रविवार, 27 अगस्त 2023

मेहनत की आदत

*****हर हर कार्तवीर्यार्जुन *****

 
मेहनत की आदत

एक बार की बात है की एक आदमी जो पेशे से दुकानदार था बड़ा दुखी रहता था क्यूंकी उसका बेटा बहुत आलसी और गेरजिम्मेदार था वह हमेशा दोस्तों के साथ मस्ती करता रहता था | जबकि वह अपने पुत्र को एक मेहनती इंसान बनाना चाहता था | वह काफ़ी बार अपने पुत्र को डाँटता था लेकिन पुत्र उसकी बात पे ध्यान नहीं देता था | एक दिन उसने अपने पुत्र से कहा कि आज तुम घर से बाहर जाओ और शाम तक कुछ अपनी मेहनत से कमा के लाओ नहीं तो आज शाम को खाना नहीं मिलेगा |

लड़का पहुत परेशान हो गया वह रोते हुए अपनी माँ के पास गया और उन्हें रोते हुए सारी बात बताई माँ का दिल पासीज गया और उसने उसे एक सोने का सिक्का दिया कि जाओ और शाम को पिताजी को दिखा देना | लड़के ने वैसे ही किया शाम को जब पिता ने पूछा की क्या कमा कर लाए हो तो उसने वो सोने का सिक्का दिखा दिया| पिता यह देखकर सारी बात समझ गया | उसने पुत्र से वो सिक्का कुएँ मे डालने को कहा, लड़के ने खुशी खुशी सिक्का कुएँ में फेंक दिया | अगले दिन पिता ने माँ को अपने मायके भेज दिया और लड़के को फिर से कमा के लाने को कहा | अबकी बार लड़का रोते हुए बड़ी बहन के पास गया तो बहन ने दस रुपये दे दिए | लड़के ने फिर शाम को पैसे लाकर पिता को दिखा दिए| पिता ने कहा कि जाकर कुएँ में डाल दो लड़के ने फिर डाल दिए |


अब पिता ने बहन को भी उसके ससुराल भेज दिया| अब फिर लड़के से कमा के लाने को कहा| अब तो लड़के के पास कोई चारा नहीं था वह रोता हुआ बाजार गया और वहाँ उसे एक सेठ ने कुछ लकड़ियाँ अपने घर ढोने के लिए कहा और कहा कि बदले में दो रुपये देगा | लड़के ने लकड़ियाँ उठाईं और सेठ के साथ चल पड़ा रास्ते में चलते चलते उसके पैरों में छाले पड़ गये और हाथ पैर भी दर्द करने लगे | शाम को जब पिताजी को दो रुपये दिखाए तो पिता ने फिर कहा की बेटा कुएँ मे डाल दो तो लड़का गुस्सा होते हुए बोला कि मैने इतनी मेहनत से पैसे कमाए हैं और आप कुएँ में डालने को बोल रहे हैं | पिता ने मुस्कुराते हुए कहा कि यही तो मैं तुम्हें सीखाना चाहता था तुमने सोने का सिक्का तो कुएँ में फेंक दिया लेकिन दो रुपये फेंकने में डर रहे हो क्यूंकी ये तुमने मेहनत से कमाएँ हैं |

अबकी बार पिता ने दुकान की चाबी निकल कर बेटे के हाथ में देदी और बोले की आज वास्तव में तुम इसके लायक हुए हो| क्यूंकी आज तुम्हें मेहनत का अहसास हो गया है




बर्बरीक

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              *बर्बरीक
क्या है बर्बरीक कुंड की महिमा...??

भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है।भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है, दरअसल इस मंदिर में एक ऐसा कुंड है जो हमेशा ही पानी से भरा रहता है, और इस कुण्ड में नहाने के लिए साल भर लोगों का तांता लगा रहता है,बर्बरीक कुंड यानि श्याम कुंड के बारे में, जो भारत के राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर(Jaipur) में स्थित एक मशहूर मंदिर खाटू श्याम बाबा के मंदिर का हिस्सा है, खाटू वाले बाबा के मंदिर में स्थित ये कुंड अपने अंदर बहुत से रहस्यों को दबाए हुए है। बाबा श्याम के इस विख्यात मंदिर की कई मान्यताएं और कहानियां (Stories) है, बाबा के मंदिर में मौजूद ये कुंड अपनी उत्पत्ति को लेकर भी कई रहस्य छिपाए हुए है, कहा जाता है कि आज से हजारों साल पहले जब यहां केवल मिट्टी ही थी, तब यहां रोज गाय आया करती थी, और जानवर आया करते थे और इस स्थान पर पहुंचने के बाद गाय का अपने आप दूध देने लगती थी, रोज हो रहे इस घटनाक्रम को देखने के बाद आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों ने वहां खुदाई का काम शुरू कर दिया, और जब उन्होंने गड्ढा खोदना शुरू किया तो उनका सामना एक गजब रहस्य से हुआ, दरअसल, खुदाई करते हुए जब वो लगभग 30 फीट(Feet) तक नीचे पहुंचे तो उन्हें एक बक्सा मिला जिस पर लिखा था, बर्बरीक कथाओं की माने तो इस बक्से के अंदर महाभारत काल के बर्बरीक का असली सिर मौजूद था, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने इस बक्से को लेजाकर उस समय के राजा रतन सिंह को दिया, चौकाने वाली बात तो ये रही कि जिस स्थान से वो शीश प्रकट हुआ ठीक उसी स्थान से पानी का तेज प्रभाव शुरू हो गया जिसे आगे जाकर श्याम कुंड कहा गया, हर साल लगने वाले मेले में आने वाले भक्त पहले इसकुंड में आकर नहाते हैं, और फिर जाकर बाबा के दर्शन कर सके। 

कौन थे बर्बरीक..?

बर्बरीक महाभारत के एक महान योद्धा  थे, उनके पिता घटोत्कच और माता अहिलावती थे, बचपन से ही बर्बरीक को उनकी माँ ने सिखाया था, कि युद्ध हमेशा ही हारने वाले की तरफ से करना चाहिए, और बर्बरीक भी हमेशा इसी सिद्धांत को याद में रखकर युद्ध भूमि में जाया करते थे, कहा जाता है कि बर्बरीक ने भगवान शिव और माता आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी, जिसके बाद खुश होकर भगवान ने उन्हें कुछ सिद्धियां दी थी, जिन्हें पाने के बाद बर्बरीक और भी ज्यादा बलवान हो गए थे, जानकारी के मुताबिक इन शक्तियों का प्रभाव इतना ज्यादा था कि वो महाभारत जैसे विशाल युद्ध को भी पलक झपकते ही बंद करवा सकते थे, और युद्ध में भाग ले रहे सभी वीरों को मौT के घाT उतार सकते थे, लेकिन उनके अपनी माता को दिए हुए वचन के कारण भगवान श्रीकृष्ण की चिंता काफी ज्यादा बढ़ी हुई थी, जिसके चलते बर्बरीक के युद्ध में शामिल होने से पहले ही भगवान ने साधु का रूप धारण करके उनसे उनका सिर मांग लिया, जिसके बाद उनकी सारी शक्तियों को उन्होंने मां रणचंडी को बलि चढ़ा दिया, वहीं इतना बड़ा बलिदान देने के बाद उन्हें शीश का दानी कहा गया, वहीं अपना ये बलिदान देने के बाद उन्होंने महाभारत युद्ध की समाप्ति तक इस युद्ध को देखने की कामना करी बलिदान से खुश होकर श्रीकृष्ण ने वरदान देकर उनके सिर को एक पहाड़ पर रख दिया, जिसके बाद बर्बरीक ने पूरा युद्ध देखा। आखिर क्या है श्याम कुंड की मान्यताएं श्याम कुंड को लेकर कई तरह की मान्यताएं जताई जाती है, कहा जाता है कि श्याम कुंड में नहाने से कई पाप दूर हो जाते हैं, और अगर कोई बाबा के दरबार पर पहुंचकर अच्छे और निश्चल मन से कुंड में स्नान करता है तो उसे एक नया शरीर मिल जाता है,इसके अलावा अगर कोई हारा हुआ हो उसका कोई काम न बन रहा हो और वो जाकर बाबा के कुंड में स्नान करे तो बाबा हारे का सहारा बनकर उसका साथ देते हैं, इसके अलावा इस कुंड में नहाने से शरीर और मन दोनों की ही अशुद्धियों का नाश हो जाता है, और अगर किसी स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति न हुई हो और वो जाकर बाबा के कुंड में नहा ले तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है...

