सोमवार, 9 सितंबर 2013

37 My dear love

"चक्रवर्ती सम्राट श्री श्री सहस्रार्जुन" 
 **********हैहय वंश*********


My dear love, I wanted to share
My thoughts, my feelings and
What makes me despair
I want to share with you
What makes me happy; what makes me feel blue..
So you can sense that my love ......... 

(PraDeep Singh Haihayvanshi)

36 मुस्लिम की असलियत

                         "चक्रवर्ती सम्राट श्री श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन  "
                            **********haihay vansh*********


मुस्लिम की असलियत


प्राचीनतम इतिहास … श्री राम के द्वारा मुस्लिम की असलियत 



                            मै काफी दिन से इस्लाम को समझने की कोशिस कर रहा था … की आखिर ये क्या है …ये कोई धर्म है या मत या कोई …. कुछ और ? लेकिन एक बात मुझे ज्यादा परेशन करती थी इनका हर काम हिन्दू धर्म के विपरीत करने का …. मुझे हमेशा से जिज्ञासा बनी रहती थी … इसको जानने की … और इसको जानने के लिए कभी किसी का लेख तो कभी इस्लाम की धार्मिक पुस्तकों को पढता था ..लेकिन कभी सही उत्तर नहीं मिला …. कोई कुछ कहता तो कोई कुछ हर एक के अपने अलग विचार ..हा कुछ बाते जरुर सामान होती थी ..यदि मै किसी मुस्लिम दोस्त से पूछता तो .. इस्लाम को पुराण धर्म बताता था … एक दिन किसी ने कुछ सबाल रामचरित्र मानस से पूछा जिसका उत्तर के लिए मुझे रामचरित्र मानस पढनी पढ़ी … और साथ में वाल्मीकि रामायण भी ………… कहते है राम उल्टा का नाम लेने से वाल्मीकि जी डाकू से ऋषि बन गए .. क्युकि राम से बड़ा राम का नाम ये ही बात सिद्ध होती है यदि आप इतिहास उठा कर देखे तो .. मुगलों से लेकर अंग्रेजो को भागने में राम का नाम ही काम आया है … राम नाम ही चमत्कार था की पत्थर भी पानी में तैर सकते है … भगवान शिव और हनुमान जी जो पलभर में भक्तो के दुःख दूर करते है ..बो भी राम नाम का जप करते है … राम से बड़ा राम का नाम … राम ही सत्य है ..इसका ज्ञान मुझे रामायण से हुआ जो सबालो के उत्तर कही ना मिले वह मुझे रामायण जी में मिले ….
क्यों ये लोग राम , कृष्ण को कल्पनिक बोलकर रामायण और महाभारत को झूठा साबित करने की कोशिस करते है
आपने देखा होगा मुसलमान भाई और उनके धर्म गुरु… राम , कृष्ण को कल्पनिक बोलकर रामायण और महाभारत को झूठा साबित करने की कोशिस करते रहते है ..इनमे ईसाई और सकुलर लोग भी पीछे नहीं है …
क्यों आखिर इनलोगों को क्या परेशनी है कभी आपने सोचा है है क्यों ये एक सोची समझी रणनीति के तहत कभी राम और कभी कृष्ण जी को बदनाम करते रहते है … कभी उनके चरित्र और कभी जन्म को लेकर ..
कारण येही है की राम , कृष्ण को कल्पनिक बोलकर रामायण और महाभारत को झूठा साबित कर सत्य को छिपाना ….
मक्का शहर से कुछ मील दूर एक साइनबोर्ड पर स्पष्ट उल्लेख है कि “इस इलाके में गैर-मुस्लिमों का आना प्रतिबन्धित है…”। यह काबा के उन दिनों की याद ताज़ा करता है, जब नये-नये आये इस्लाम ने इस इलाके पर अपना कब्जा कर लिया था। इस इलाके में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश इसीलिये प्रतिबन्धित किया गया है, ताकि इस कब्जे के निशानों को छिपाया जा सके।”
ये हुक्म कुरआन में दिया गया कि गैर-मुस्लिमों को काबे से दुर कर दो….उन्हे मस्जिदे-हराम के पास भी नही आने देना

