imagination को knowledge से अधिक powerful बताया है ; और आप इस power का use कर के बड़े से बड़ा काम कर सकते हैं .
6) गलतियाँ करने से मत डरिये:
क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हो जिसने कभी गलती ना की हो ? नहीं जानते होंगे , क्योंकि गलतियाँ करना मनुष्य का स्वभाव है , और मैं कहूँगा कि जन्मसिद्ध अधिकार भी . आप अपने इस अधिकार का प्रयोग करिए . गलती करना गलत नहीं है ,उसे दोहराना गलत है . जब तक आप एक ही गलती बार -बार नहीं दोहराते तब तक दरअसल आप गलती करते ही नहीं आप तो एक प्रयास करते हैं और इससे होने वाले experience से कुछ ना कुछ सीखते हैं .
दोस्तों कई बार हमारे अन्दर वो सब कुछ होता है जो हमें किसी काम को करने के लिए होना चाहिए , पर फिर भी failure के डर से हम confidently उस काम को नहीं कर पाते . आप गलतियों के डर से डरिये मत , डरना तो उन्हें चाहिए जिनमे इस भय के कारण प्रयास करने की भी हिम्मत ना हो !! आप जितने भी सफल लोगों का इतिहास उठा कर देख लीजिये उनकी सफलता की चका-चौंध में बहुत सारी असफलताएं भी छुपी होंगी .
Michel Jordan, जो दुनिया के अब तक के सर्वश्रेष्ठ basketball player माने जाते हैं; उनका कहना भी है कि , “मैं अपनी जिंदगी में बार-बार असफल हुआ हूँ और इसीलिए मैं सफल होता हूँ.”
आप कुछ करने से हिचकिचाइए मत चाहे वो खड़े हो कर कोई सवाल करना हो , या फिर कई लोगों के सामने अपनी बात रखनी हो , आपकी जरा सी हिम्मत आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा सकती है . सचमुच डर के आगे जीत है!
7) Low confidence के लिए अंग्रेजी ना जानने का excuse मत दीजिये :
हमारे देश में अंग्रेजी का वर्चस्व है . मैं भी अंग्रेजी का ज्ञान आवश्यक मानता हूँ ,पर सिर्फ इसलिए क्योंकि इसके ज्ञान से आप कई अच्छी पुस्तकें , ब्लॉग , etc पढ़ सकते हैं , आप एक से बढ़कर एक programs, movies, इत्यादि देख सकते हैं . पर क्या इस भाषा का ज्ञान confident होने के लिए आवश्यक है , नहीं . English जानना आपको और भी confident बना सकता है पर ये confident होने के लिए ज़रूरी नहीं है . किसी भी भाषा का मकसद शब्दों में अपने विचारों को व्यक्त करना होता है , और अगर आप यही काम किसी और भाषा में कर सकते हैं तो आपके लिए अंग्रेजी जानने की बाध्यता नहीं है .
मैं गोरखपुर से हूँ , वहां के संसद योगी आदित्य नाथ को मैंने कभी अंग्रेजी में बोलते नहीं सुना है , पर उनके जैसा आत्मविश्वास से लबरेज़ नेता भी कम ही देखा है . इसी तरह मायावती , और मुलायम सिंह जैसे नेताओं में आत्मविश्वास कूट -कूट कर भरा है पर वो हमेशा हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते हैं . दोस्तों, कुछ जगहों पर जैसे कि job-interview में अंग्रेजी का ज्ञान आपके चयन के लिए ज़रूरी हो सकता है , पर confidence के लिए नहीं , आप बिना English जाने भी दुनिया के सबसे confident व्यक्ति बन सकते हैं .
8 ) जो चीज आपका आत्मविश्वास घटाती हो उसे बार-बार कीजिये :
कुछ लोग किसी ख़ास वजह से confident नहीं feel करते हैं . जैसे कि कुछ लोगों में stage-fear होता है तो कोई opposite sex के सामने nervous हो जाता है . यदि आप भी ऐसे किसी challenge को face कर रहे हैं तो इसे beat करिए . और beat करने का सबसे अच्छा तरीका है कि जो activity आपको nervous करती है उसे इतनी बार कीजिये कि वो आप ताकत बन जाये . यकीन जानिए आपके इस प्रयास को भले ही शुरू में कुछ लोग lightly लें और शायद मज़ाक भी उडाएं पर जब आप लगातार अपने efforts में लगे रहेंगे तो वही लोग एक दिन आपके लिए खड़े होकर ताली बजायेंगे .