जय श्रीकृष्णा, जय गोविंदा ✨🙏🕉️💖

Pradeep (RadhaRani)
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सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

प्रातः स्मरणीय व कल्याणकारी छः मन्त्र!

चक्रवर्ती सम्राट सहस्त्रार्जुन 
 "*******हैहयवंश*****" 

प्रातः स्मरणीय व कल्याणकारी छः मन्त्र!

भारतीय संस्कृति एक महान संस्कृति है, इसमें न केवल जन्म से मृत्यु तक बल्कि दिन के प्रारम्भ से लेकर अंत तक की भी, महत्वपूर्ण एवं सुन्दर प्रार्थनाओं का समावेश किया गया है। मैं इनमें से दिन के प्रारम्भ की प्रार्थनों को आपके सम्मुख लेकर आया हूं, इस आशा के साथ कि ये प्रार्थनाएं निश्चित ही आपकी शारीरिक-मानसिक-धार्मिक उन्नति में सहायक होगी।
प्रातःकाल उठतेे ही अपने दोनों हाथों को आपस में रगड़े तत्पश्चात अपने हाथों का दर्शन करते हुए, निम्न श्लोक को दोहरायें-
karagre%20picture3.jpg
काराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्।।1।।
हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी, मध्य भाग में सरस्वती तथा हाथ के मूल भाग में भगवान नारायण निवास करते हैं। अतः प्रातःकाल अपने हाथों का दर्शन करते हुए अपने दिन को शुभ बनायें।

बिस्तर छोड़ने के बाद धरती पर पैर रखने से पहले निम्न श्लोक को दोहराये-
bharat%20mata1.jpg
समुन्द्रवसने   देवि!       पर्वतस्तनमण्डले
विष्णुपत्नि!नमस्तुभ्यंपादस्पर्शं क्षमस्व मे।।2
हे! मातृभूमि! देवता स्वयं विष्णु (पतिरूप में) आपकी रक्षा करते हैं, मैं आपको नमस्कार करता हूं। हे सागर रूपी परिधानों (वस्त्रों) और पर्वत रूपी वक्षस्थल से शोभायमान धरती माता, मैं अपने चरणों से आपका स्पर्श कर रहा हूं, इस के लिए मुझे क्षमा कीजिए।
navagraha4.jpgनवग्रह शांति मंत्र-
ब्रह्मा      मुरारीस्त्रिपुरांतकारी
भानुः शशि  भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च   शुक्रः  शनिराहुकेतवेः
कुर्वन्तु सर्वे मम सु प्रभातम्।।3
ब्रह्मा, मुरारि (विष्णु) और त्रिपुर-नाशक शिव (अर्थात तीनों देवता) तथा सूर्य, चन्द्रमा, भूमिपुत्र (मंगल), बुध, बृहस्पति, शुक्र्र, शनि, राहु और केतु ये नवग्रह, सभी मेरे प्रभात को शुभ एवं मंगलमय करें।
सनत्कुमारः सनकः सनन्दनःsanak2.jpg
सनातनोऽप्यासुरिपिङगलौ च।
सप्त  स्वराः सप्त   रसातलानि
कुर्वन्तु  सर्वे मम  सुप्रभातम्।।4
(ब्रह्मा के मानसपुत्र बाल ऋषि) सनतकुमार, सनक, सनन्दन और सनातन तथा (सांख्य-दर्शन के प्रर्वतक कपिल मुनि के शिष्य) आसुरि एवं छन्दों का ज्ञान कराने वाले मुनि पिंगल मेरे इस प्रभात को मंगलमय करें। साथ ही (नाद-ब्रह्म के विवर्तरूप षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद) ये सातों स्वर और (हमारी पृथ्वी से नीचे स्थित) सातों रसातल (अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल, और पाताल) मेरे लिए सुप्रभात करें।
सप्तार्णवा सप्त   कुलाचलाश्च
सप्तर्षयो  द्वीपवनानि  सप्त।
भूरादिकृत्वा  भुवनानि सप्त
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।।5
सप्त समुद्र (अर्थात भूमण्डल के लवणाब्धि, इक्षुसागर, सुरार्णव, आज्यसागर, दधिसमुद्र, क्षीरसागर और स्वादुजल रूपी सातों सलिल-तत्व) सप्त पर्वत (महेन्द्र, मलय, सह्याद्रि, शुक्तिमान्, ऋक्षवान, विन्ध्य और पारियात्र), सप्त ऋषि (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, और विश्वामित्र), सातों द्वीप (जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौच, शाक, और पुष्कर), सातों वन (दण्डकारण्य, खण्डकारण्य, चम्पकारण्य, वेदारण्य, नैमिषारण्य, ब्रह्मारण्य और धर्मारण्य), भूलोक आदि सातों भूवन (भूः, भुवः, स्वः, महः, जनः, तपः, और सत्य) सभी मेरे प्रभात को मंगलमय करें। 