ये सारे प्रमाण ये बताने के लिए हैं कि क्यों मुस्लिम इतना डरे रहते हैं इस मंदिर को लेकर..इस मस्जिद के रहस्य को जानने के लिए कुछ हिंदुओं ने प्रयास किया तो वे क्रूर मुसलमानों के हाथों मार डाले गए और जो कुछ बच कर लौट आए वे भी पर्दे के कारण ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं कर पाए.अंदर के अगर शिलालेख पढ़ने में सफलता मिल जाती तो ज्यादा स्पष्ट हो जाता.इसकी दीवारें हमेशा ढकी रहने के कारण पता नहीं चल पाता है कि ये किस पत्थर का बना हुआ है पर प्रांगण में जो कुछ इस्लाम-पूर्व अवशेष रहे हैं वो बादामी या केसरिया रंग के हैं..संभव है काबा भी केसरिया रंग के पत्थर से बना हो..एक बात और ध्यान देने वाली है कि पत्थर से मंदिर बनते हैं मस्जिद नहीं..भारत में पत्थर के बने हुए प्राचीन-कालीन हजारों मंदिर मिल जाएँगे…
१- मुसलमान कहते हैं कि कुरान ईश्वरीय वाणी है तथा यह धर्म अनादि काल से चली आ रही है,परंतु ये बात आधारहीन तथा तर्कहीन हैं . . .

# किसी भी सीधांत को रद्द करने के लिए उसको पहले सही तरीक़े से समझ लें. इसलाम धर्म का दावा है की दुनिया में शुरू में एक ही धर्म था और वो इस्लाम था. उस वक़्त उसकी भाषा और ,नाम अलग होगा. फिर लोगों ने धर्म परिवर्तन किए और असली धर्म की छबि बदल गयी. फिर अल्लाह ने धर्म को पुनः स्थापित किया. फिर ये होता रहा और अल्लाह अपने पैगंबरों से वापस धर्म को उसकी असली शक्ल में स्थापित करता रहा. इस सिलसिले में मोहम्मद पैगंबर अल्लाह के आखरी पैगंबर हैं, और ये इस्लाम की आखरी शक्ल है, इसके बाद बदलाओ या बिगाड़ होने पर प्रलय होगा.
ये उसी तरह है जैसे हम अपने संवीधन बदलते हैं. मौजूदा इस्लाम , इस्लाम धर्म का आखरी revision है. आप खुद समझ लें के आप हज़ारों साल पुराना संविधान follow कर रहे हैं.
2. – आदि धर्म-ग्रंथ संस्कृत में होनी चाहिए अरबी या फारसी में नहीं|
भाई, क़ुरान को मुसलमान कब आदि ग्रंथ कहते हैं. अगर आप ने क़ुरान पढ़ा तो आप देखोगे के उस में क़ुरान से पहले के ग्रंथों पर भी बात की गयी है. एक जगह किसी ग्रंथ को आदि ग्रंथ कहा गया है जिस के बारे में हम लोग खुद कहते हैं के शायद ये वेदों के बारे में है
#बहुत सी भाषाओं में बहुत से शब्द मिलते जुलते हैं, किसी भाषा में
अल्लाह शब्द भी संस्कृत शब्द अल्ला से बना है जिसका अर्थ देवी होता है|
जिस प्रकार हमलोग मंत्रों में “या” शब्द का प्रयोग करते हैं देवियों को पुकारने में जैसे “या देवी सर्वभूतेषु….”, “या वीणा वर ….” वैसे ही मुसलमान भी पुकारते हैं “या अल्लाह”..इससे सिद्ध होता है कि ये अल्लाह शब्द भी ज्यों का त्यों वही रह गया बस अर्थ बदल दिया गया|
एक मुस्लिम भाई ने कहा जनाब आपसे किसने कहा कि इसलाम सातवी-आठवीं सदी में हुआ…जब से दुनिया बनी है तब से इस्लाम है…
अल्लाह ने दुनिया में 1,24,000 नबी और रसुल भेजे और सब पर किताबे नाज़िल की…
कुरआन में नाम से 25 नबी और 4 किताबों का ज़िक्र है…. कुरआन में बताये गये २५ नबी व रसुलों के नाम बता रहा हूं…उनके नामों के इंग्लिश में वो नाम दिये है जिन नामों से इन नबीयों का ज़िक्र “बाईबिल” में है….
1. आदम अलैहि सलाम (Adam)

2. इदरीस अलैहि सलाम (Enoch)
3. नुह अलैहि सलाम (Noah)
4. हुद अलैहि सलाम (Eber)
5. सालेह अलैहि सलाम (Saleh)
6. ईब्राहिम अलैहि सलाम (Abraham)
7. लुत अलैहि सलाम (Lot)
8. इस्माईल अलैहि सलाम (Ishmael)
9. इशाक अलैहि सलाम (Isaac)
10. याकुब अलैहि सलाम (Jacob)
11. युसुफ़ अलैहि सलाम (Joseph)
12. अय्युब अलैहि सलाम (Job)
13. शुऎब अलैहि सलाम (Jethro)
14. मुसा अलैहि सलाम (Moses)
15. हारुन अलैहि सलाम (Aaron)
16. दाऊद अलैहि सलाम (David)
17. सुलेमान अलैहि सलाम (Solomon)
18. इलियास अलैहि सलाम (Elijah)
19. अल-यासा अलैहि सलाम (Elisha)
20. युनुस अलैहि सलाम (Jonah)
21. धुल-किफ़्ल अलैहि सलाम (Ezekiel)
22. ज़करिया अलैहि सलाम (Zechariah)
23. याहया अलैहि सलाम (John the Baptist)
24. ईसा अलैहि सलाम (Jesus)
25. आखिरी रसुल सल्लाहो अलैहि वस्सलम (Ahmed)
इन नबीयों में से छ्ठें नबी “ईब्राहिम अलैहि सलाम” जिन्होने “काबा” को तामिल किया था उनका जन्म 1900 ईसा पूर्व हुआ था….