गाँधी जी की कही एक line मुझे हमेशा से बहुत प्रेरित करती रही है “पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे.” तो आप भी उन्हें ignore करने दीजिये , हंसने दीजिये ,लड़ने दीजिये ,पर अंत में आप जीत जाइये . क्योंकि आप जीतने के लिए ही यहाँ हैं , हारने के लिए नहीं .
9) विशेष मौकों पर विशेष तैयारी कीजिये :
“सफलता के लिए आत्म-विश्वास आवश्यक है, और आत्म-विश्वास लिए तैयारी”-Arthur Ashe
जब कभी आपके सामने खुद को prove करने का मौका हो तो उसका पूरा फायदा उठाइए . For example: आप किसी debate,quiz, dancing या singing competition में हिस्सा ले रहे हों , कोई test या exam दे रहे हो ,या आप कोई presentation दे रहे हों , या कोई program organize कर रहे हों . ऐसे हर एक मौके के लिए जी -जान से जुट जाइये और बस ये ensure करिए कि आपने तैयारी में कोई कमी नहीं रखी , अब result चाहे जो भी हो पर कोई आपकी preparation को लेकर आप पर ऊँगली ना उठा पाए.
Preparation और self-confidence directly proportional हैं . जितनी अच्छी तैयारी होगी उतना अच्छा आत्म -विश्वास होगा .और जब इस तैयारी की वजह से आप सफल होंगे तो ये जीत आपके life की success story में एक और chapter बन जाएगी जिसे आप बार -बार पलट के पढ़ सकते हैं और अपना confidence boost कर सकते हैं .
10)Daily अपना MIT पूरा कीजिये :
कुछ दिन पहले मैंने MIT यानि most important task बारे में लिखा था , यदि आपने इसे नहीं पढ़ा है तो ज़रूर पढ़िए . यदि आप अपना daily का MIT पूरा करते रहेंगे तो निश्चित रूप से आपका आत्म -विश्वास कुछ ही दिनों में बढ़ जायेगा . आप जब भी अपना MIT पूरा करें तो उसे एक छोटे success के रूप में देखें और खुद को इस काम के लिए शाबाशी दें .रोज़ रोज़ लगातार अपने important tasks को successfully पूरा करते रहना शायद अपने confidence को boost करने का सबसे कारगर तरीका है . आप इसे ज़रूर try कीजिये.
Friends, ये याद रखिये कि आपका confidence आपकी education, आपकी financial condition या आपके looks पर नहीं depend करता और आपकी इज़ाज़त के बिना कोई भी आपको inferior नहीं feel करा सकता. आपका आत्म-विश्वास आपकी सफलता के लिए बेहद आवश्यक है,और आजआपका confidence चाहे जिस level हो, अपने efforts से आप उसे नयी ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं.
All the best!
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खुश रहने वाले लोगों की 7 आदतें
The 7 Habits of Happy People
खुश रहने वाले लोगों की 7 आदतें
Friends, खुश रहना मनुष्य का जन्मजात स्वाभाव होता है . आखिर एक छोटा बच्चा अक्सर खुश क्यों रहता है ? क्यों हम कहते हैं कि childhood days life के best days होते हैं ? क्योंकि हम पैदाईशी HAPPY होते हैं ; पर जैसे -जैसे हम बड़े होते हैं हमारा environment, हमरा समाज हमारे अन्दर impurity घोलना शुरू कर देता है ….और धीरे -धीरे impurity का level इतना बढ़ जाता है कि happiness का natural state sadness के natural state में बदलने लगता है .
पर ऐसा सबके साथ नहीं होता है दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी Happy रहने की natural state को बचाए रख पाते हैं और Life-time खुशहाल रहते हैं .
तो क्या ऐसे व्यक्ति हमेशा खुश रहते हैं ? नहीं , औरों की तरह उनके जीवन में भी दुःख-सुख का आना जाना लगा रहता है , पर आम तौर पर ऐसे व्यक्ति व्यर्थ की चिंता में नहीं पड़ते और अक्सर हँसते -मुस्कुराते और खुश रहते हैं .
