मंगलवार, 17 सितंबर 2013

40_कुछ गंवाया है तो काफी कुछ पाया है

"चक्रवर्ती सम्राट श्री श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन " 
**********हैहयवंश*********


जिसने भी मोहब्बत का गीत गाया है,जिंदगी का उसने ही लुत्फ़ उठाया है
गर्मी हो चाहे हो सर्दी का मौसम अजी,प्रेमियों ने सदा ही जश्न मनाया है
हर खेल में वो ही तो अब्बल आया है,जिस किसी ने भी दमख़म दिखाया है
वो माने चाहे न माने है उसकी मर्जी,हमने तो सब कुछ ही उसपे लुटाया है
कौन समझ पाया है इस दुनिया को,प्रेमियों पे सदा ही इसने जुल्म ढाया है
… आदमी सीख न पाया मिल के रहना,चाहे हर पीर पैगम्बर ने समझाया है
सच्चों को पहले तो सूली पे चढाया है,बाद में चाहे ये समाज पछताया है
मंजिल पे देर सवेर पहुंच ही जायेगा,जिस किसी ने पहला कदम उठाया है
इश्क में यहां हर किसी ने ही प्यारे, कुछ गंवाया है तो काफी कुछ पाया है






 हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे,
कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे,
न होगे हम तो किसी ने ,तुम ये खुद कहोगे,
मिलेगे बहुत से लेकिन कोई हम सा पागल ना होगा.




हम वो नहीं जो दिल तोड़ देंगे,
थाम कर हाथ साथ छोड़ देंगे,
हम दोस्ती करते हैं पानी और मछली की तरह,
जुदा करना चाहे कोई तो हम दम तोड़ देंगे …




जब आपका नाम ज़ुबान पर आता है,
पता नही दिल क्यों मुस्कुराता है,
तसल्ली होती है हमारे दिल को,
कि चलो कोई तो है अपना, जो
हर वक़्त याद आता है....



दुनिया में धोखा आम बात है।
अब सूरज को ही देख लो
आता है किरण के साथ

रहता है रोशनी के साथ
और जाता है संध्या के साथ।



ख्वाइस तो यही है कि तेरे बाँहों में पनाह मिल जाये |
शमा खामोस हो जाये और शाम ढल जाये ||
प्यार इतना करे कि इतिहास बन जाये |
और तुम्हारी बाँहों से हटने से पहले शाम हो जाये ||






 उनका भी कभी हम दीदार करते है
उनसे भी कभी हम प्यार करते है
क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी
पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है !




फूल खिलता है खिल के बिखर जाता है
यांदें रह जाती है लेकिन वक्त गुजर जाता है

G+ 


 



39_मरहम की जगह मर हम गए

"चक्रवर्ती सम्राट श्री श्री सहस्रार्जुन" 
 **********हैहय वंश*********




निकलते है तेरे आशिया के आगे से,
सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,
खिड़की से तेरी सूरत न सही-------
 तेरा साया तो नजर आएगा
……

पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती…






 कोई बुक ऐसी मिलती जिस पे दिल लूटा देते
हर सब्जेक्ट ने दिमाग़ खाया किसी 1 को निपटा देते
अब syllabus देख कर ये सोचते हें की
एक महीना ओर होता तो दुनिया हिला देते.



 एक बेबफा के जख्मो पे 
मरहम लगाने हम गए
मरहम की कसम 
मरहम न मिला 
मरहम की जगह 
मर हम गए !





 (PraDeep Singh Taamer)