# तो भाई केबल २५ नवी की जानकारी के दम पर ये इस्लाम को पुराना धर्म बोल रहे है भाई बाकि 1,24,000 नबी और रसुल का क्या होगा ?????????
ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद उर-रसूलुल्लाह इस कलमे का अर्थ मुहम्मद ने बताया है की ईश्वर एक है और मुहम्मद उसके पैगम्बर है … जब की सब जानते है की इला एक देवी थी जिनकी पूजा होती थी और अल्लाह कोन था आज हम इस को भी समझेगे की सत्य क्या था ….?
और बहुत कुछ ये भी पढ़ा ….

अरब की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति और भारत।।।।।
अरब देश का भारत, भृगु के पुत्र शुक्राचार्य तथा उनके पोत्र और्व से ऐतिहासिक संबंध प्रमाणित है, यहाँ तक कि “हिस्ट्री ऑफ पर्शिया” के लेखक साइक्स का मत है कि अरब का नाम और्व के ही नाम पर पड़ा, जो विकृत होकर “अरब” हो गया। भारत के उत्तर-पश्चिम में इलावर्त था, जहाँ दैत्य और दानव बसते थे, इस इलावर्त में एशियाई रूस का दक्षिणी-पश्चिमी भाग, ईरान का पूर्वी भाग तथा गिलगित का निकटवर्ती क्षेत्र सम्मिलित था। आदित्यों का आवास स्थान-देवलोक भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित हिमालयी क्षेत्रों में रहा था। बेबीलोन की प्राचीन गुफाओं में पुरातात्त्विक खोज में जो भित्ति चित्र मिले है, उनमें विष्णु को हिरण्यकशिपु के भाई हिरण्याक्ष से युद्ध करते हुए उत्कीर्ण किया गया है।
उस युग में अरब एक बड़ा व्यापारिक केन्द्र रहा था, इसी कारण देवों, दानवों और दैत्यों में इलावर्त के विभाजन को लेकर 12 बार युद्ध ‘देवासुर संग्राम’ हुए। देवताओं के राजा इन्द्र ने अपनी पुत्री ज्यन्ती का विवाह शुक्र के साथ इसी विचार से किया था कि शुक्र उनके (देवों के) पक्षधर बन जायें, किन्तु शुक्र दैत्यों के ही गुरू बने रहे। यहाँ तक कि जब दैत्यराज बलि ने शुक्राचार्य का कहना न माना, तो वे उसे त्याग कर अपने पौत्र और्व के पास अरब में आ गये और वहाँ 10 वर्ष रहे। साइक्स ने अपने इतिहास ग्रन्थ “हिस्ट्री ऑफ पर्शिया” में लिखा है कि ‘शुक्राचार्य लिव्ड टेन इयर्स इन अरब’। अरब में शुक्राचार्य का इतना मान-सम्मान हुआ कि आज जिसे ‘काबा’ कहते है, वह वस्तुतः ‘काव्य शुक्र’ (शुक्राचार्य) के सम्मान में निर्मित उनके आराध्य भगवान शिव का ही मन्दिर है। कालांतर में ‘काव्य’ नाम विकृत होकर ‘काबा’ प्रचलित हुआ। अरबी भाषा में ‘शुक्र’ का अर्थ ‘बड़ा’ अर्थात ‘जुम्मा’ इसी कारण किया गया और इसी से ‘जुम्मा’ (शुक्रवार) को मुसलमान पवित्र दिन मानते है।
“बृहस्पति देवानां पुरोहित आसीत्, उशना काव्योऽसुराणाम्”-जैमिनिय ब्रा.(01-125)
अर्थात बृहस्पति देवों के पुरोहित थे और उशना काव्य (शुक्राचार्य) असुरों के।