तो सवाल ये उठता है कि जब ये लोग खुश रह सकते हैं तो बाकी सब क्यों नहीं ?आखिर उनकी ऐसी कौन सी आदतें हैं जो उन्हें दुनिया भर की टेंशन के बीच भी खुशहाल बनाये रखती हैं ? आज इस लेख के जरिये मैं आपके साथ खुशहाल लोगों की 7 आदतें share करने जा रहा हूँ जो शायद आपको भी खुश रहने में मदद करें .तो आइये जानते हैं उन सात आदतों को :
Habit 1: खुश रहने वाले अच्छाई खोजते हैं बुराई नहीं :
Human beings की natural tendency होती है कि वो negativity को जल्दी catch करते हैं . Psychologists इस tendency को “Negativity bias” कहते हैं . अधिकतर लोग दूसरों में जो कमी होती है उसे जल्दी देख लेते हैं और अच्छाई की तरफ उतना ध्यान नहीं देते पर खुश रहने वाले तो हर एक चीज में , हर एक situation में अच्छाई खोजते हैं , वो ये मानते हैं कि जो होता है अच्छा होता है . किसी भी व्यक्ति में अच्छाई देखना बहुत आसान है ,बस आपको खुद से एक प्रश्न करना है , कि , “ आखिर क्यों यह व्यक्ति अच्छा है ?” , और यकीन जानिये आपका मस्तिष्क आपको ऐसी कई अनुभव और बातें गिना देगा की आप उस व्यक्ति में अच्छाई दिखने लगेगी .
एक बात और , आपको अच्छाई सिर्फ लोगों में ही नहीं खोजनी है , बल्कि हर एक situation में आपको positive रहना है और उसमे क्या अच्छा है ये देखना है . For example , अगर आप किसी job interview में select नहीं हुए तो आपको ये सोचना चाहिए कि शायद भागवान ने आपके लिए उससे भी अच्छी job रखी है जो आपको देर-सबेर मिलेगी, और आप किसी अनुभवी व्यक्ति से पूछ भी सकते हैं, वो भी आपको यही बताएगा .
Habit 2: खुश रहने वाले माफ़ करना जानते हैं और माफ़ी माँगना भी :
हर किसी का अपना -अपना ego होता है , जो जाने -अनजाने औरों द्वारा hurt हो सकता है . पर खुश रहने वाले छोटी -मोती बातों को दिल से नहीं लगाते वो माफ़ करना जानते हैं , सिर्फ दूसरों को नहीं बल्कि खुद को भी .
और इसके उलट यदि ऐसे लोगों से कोई गलती हो जाती है , तो वो माफ़ी मांगने से भी नहीं कतराते . वो जानते हैं कि व्यर्थ का ego उनकी life को complex बनाएगा इसलिए वो “Sorry” बोलने में कभी कंजूसी नहीं करते . मुझसे भी जब गलती होती है तो मैं कभी उसे सही ठहराने की कोशिश नहीं करता और उसे स्वीकार कर के क्षमा मांग लेता हूँ .
माफ़ करना और माफ़ी माँगना आपके दिमाग को हल्का करता है , आपको बेकार की उलझन और परेशान करने वाली thoughts से बचाता है , और as a result आप खुश रहते हैं . शिखा जी द्वारा लिखा गया एक बेहेतरीन लेख “क्षमा करना क्यों है ज़रूरी ?” मैं आपके साथ पहले ही share कर चुका हूँ . यह लेख forgiveness के बारे में आपकी समझ को बेहतर बना सकता है।
habit 3: खुश रहने वाले लोग अपने चारो तरफ एक strong support system develop करते हैं :
ये support system दो pillars पे टिका होता है Family and Friends( F&F). ज़िन्दगी में खुश रहने के लिए F&F का बहुत बड़ा योगदान होता है . भले आपके पास दुनिया भर की दौलत हो , शोहरत हो लेकिन अगर F&F नहीं है तो आप ज्यादा समय तक खुश नहीं रह पायेंगे .
हो सकता है ये आपको बड़ी obvious सी बात लगे , ये लगे की आपके पास भी बड़े अच्छे दोस्त हैं और बहुत प्यार करने वाला परिवार है , लेकिन इस पर थोडा गंभीरता से सोचिये . आपके पास ऐसे कितने friends हैं , जिन्हें आप बिना किसी झिझक के रात के 3 बजे भी phone कर के उठा सकें या कभी भी financial help ले सकें?
