मंगलवार, 17 सितंबर 2013

39_मरहम की जगह मर हम गए

"चक्रवर्ती सम्राट श्री श्री सहस्रार्जुन" 
 **********हैहय वंश*********




निकलते है तेरे आशिया के आगे से,
सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,
खिड़की से तेरी सूरत न सही-------
 तेरा साया तो नजर आएगा
……

पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती…






 कोई बुक ऐसी मिलती जिस पे दिल लूटा देते
हर सब्जेक्ट ने दिमाग़ खाया किसी 1 को निपटा देते
अब syllabus देख कर ये सोचते हें की
एक महीना ओर होता तो दुनिया हिला देते.



 एक बेबफा के जख्मो पे 
मरहम लगाने हम गए
मरहम की कसम 
मरहम न मिला 
मरहम की जगह 
मर हम गए !





 (PraDeep Singh Taamer)

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