प्राचीन अरबी काव्य संग्रह गंथ ‘सेअरूल-ओकुल’ के 257वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद से 2300 वर्ष पूर्व एवं ईसा मसीह से 1800 वर्ष पूर्व पैदा हुए लबी-बिन-ए-अरव्तब-बिन-ए-तुरफा ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता में भारत भूमि एवं वेदों को जो सम्मान दिया है, वह इस प्रकार है-
“अया मुबारेकल अरज मुशैये नोंहा मिनार हिंदे।
व अरादकल्लाह मज्जोनज्जे जिकरतुन।1।
वह लवज्जलीयतुन ऐनाने सहबी अरवे अतुन जिकरा।
वहाजेही योनज्जेलुर्ररसूल मिनल हिंदतुन।2।
यकूलूनल्लाहः या अहलल अरज आलमीन फुल्लहुम।
फत्तेबेऊ जिकरतुल वेद हुक्कुन मालन योनज्वेलतुन।3।
वहोबा आलमुस्साम वल यजुरमिनल्लाहे तनजीलन।
फऐ नोमा या अरवीयो मुत्तवअन योवसीरीयोनजातुन।4।
जइसनैन हुमारिक अतर नासेहीन का-अ-खुबातुन।
व असनात अलाऊढ़न व होवा मश-ए-रतुन।5।”
अर्थात- (1) हे भारत की पुण्यभूमि (मिनार हिंदे) तू धन्य है, क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझको चुना। (2) वह ईश्वर का ज्ञान प्रकाश, जो चार प्रकाश स्तम्भों के सदृश्य सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है, यह भारतवर्ष (हिंद तुन) में ऋषियों द्वारा चार रूप में प्रकट हुआ। (3) और परमात्मा समस्त संसार के मनुष्यों को आज्ञा देता है कि वेद, जो मेरे ज्ञान है, इनके अनुसार आचरण करो। (4) वह ज्ञान के भण्डार साम और यजुर है, जो ईश्वर ने प्रदान किये। इसलिए, हे मेरे भाइयों! इनको मानो, क्योंकि ये हमें मोक्ष का मार्ग बताते है। (5) और दो उनमें से रिक्, अतर (ऋग्वेद, अथर्ववेद) जो हमें भ्रातृत्व की शिक्षा देते है, और जो इनकी शरण में आ गया, वह कभी अन्धकार को प्राप्त नहीं होता।
इस्लाम मजहब के प्रवर्तक मोहम्मद स्वयं भी वैदिक परिवार में हिन्दू के रूप में जन्में थे, और जब उन्होंने अपने हिन्दू परिवार की परम्परा और वंश से संबंध तोड़ने और स्वयं को पैगम्बर घोषित करना निश्चित किया, तब संयुक्त हिन्दू परिवार छिन्न-भिन्न हो गया और काबा में स्थित महाकाय शिवलिंग (संगे अस्वद) के रक्षार्थ हुए युद्ध में पैगम्बर मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम को भी अपने प्राण गंवाने पड़े। उमर-बिन-ए-हश्शाम का अरब में एवं केन्द्र काबा (मक्का) में इतना अधिक सम्मान होता था कि सम्पूर्ण अरबी समाज, जो कि भगवान शिव के भक्त थे एवं वेदों के उत्सुक गायक तथा हिन्दू देवी-देवताओं के अनन्य उपासक थे, उन्हें अबुल हाकम अर्थात ‘ज्ञान का पिता’ कहते थे। बाद में मोहम्मद के नये सम्प्रदाय ने उन्हें ईष्यावश अबुल जिहाल ‘अज्ञान का पिता’ कहकर उनकी निन्दा की।