Family and friends को कभी भी for granted नहीं लेना चाहिए , एक strong relationship बनाने के लिए आपको अपने हितों से ऊपर उठ कर देखना होता है . , दूसरे की care करनी होती है , और उन्हें genuinely like करना होता है . जितना हो सके अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं , छोटी -छोटी चीजें जैसे कि Birthday wish करना, बधाई देना , सच्ची प्रशंशा करना , मुस्कुराते हुए मिलना , गर्मजोशी से हाथ मिलाना , गले लगना आपके संबंधों को प्रगाढ़ बनता है . और जब आप ऐसा करते हैं तो बदले में आपको भी वही मिलता है और आपकी ज़िन्दगी को खुशहाल बनाता है .
Habit 4: खुश रहने वाले अपने मन का काम करते हैं या जो काम करते हैं उसमे मन लगाते हैं :
यदि आप अपने interest का, अपने मन का काम करते हैं तो definitely वो आपके Happiness Quotient को बढ़ाएगा , लेकिन ज्यादातर लोग इतने lucky नहीं होते , उन्हें ऐसी job या business में लगना पड़ता है जो उनके interest के हिसाब से नहीं होतीं . पर खुश रहने वाले लोग जो काम करते हैं उसी में अपना मन लगा लेते हैं , भले ही parallely वो अपना पसंदीदा काम पाने का प्रयास करते रहे .
मैंने कई बार लोगों को जहाँ job करते हैं उस company की बुराई करते सुना है , अपने काम को दुनिया का सबसे बेकार काम कहते सुना है , ऐसा करना आपकी life को और भी difficult बनता है . खुश रहने वाले अपने काम की बुराई नहीं करते , वो उसके सकारात्मक पहलुओं पर focus करते हैं और उसे enjoy करते हैं .
मगर , यहाँ मैं यह ज़रूर कहना चाहूँगा कि यदि हम दुनिया के सबसे खुशहाल लोगों को देखें तो वो वही लोग होंगे जो अपने मन का काम करते हैं , इसलिए यदि आप जो कर रहे हैं उसे enjoy करना , उससे सीखना अच्छी बात है पर Steve Jobs की कही बात भी याद रखिये: ”आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों…और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.”
Habit 5: खुश रहने वाले हर उस बात पर यकीन नहीं करते जो उनके दिमाग में आती हैं :
Scientists के अनुसार हमारा brain हर रोज़ 60,000 thoughts produce करता है , और एक आम आदमी के case में इनमे से अधिकतर thoughts negative होती हैं . अगर आप daily अपने brain को हज़ारों negative thoughts से feed करेंगे तो खुश रहना तो मुश्किल होगा ही . इसलिए खुश रहने वाले व्यक्ति दिमाग में आ रहे बुरे विचारों को अधिक देर तक पनपने नहीं देते . वो benefit of doubt देना जानते हैं , वो जानते हैं कि हो सकता है जो वो सोच रहे हैं वो गलत हो , जिसे वो बुरा समझ रहे हैं वो अच्छा हो . ऐसा कर के इंसान relax हो जाता है , दरअसल हमारी सोच के हिसाब से brain में ऐसे chemical release होते हैं जो हमारे मूड को खुश या दुखी करते हैं .
जब आप नकारात्मक विचारों को सच मान लेते हैं तो आप का blood pressure बढ़ने लगता है और आप tensionize हो जाते हैं , वहीँ दूसरी तरफ जब आप उस पर doubt कर देते हैं तो आप अनजाने में ही brain को relaxed रहने का signal दे देते हैं .
Habit 6: खुश रहने वाले व्यक्ति अपने जीवन या काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं :
एक बार एक बूढी औरत कहीं से आ रही थी कि तभी उसने तीन मजदूरों को कोई ईमारत बनाते देखा . उसने पहले मजदूर से पूछा ,” तुम क्या कर रहे हो ?”, “ देखती नहीं मैं ईंटे ढो रहा हूँ .” उसने जवाब दिया .
फिर वो दुसरे मजदूर के पास गयी और उससे भी वही प्रश्न किया ,” तुम क्या कर रहे हो ?” ,” मैं अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत – मजदूरी कर रहा हूँ ?’ उत्तर आया .
फिर वह तीसरे मजदूर के पास गयी और पुनः वही प्रश्न किया ,” तुम क्या कर रहे हो ?,
उस व्यक्ति ने उत्साह के साथ उत्तर दिया , “ मैं इस शहर का सबसे भव्य मंदिर बना रहा हूँ ”
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन तीनों में से कौन सबसे अधिक खुश होगा!