saptarishi1.jpg
पृथ्वी  सगन्धा  सरसास्तथापः
स्पर्शी च वायुज्र्वलनं च तेजः।
नभः    सशब्दं   महता  सहैव
कुर्वन्तु सर्वे  मम  सुप्रभातम्।।6
अपने गुणरूपी गंध से युक्त पृथ्वी, रस से युक्त जल, स्पर्श से युक्त वायु, ज्वलनशील तेज, तथा शब्द रूपी गुण से युक्त आकाश महत् तत्व बुद्धि के साथ मेरे प्रभात को मंगलमय करें अर्थात पांचों बुद्धि-तत्व कल्याण हों।
dreamsप्रातः     स्मरणमेतद्यो   विदित्वादरतः    पठेत्।
स सम्यक्धर्मनिष्ठः स्यात् अखण्डं भारतं स्मरेत्।। 7।।
इन श्लोको का प्रातः स्मरण भली प्रकार से ज्ञान करके आदरपूर्वक पढ़ना चाहिए। ठीक-ठीक धर्म में निष्ठा रखकर अखण्ड भारत का स्मरण करना चाहिए।


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बुधवार, 9 जुलाई 2014

जियो और जीवन दो



हैहयवंशी ब्लॉग



चिड़िया जब जीवित रहती है तब वो चिंटी को खाती है
चिड़िया जब मर जाती है तब चींटिया उसको खा जाती है।
इसलिए इस बात का ध्यान रखो की समय और स्तिथि कभी भी बदल सकते है
इसलिए कभी किसी का अपमान मत करो कभी किसी को कम मत आंको।
तुम शक्तिशाली हो सकते हो पर समय तुमसे भी शक्तिशाली है।
एक पेड़ से लाखो माचिस की तीलिया बनाई जा सकती है पर एक माचिस की तिल्ली से लाखो पेड़ भी जल सकते है।
कोई चाहे कितना भी महान क्यों ना हो जाए, पर कुदरत कभी भी किसी को महान बनने का मौका नहीं देती।

*कंठ दिया कोयल को, तो रूप छीन लिया ।
*रूप दिया मोर को, तो ईच्छा छीन ली ।
*दी ईच्छा इन्सान को, तो संतोष छीन लिया ।
*दिया संतोष संत को, तो संसार छीन लिया ।
*दिया संसार चलाने देवी-देवताओं को, तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।
*मत करना कभी भी ग़ुरूर अपने आप पर 'ऐ इंसान' भगवान ने तेरे और मेरे जैसे कितनो को मिट्टी से बना के, मिट्टी में मिला दिए ..