जब मोहम्मद ने मक्का पर आक्रमण किया, उस समय वहाँ बृहस्पति, मंगल, अश्विनी कुमार, गरूड़, नृसिंह की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित थी। साथ ही एक मूर्ति वहाँ विश्वविजेता महाराजा बलि की भी थी, और दानी होने की प्रसिद्धि से उसका एक हाथ सोने का बना था। ‘Holul’ के नाम से अभिहित यह मूर्ति वहाँ इब्राहम और इस्माइल की मूर्त्तियो के बराबर रखी थी। मोहम्मद ने उन सब मूर्त्तियों को तोड़कर वहाँ बने कुएँ में फेंक दिया, किन्तु तोड़े गये शिवलिंग का एक टुकडा आज भी काबा में सम्मानपूर्वक न केवल प्रतिष्ठित है,वरन् हज करने जाने वाले मुसलमान उस काले (अश्वेत) प्रस्तर खण्ड अर्थात ‘संगे अस्वद’ को आदर मान देते हुए चूमते है।
प्राचीन अरबों ने सिन्ध को सिन्ध ही कहा तथा भारतवर्ष के अन्य प्रदेशों को हिन्द निश्चित किया। सिन्ध से हिन्द होने की बात बहुत ही अवैज्ञानिक है। इस्लाम मत के प्रवर्तक मोहम्मद के पैदा होने से 2300 वर्ष पूर्व यानि लगभग 1800 ईश्वी पूर्व भी अरब में हिंद एवं हिंदू शब्द का व्यवहार ज्यों का त्यों आज ही के अर्थ में प्रयुक्त होता था।
अरब की प्राचीन समृद्ध संस्कृति वैदिक थी तथा उस समय ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल, धर्म-संस्कृति आदि में भारत (हिंद) के साथ उसके प्रगाढ़ संबंध थे। हिंद नाम अरबों को इतना प्यारा लगा कि उन्होंने उस देश के नाम पर अपनी स्त्रियों एवं बच्चों के नाम भी हिंद पर रखे ।
अरबी काव्य संग्रह ग्रंथ ‘ सेअरूल-ओकुल’ के 253वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम की कविता है जिसमें उन्होंने हिन्दे यौमन एवं गबुल हिन्दू का प्रयोग बड़े आदर से किया है । ‘उमर-बिन-ए-हश्शाम’ की कविता नयी दिल्ली स्थित मन्दिर मार्ग पर श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर) की वाटिका में यज्ञशाला के लाल पत्थर के स्तम्भ (खम्बे) पर काली स्याही से लिखी हुई है, जो इस प्रकार है -
” कफविनक जिकरा मिन उलुमिन तब असेक ।
कलुवन अमातातुल हवा व तजक्करू ।1।
न तज खेरोहा उड़न एललवदए लिलवरा ।
वलुकएने जातल्लाहे औम असेरू ।2।
व अहालोलहा अजहू अरानीमन महादेव ओ ।
मनोजेल इलमुद्दीन मीनहुम व सयत्तरू ।3।
व सहबी वे याम फीम कामिल हिन्दे यौमन ।
व यकुलून न लातहजन फइन्नक तवज्जरू ।4।
मअस्सयरे अरव्लाकन हसनन कुल्लहूम ।
नजुमुन अजा अत सुम्मा गबुल हिन्दू ।5।
अर्थात् – (1) वह मनुष्य, जिसने सारा जीवन पाप व अधर्म में बिताया हो, काम, क्रोध में अपने यौवन को नष्ट किया हो। (2) अदि अन्त में उसको पश्चाताप हो और भलाई की ओर लौटना चाहे, तो क्या उसका कल्याण हो सकता है ? (3) एक बार भी सच्चे हृदय से वह महादेव जी की पूजा करे, तो धर्म-मार्ग में उच्च से उच्च पद को पा सकता है। (4) हे प्रभु ! मेरा समस्त जीवन लेकर केवल एक दिन भारत (हिंद) के निवास का दे दो, क्योंकि वहाँ पहुँचकर मनुष्य जीवन-मुक्त हो जाता है। (5) वहाँ की यात्रा से सारे शुभ कर्मो की प्राप्ति होती है, और आदर्श गुरूजनों (गबुल हिन्दू) का सत्संग मिलता है
मुसलमानों के पूर्वज कोन?(जाकिर नाइक के चेलों को समर्पित लेख)