दोस्तों, इस मजदूर की तरह ही खुश रहने वाले व्यक्ति अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं , और ऐसा करना वाकई उन्हें आपार ख़ुशी देता है . ऐसा मैं इसलिए भी कह पा रहा हूँ क्योंकि मैं भी कुछ इसी तरह देखता हूँ . मैं ये सोचता हूँ कि इस site के जरिये मैं लाखों -करोड़ों लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर बना सकता हूँ . मैं हमेशा यही प्रयास करता हूँ कि कैसे अच्छी से अच्छी बातें share करूँ कि पढने वालों की life में positive changes आएं , और शायद यही वज़ह है कि मैं इस काम से कभी थकता नहीं हूँ और इसे कर के सचमुच बहुत खुश और संतुष्ट होता हूँ .
Habit 7: खुश रहने वाले व्यक्ति अपनी life में होने वाली चीजों के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं :
खुश रहने वाले व्यक्ति responsibility लेना जानते हैं . अगर उनके साथ कुछ बुरा होता है तो वो इसका blame दूसरों पर नहीं लगाते , बल्कि खुद को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं .For example: अगर वो office के लिए late होते हैं तो traffic jam को नहीं कोसते बल्कि ये सोचते हैं कि थोडा पहले निकलना चाहिए था .
अपनी success का credit दूसरों को भले दे दें लेकिन अपनी failure के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानें . जब आप अपने साथ होने वाली बुरी चीजों के लिए दूसरों को दोष देते हैं तो आपके अन्दर क्रोध आता है , पर जब आप खुद को जिम्मेदार मान लेते हैं तो आप थोडा disappoint होते हैं और फिर चीजों को सही करने के प्रयास में जुट जाते हैं . मैं खुद भी अपनी life में होने वाली हर एक अच्छी – बुरी चीज के लिए खुद को जिम्मेदार मानता हूँ . ऐसा करने से मेरी energy दूसरों में fault खोजने की जगह खुद को improve करने में लगती है , और ultimately मेरी happiness को बढाती है .
Friends, हो सकता है आप इनमे से कुछ बातों को already follow करते हों partially या शायद पूरी तरह से . पर यदि किसी भी Habit में खुद को थोडा सा भी improve करेंगे तो वो definitely आपकी happiness को बढ़ाएगा . Personally मुझे Habit 2 में माफ़ करने वाले part को improve करना है . तो चलिए हम सब साथ -साथ अपने Happiness Quotient को बढ़ाते हैं और एक खुशहाल जीवन जीने का प्रयास करते हैं .
All the best!
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7 Habits जो बना सकती हैं आपको Super Successful
The 7 Habits of Highly Effective People in Hindi
The 7 Habits of Highly Effective People, या अतिप्रभावकारी लोगों की 7 आदतें, Stephen R. Coveyद्वारा लिखी गयी ये किताब आपने ज़रूर देखी, पढ़ी, या सुनी होगी. आज haihayvanshi.blogspot.com at googleपर मैं आपको इसी best seller book का सार Hindi में share कर रहा हूँ. यह पढकर यदि आपको लगता है कि वाकई करोड़ों लोगों की तरह आप भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं तो बिना किसी झिझक के इस book को ज़रूर पढेगे। यह ब्लॉग Hindi/English में भी उपलब्ध है.
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7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Super Successful
आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं , ये आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं.आप साहस चुनते हैं.आप डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए औरpositive result produce करें.
Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए
Proactive होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने parents या grandparents को नही blame कर सकते . Proactive लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं . वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स , परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ जो लोगreactive होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प्रभावितहोते हैं. वो अपने behaviour के लिए बाहरी चीजों को दोष देते हैं. अगर मौसम अच्छा है, तोउन्हें अच्छा लगता है.और अगर नहीं है तो यह उनके attitude और performance को प्रभावित करता है, और वो मौसम को दोष देते हैं. सभी बाहरी ताकतें एक उत्तेजना की तरह काम करती हैं , जिन पर हम react करते हैं. इसी उत्तेजना और आप उसपर जो प्रतिक्रिया करते हैं के बीच में आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी होती है- और वो होती है इस बात कि स्वतंत्रता कि आप अपनी प्रतिक्रिया का चयन स्वयम कर सकते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि आप इस बात का चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं.आप जो भाषा प्रयोग करते हैं वो इस बात को indicate करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.एक proactive व्यक्ति proactive भाषा का प्रयोग करता है.–मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा, etc.एक reactive व्यक्ति reactive भाषा का प्रयोग करता है- मैं नहीं कर सकता, काश अगर ऐसा होता , etc. Reactive लोग सोचते हैं कि वो जो कहते और करते हैं उसके लिए वो खुद जिम्मेदार नहीं हैं-उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
ऐसी परिस्थितियां जिन पर बिलकुल भी नहीं या थोड़ा-बहुत control किया जा सकता है , उसपरreact या चिंता करने के बजाये proactive लोग अपना time और energy ऐसी चीजों में लगाते हैं जिनको वो control कर सकें. हमारे सामने जो भी समस्याएं ,चुनतिया या अवसर होते हैं उन्हें हम दो क्षेत्रों में बाँट सकते हैं:
1)Circle of Concern ( चिंता का क्षेत्र )
2)Circle of Influence. (प्रभाव का क्षेत्र )
Proactive लोग अपना प्रयत्न Circle of Influence पर केन्द्रित करते हैं.वो ऐसी चीजों पर काम करते हैं जिनके बारे में वो कुछ कर सकते हैं: स्वास्थ्य , बच्चे , कार्य क्षेत्र कि समस्याएं. Reactive लोग अपना प्रयत्न Circle of Concern पर केन्द्रित करते हैं: देश पर ऋण , आतंकवाद, मौसम. इसबात कि जानकारी होना कि हम अपनी energy किन चीजों में खर्च करते हैं, Proactive बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है
Habit 2: Begin with the End in Mind अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें.
तो , आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे,लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. इमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हांसिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती हैं–ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवार पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.
Habit 2 आपके imagination या कल्पना पर आधारित है– imagination , यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला mental creation, और दूसरा physical creation. जिस तरह blue-print तैयार होने केबाद मकान बनता है , उसी प्रकार mental creation होने के बाद ही physical creation होती है.अगर आप खुद visualize नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2 इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं,और फिर अपनी personal, moral और ethical guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं.अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन ,काम या project की शुरआत एक clear vision के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर proactively उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2 को practice मेंलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal Mission Statement बनाना. इसका फोकस इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं.ये success के लिए की गयी आपकी planning है.ये इस बात की पुष्टिकरता है कि आप कौन हैं,आपके goals को focus में रखता है, और आपके ideas को इस दुनिया में लाता है. आपका Mission Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का leader बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.
Habit 3 : Put First Things First प्राथमिक चीजों को वरीयता दें
एक balanced life जीने के लिए, आपको इस बात को समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगीमें हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद को अपनी क्षमता से अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी हो तो “ना” कहने में मत हिचकिये, और फिर अपनी important priorities परfocus कीजिये.
Habit 1 कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है.Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3 दूसरी creation , यानि physical creation के बारे में है. इसhabit में Habit 1 और Habit 2 का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management से related कई प्रश्नों को deal करता है.
लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है. Habit 3 life management के बारे में भी है—आपका purpose, values, roles ,और priorities. “प्राथमिक चीजें” क्या हैं? प्राथमिक चीजें वह हैं , जिसको आप व्यक्तिगत रूप से सबसे मूल्यवान मानते हों. यदि आप प्राथमिक कार्यों को तरजीह देने का मतलब है कि , आप अपना समय , अपनी उर्जा Habit 2 में अपने द्वारा set की गयीं priorities पर लगा रहे हैं.
Habit 4: Think Win-Win हमेशा जीत के बारे में सोचें
Think Win-Win अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह कोईshort-cut है. यहcharacter पर आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों सेinteract और सहयोग करने के लिए है.
हममे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों सेcomparison और competition के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. इस तरह life एकzero-sum game बन जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी येgame खेलते हैं, लेकिन आप ही सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win ज़िन्दगी कोco-operation की तरह देखती है, competition कीतरह नहीं.Win-Win दिल और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमेंलगातार सभी काहित सोचने के लिए प्रेरित करती है.Win-Winका अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी खाने को मिलती है, और वो काफी अच्छाtaste करती है.
एक व्यक्ति या संगठन जोWin-Win attitude के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें होती हैं:
- Integrity / वफादारी :अपनेvalues, commitments औरfeelings के साथ समझौता ना करना.
- Maturity / परिपक्वता : अपनेideas औरfeelings को साहस के साथ दूसरों के सामने रखना और दूसरों के विचारों और भावनाओं की भी कद्र करना.
- Abundance Mentality / प्रचुरता की मानसिकता :इस बात में यकीन रखना की सभी के लिए बहुत कुछ है.