यह  कैसा  तेरा  प्यार  है  ज़ालिम
दिल  न  रहा  सरकारी  दफ्तर  बन  गया  है
न  कोई  काम  करता  है  और  न  कोई  सोच
न  ही  किसी  की  बात  भी  सुनता  है



हम ना रईस हैं , ना अमीर  हैं...

न हम बादशाह हैं  ना वजीर हैं ...



तेरा इश्क है मेरी सल्तनत ,


हम उसी सल्तनत के फ़क़ीर हैं  .......


खूबसूरत है वो लब ........ जिन पर ,


केवल श्री कृष्ण नाम ......की चर्चा है !!

खूबसूरत है ............ वो दिल जो ,


केवल श्री कृष्ण के लिये धडकता है !!



खूबसूरत है वो जज़बात जो ,


श्री कृष्ण संग की भावनाओं को समझ जाए !!

खूबसूरत है.....वो एहसास जिस में ,


श्री कृष्ण प्रेम ......की मिठास हो जाए !!


खूबसूरत हैं ....... वो बाते जिनमे ,


श्री कृष्ण ......... की बाते शमिल हो !!

खूबसूरत है.......वो आँखे जिनमें ,


श्री कृष्ण के ..... दर्शन की प्यास है !!

खूबसूरत है .... वो हाथ जो


श्री कृष्ण की सेवा में लगे रहते है !!

खूबसूरत है........... वो सोच जिसमें ,


केवल श्री कृष्ण की ही सोच हो !!

खूबसूरत हैं .......... वो पैर जो ,


दिन रात केवल प्यारे श्री कृष्ण की तरफ बढ़ते है !!

खूबसूरत हैं ...... वो आसूँ ,


जो केवल प्यारे श्री कृष्ण के लिये बहते हैं !!

खुबसुरत हैं ....... वो कान ,


जो श्री कृष्ण नाम का गुणगान सुनते है !!

खुबसुरत है वो शीश ........ जो


श्री कृष्ण के चरणों में नमन को झुकता है 

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

44_जय वाइफ देवा

"chakravartee samrat shree shree sahastranjun 
" **********haihay vansh*********



##@@@@ बीवी देवी की आरती @@@@
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जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महा देवी ,और पिता परम देवा ||
जेवर चढ़े ,चुनर चढ़े और चढ़े मेवा |
मिठाई का भोग लगे और पति करे सेवा ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
हुक्म करो ,ऑर्डर करो ,दुःख-कष्ट देवा |
उतारूं थांरी आरती ,और करूँ थांरी सेवा ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
भारी तन,गज बदन ,एक चोटी धारी |
मँहगी पड़ती प्लेन से भी, आप की सवारी ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
डांट खाते,झिड़की खाते,फिर भी करते सेवा |
कुछ दे दो देवी हमको , इस सेवा का मेवा ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
गाली देकर ,ताना देकर ,फिर देती कलेवा |
साली मेरी इष्ट देवी ,और साला महा देवा ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
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प्रदीप सिंह तामेर 

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

44_बीवी देवी की आरती 2014

"chakravartee samrat shree shree sahastranjun
 " **********haihay vansh*********



 
##@@@@ बीवी देवी की आरती @@@@
*************************
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महा देवी ,और पिता परम देवा ||
जेवर चढ़े ,चुनर चढ़े और चढ़े मेवा |
मिठाई का भोग लगे और पति करे सेवा ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
हुक्म करो ,ऑर्डर करो ,दुःख-कष्ट देवा |
उतारूं थांरी आरती ,और करूँ थांरी सेवा ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||

भारी तन,गज बदन ,एक चोटी धारी |
मँहगी पड़ती प्लेन से भी, आप की सवारी ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
डांट खाते,झिड़की खाते,फिर भी करते सेवा |
कुछ दे दो देवी हमको , इस सेवा का मेवा ||

जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
गाली देकर ,ताना देकर ,फिर देती कलेवा |
साली मेरी इष्ट देवी ,और साला महा देवा ||
जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा |
माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा ||
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