 स्व0 मौलाना मुफ्ती अब्दुल कयूम जालंधरी संस्कृत ,हिंदी,उर्दू,फारसी व अंग्रेजी के जाने-माने विद्वान् थे। अपनी पुस्तक “गीता और कुरआन “में उन्होंने निशंकोच स्वीकार किया है कि,”कुरआन” की सैकड़ों आयतें गीता व उपनिषदों पर आधारित हैं।
मोलाना ने मुसलमानों के पूर्वजों पर भी काफी कुछ लिखा है । उनका कहना है कि इरानी “कुरुष ” ,”कौरुष “व अरबी कुरैश मूलत : महाभारत के युद्ध के बाद भारत से लापता उन २४१६५ कौरव सैनिकों के वंसज हैं, जो मरने से बच गए थे।
अरब में कुरैशों के अतिरिक्त “केदार” व “कुरुछेत्र” कबीलों का इतिहास भी इसी तथ्य को प्रमाणित करता है। कुरैश वंशीय खलीफा मामुनुर्र्शीद(८१३-८३५) के शाशनकाल में निर्मित खलीफा का हरे रंग का चंद्रांकित झंडा भी इसी बात को सिद्ध करता है।
कौरव चंद्रवंशी थे और कौरव अपने आदि पुरुष के रूप में चंद्रमा को मानते थे। यहाँ यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि इस्लामी झंडे में चंद्रमां के ऊपर “अल्लुज़ा” अर्ताथ शुक्र तारे का चिन्ह,अरबों के कुलगुरू “शुक्राचार्य “का प्रतीक ही है। भारत के कौरवों का सम्बन्ध शुक्राचार्य से छुपा नहीं है।
इसी प्रकार कुरआन में “आद “जाती का वर्णन है,वास्तव में द्वारिका के जलमग्न होने पर जो यादव वंशी अरब में बस गए थे,वे ही कालान्तर में “आद” कोम हुई।
अरब इतिहास के विश्वविख्यात विद्वान् प्रो० फिलिप के अनुसार २४वी सदी ईसा पूर्व में “हिजाज़” (मक्का-मदीना) पर जग्गिसा(जगदीश) का शासन था।२३५० ईसा पूर्व में शर्स्किन ने जग्गीसी को हराकर अंगेद नाम से राजधानी बनाई। शर्स्किन वास्तव में नारामसिन अर्थार्त नरसिंह का ही बिगड़ा रूप है। १००० ईसा पूर्व अन्गेद पर गणेश नामक राजा का राज्य था। ६ वी शताब्दी ईसा पूर्व हिजाज पर हारिस अथवा हरीस का शासन था। १४वी सदी के विख्यात अरब इतिहासकार “अब्दुर्रहमान इब्ने खलदून ” की ४० से अधिक भाषा में अनुवादित पुस्तक “खलदून का मुकदमा” में लिखा है कि ६६० इ० से १२५८ इ० तक “दमिश्क” व “बग़दाद” की हजारों मस्जिदों के निर्माण में मिश्री,यूनानी व भारतीय वातुविदों ने सहयोग किया था। परम्परागत सपाट छत वाली मस्जिदों के स्थान पर शिव पिंडी कि आकृति के गुम्बदों व उस पर अष्ट दल कमल कि उलट उत्कीर्ण शैली इस्लाम को भारतीय वास्तुविदों की देन है।इन्ही भारतीय वास्तुविदों ने “बैतूल हिक्मा” जैसे ग्रन्थाकार का निर्माण भी किया था।
अत: यदि इस्लाम वास्तव में यदि अपनी पहचान कि खोंज करना चाहता है तो उसे इसी धरा ,संस्कृति व प्रागैतिहासिक ग्रंथों में स्वं को खोजना पड़ेगा……………………………..
भाइयो एक सत्य में आपको बताना चाहुगा की मुहम्मद को लेकर मुसलमानों में जो गलतफैमी है की मुहम्मद ने अरब से अत्याचारों को दूर किया … केबल अत्याचारियो को मारा , समाज की बुरयियो को दूर किया अरब में भाई भाई का दुश्मन था , स्त्रियो की दशा सुधारी … मुहमद एक अनपढ़ (उम्मी ) था …. आदि ..सत्य क्या है आप उस समय की जानकारियों से पता लगा सकते है … जब की उस समय अरब में सनातन धर्म ही था ..इसके कई प्रमाण है