बहुत लोग either/or केterms में सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win में दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीचbalance करने जैसा है.Win-Win को अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वाश से लबरेज़ भी होना होगा.आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा.ऐसा करनाकि -courage और consideration मेंbalance स्थापित हो, यहीreal maturity है, और Win-Win के लिए बेहद ज़रूरी है.
Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ.
Communication लाइफ की सबसे ज़रूरी skill है. आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या है? आपको ऐसी कौनसी training मिली है, जो आपको दूसरों को सुनना सीखाती है,ताकि आप सामने वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई नहीं? क्यों?
अगर आप ज्यादातर लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना चाहते होंगे. और ऐसा करने में आप दुसरे व्यक्तिको पूरी तरह ignore कर देते होंगे , ऐसा दिखाते होंगे कि आप सुन रहे हैं,पर दरअसल आप बस शब्दों को सुनते हैं परउनके असली मतलब को पूरी तरह से miss कर जाते हैं.
सोचिये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ज्यादातर लोग इस intention के साथ सुनते हैं कि उन्हें reply करना है, समझना नहीं है.आप अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी करते हैं कि आपको आगे क्या कहना है,क्या सवाल पूछने हैं, etc. आप जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके life-experiences से छनकर आप तक पहुचता है.
आप जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या गलत. और इस वजह से आप दुसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक धारणा बना लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है. क्या ये वाक्य कुछ सुने-सुने से लगते है?
“अरे, मुझे पता है कि तुम कैसा feel कर रहे हो.मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे बताता हूँ कि ऐसे वक़्तमें मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Evaluating/ मूल्यांकन:पहले आप judge करते हैं उसके बाद सहमत या असहमत होते हैं.
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.
Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना
सरल शब्दों में समझें तो , “दो दिमाग एक से बेहतर हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह team-work है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.
पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक process है , और उसी process से, लोग अपनेexperience और expertise को उपयोग में ला पाते हैं .अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छाresult दे पाते हैं. Synergy से हम एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये वो idea है जिसमे the whole is greater than the sum of the parts. One plus one equals three, or six, or sixty–या उससे भी ज्यादा.
जब लोग आपस में इमानदारी से interact करने लगते हैं, और एक दुसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं , तब उन्हें नयी जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाता है. आपस में मतभेद नए तरीकों के आविष्कार की क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.
मतभेदों को महत्त्व देना synergy का मूल है. क्या आप सच-मुच लोगों के बीच जो mental, emotional, और psychological differences होते हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि सभी लोग आपकी बात मान जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी मतभेदों को weakness नहीं strength के रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में उत्साह भरते हैं.
Habit 7: Sharpen the Saw कुल्हाड़ी को तेज करें
Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे बड़ी सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक प्रोग्राम डिजाईन करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों physical, social/emotional, mental, and spiritual में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी कुछ activities केexample दिए गए हैं:
Physical / शारीरिक :अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.
आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को सुधारेंगे, आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे.Sharpen the Saw आपको fresh रखता है ताकि आप बाकी की six habits अच्छे से practice कर सकें. ऐसा करने से आप challenges face करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है , मस्तिष्क बुद्धिरहित हो जाता है, भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं,स्वाभाव असंवेदनशील हो जाता है,और इंसान स्वार्थी हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?
आप अच्छा feel करें , ऐसा अपने आप नहीं होता. एक balanced life जीने काअर्थ है खुद कोrenew करने के लिए ज़रूरी वक़्त निकालना.ये सब आपके ऊपरहै .आप खुद को आराम करकेrenew कर सकते हैं. या हर काम अत्यधिक करके खुद को जला सकते हैं . आप खुद को mentallyऔर spiritually प्यार कर सकते हैं , या फिर अपने well-being से बेखबर यूँ ही अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं.आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा का अनुभव कर सकते हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को खो सकते हैं.
आप खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और एक नए दिन का स्वागत शांति और सद्भावके साथ कर सकते हैं.या फिर आप उदासी के साथ उठकर दिन को गुजरते देख सकतेहैं. बस इतना याद रखिये कि हर दिन आपको खुद को renew करने का एक नया अवसरदेता है, अवसर देता है खुद को recharge करने का. बस ज़रुरत है Desire (इच्छा),Knowledge( ज्ञान)और Skills(कौशल) की.
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