१- जब मुहम्मद का जन्म हुआ तो पिता की म्रत्यु हो चुकी थी .. मा भी कुछ सालो बाद चल बसी .. मुहम्मद की देखभाल उनके चाचा ने की … यदि समाज में लालच , लोभ होता तो क्या उनके चाचा उनको पलते ?
२- खालिदा नामक पढ़ी लिखी स्त्री का खुद का व्यापर होना सनातन धर्म में स्त्रियो की आजादी का सबुत है… मुहमम्द वहा पर नोकरी करते थे ?
३- ३ बार शादी के बाद भी विधवा स्त्री का खुद मुहम्मद से शादी का प्रस्ताब ? स्त्रियो को खुद अपने लिए जीवन साथी चुने और विधवा स्त्री होने पर भी शादी और व्यापर की आजादी … सनातन धर्म के अंदर ..
४- खालिदा का खुद शिक्षित होना सनातन धर्म में स्त्रियो को शिक्षा का सबुत है
५- मुहम्मद का २५ साल का होकर ४० साल की स्त्री से विवाह ..किन्तु किसी ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया ..सनातन धर्म में हर एक को आजादी ..कोई बंधन नहीं
६- मुहम्मद का धार्मिक प्रबचन देना किसी का कोई विरोध ना होना जब तक सनातन धर्म के अंदर नये धर्म का प्रचार
७- मुहम्मद यदि अनपढ़ होते तो क्या व्यापर कर सकते थे ? नहीं ..मुहम्मद पहले अनपढ़ थे लेकिन बाद में उनकी पत्नी और साले ने उनको पढ़ना लिखना सीखा दिया था … सबूत मरते समय मुहम्मद का कोई वसीयत ना बनाने पर कलम और कागज का ना मिलना ..और कुछ लोगो का उनपर वसीयत ना बनाने पर रोष करना …
मुहम्मद को उनकी पत्नी ने सारे धार्मिक पुस्तकों जैसे रामायण , गीता , महाभारत , वेद, वाईविल, और यहूदी धार्मिक पुस्तकों को पढ़ कर सुनाया था और पढ़ना लिखना सीखा दिया था , आप किसी को लिखना पढ़ना सीखा सकते हो लेकिन बुद्धि का क्या ?…जो आज तक उसके मानने बालो की बुद्धि पर असर है .. जो कुरान और हदीश में मुहम्मद में लिखा या उनके कहानुसार लिखा गया बाद में , लेकिन किसी को कितना ही कुछ भी सुना दो लेकिन व्यक्ति की सोच को कोन बदल सकता है मुझे तुलसीदास जी की चोपाई याद आ रही है जो मुहम्मद पर सटीक बैठती है
ढोल , गवाँर ,शूद्र, पसु , नारी , सकल ताडना के अधिकारी …..
आप किसी कितना ज्ञान देदो बो बेकार हो जाता है जब कोई किसी चीज का गलत अर्थ लगा कर समझता है गवाँर बुद्धि में क्या आया और उसने क्या समझा ये आप कुरान में जान सकते है …. कुरान में वेदों , रामायण , गीता , पुराणों का ज्ञान मिलेगा लेकिन उसका अर्थ गलत मिलेगा ………
चलिए आपको कुछ रामायण जी से इस्लाम की जानकारी लेते है ………
ये उस समय की बात है जन राम और लक्ष्मण जी और भरत आपस में सत्य कथाओ को उन रहे थे .. तब प्रभु श्री राम ने राजा इल की कथा सुनायी जो वाल्मीकि रामायण में उत्तरकांड में आती है .. मै श्लोको के अनुसार ना ले कर सारांश में बता रहा हू ……
उत्तरकांड का ८७ बा सर्ग :=
प्रजापति कर्दम के पुत्र राजा इल बहिकदेश (अरब ईरान क्षेत्र के जो इलावर्त क्षेत्र कहलाता था ) के राजा थे , बो धर्म और न्याय से राज्य करते थे .. सपूर्ण संसार के जीव , राक्षस , यक्ष , जानबर आदि उनसे भय खाते थे .एक बार राजा अपने सैनिको के साथ शिकार पर गए उन्होंने कई हजार हिसक पशुओ का वध किया था शिकार में ,राजा उस निर्जन प्रदेश में गए जहा महासेन (स्वामी कार्तीय) का जन्म हुआ था बहा भगवन शिव अपने को स्त्री रूप में प्रकट करके देवी पार्वती का प्रिय पात्र बनने करने की इच्छा से वह पर्वतीय झरने के पास उनसे विहार कर रहे थे .. वह जो कुछ भी चराचर प्राणी थे वे सब स्त्री रूप में हो गए थे , राजा इल भी सेवको के साथ स्त्रीलिंग में परिणत हो गए …. शिव की शरण में गए लेकिन शिवजी ने पुरुषत्व को छोड़ कर कुछ और मानने को कहा , राजा दुखी हुए फिर बो माँ पार्वती जी के पास गए और माँ की वंदना की .. फिर माँ पार्वती ने राजा से बोली में आधा भाग आपको दे सकती हू आधा भगवन शिव ही जाने … राजा इल को हर्ष हुआ .. माँ पार्वती ने राजा की इच्छानुसार वर दी की १ माह पुरुष राजा इल , और एक माह नारी इला रहोगे जीवन भर .. लेकिन दोनों ही रूपों में तुम अपने एक रूप का स्मरण नहीं रहेगा ..इस प्रकार राजा इल और इला बन कर रहने लगे
८८ बा सर्ग := चंद्रमा के पुत्र पुत्र बुध ( चंद्रमा और गुरु ब्रस्पति की पत्नी के पुत्र ) जो की सरोवर में ताप कर रहे थे इला ने उनको और उन्होंने इला को देखा …मन में आसक्त हो गया उन्होंने इला की सेविका से जानकारी पूछी ..बाद में बुध ने पुण्यमयी आवर्तनी विधा का आवर्तन (स्मरण ) किया और राजा के विषय में सम्पुण जानकारी प्राप्त करली , बुध ने सेविकाओ को किंपुरुषी (किन्नरी) हो कर पर्वत के किनारे रहने और निवास करने को बोला .. आगे चल कर तुम सभी स्त्रियों को किंपुरुष प्राप्त होगे .. बुध की बात सुन किंपुरुषी नाम से प्रसिद्ध हुयी सेविकाए जो संख्या में बहुत थी पर्वत पर रहने लगी ( इस प्रकार किंपुरुष जाति का जन्म हुआ )
८९ सर्ग := बुध का इला को अपना परिचय देना और इला का उनके साथ मे में रमण करना… एक माह राजा इल के रूप में एक माह रूपमती इला के रूप में रहना … इला और बुध का पुत्र पुरुरवा हुए

९० सर्ग;= राजा इल को अश्वमेध के अनुष्ठन से पुरुत्व की प्राप्ति बुध के द्वारा रूद्र( शिव ) की आराधना करना और यज्ञ करना मुनियों के द्वारा ..महादेव को दरशन देकर राजा इल को पूर्ण पुरुषत्व देना … राजा इल का बाहिक देश छोड़ कर मध्य प्रदेश (गंगा यमुना संगम के निकट ) प्रतिष्ठानपुर बसाया बाद में राजा इल के ब्रहम लोक जाने के बाद पुरुरवा का राज्य के राजा हुए
- इति समाप्त
आज के लेख से आपके प्रश्न और उसके जबाब …..
1. इस्लाम में बोलते है की इस्लाम सनातन धर्म है और बहुत पुराना है ? और अल्लाह कोन था ? कलमा में क्या है ?
# भाई आसान सबाल का आसान उत्तर है की सनातन धर्म सम्पूर्ण संसार में था और लोगो का विश्वास धर्म पर बहुत गहरा था , मुहम्मद ने जब सनातन धर्म के अंदर ही अपने धर्म का प्रचार किया था तो लोगो ने विरोध नहीं किया था ..लेकिन जब उसने सनातन धर्म का विरोध किया तो उसको मक्का छोडना पड़ा था … मुहम्मद कैसा भी था लेकिन देश भक्त था बो चाहता था जैसे पूरब का देश (भारत) का धर्म सम्पूर्ण संसार में है और सब उसको सम्मान देते है वैसे ही बो अरब के लिए चाहता था …. लेकिन जब उसको अपने ही शहर से निकला गया तो बो समझ गया की सनातन धर्म को कोई खतम नहीं कर सकता है लेकिन बो इसका रूप बदल सकता है …जिससे लोगो में विद्रोह का डर भी नहीं रहेगा … जब उसने काबा को जीता और उसकी सारी ३६० मुर्तिया और शिवलिंग तोडा … उसको कुछ याद आया और उसने कुछ नीचे के भाग(शक्ति) को चांदी में करके काबा की दीवार से लगा दिया और अपनी गलती के लिए पत्थर को चूमा (क्युकि उसका परिबार कई पीडीयो से इसकी रक्षा और पूजा करता आ रहा था ) और बोला तो केबल पत्थर है और कुछ और नहीं …….
इस्लाम के बारे में 1372 साल पहले अस्तित्व में आया था. यह सर्वविदित है कि 7500 साल पहले से अधिक, महाभारत युद्ध के समय में, कुरूस दुनिया शासन. कि परिवार के घरानों के वारिस के विभिन्न क्षेत्रों दिलाई. पैगंबर मोहम्मद खुद को और अपने परिवार के वैदिक संस्कृति के अनुयायियों थे. विश्वकोश इस्लामिया के रूप में बहुत मानते हैं, जब यह कहते हैं: “के मोहम्मद दादा और चाचा जो 360 मूर्तियों स्थित काबा मंदिर के वंशानुगत याजक थे!”
(ये मेरे एक मुस्लिम मित्र ने बताया था ….. की …
“काबा” में जो ३६० बुत रखे थे वो किसी तुफ़ान में नही टुटे थे बल्कि उनको “मक्का फ़तह” के वक्त हुज़ुर सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपनी छ्डी से तोडा था…हर बुत को तोड्ते जा रहे थे और कुरआन की आयत पढते जा रहे थे सुरह बनी इसराईल सु.१७ : आ. ८१ “और तु कह कि अल्लाह की तरफ़ से हक आ चुका है और झुठ नाबूद हो चुका है क्यौंकि झुठ बर्बाद होने वाला है….. )
तो उसने ये बोलना शुरू किया की अल्लाह का कोई आकार नहीं है बो निराकार है …जो की सनातन धर्म का ही एक भाग है (वेद से) …
• अल्लाह कोन था ?
मोहम्मद का जन्म हुआ Qurayshi जनजाति विशेष रूप से अल्लाह (पार्वती ) और चंद्रमा भगवान (शिव)की तीन बच्चों (त्रिदेवी – काली(७) , गोरी (दुर्गा ८) , सरस्वती (ज्ञान की देवी) या कात्यानी (सिद्धि की देवी) को समर्पित किया गया था. इसलिए जब मुहम्मद अपने ही देवी धर्म बनाने का फैसला किया, और ७८६ (जिससे ओम भी बनता है)
चुकी मुहम्मद एक लुटेरा था इस कारण बो अल्लाह को मानता था केबल (जैसे डाकू माँ काली की पूजा करते है ) कारण था की उसने ये रामायण की कथा सुन ली थी जिस कारण बो भगवान शिव की पूजा से बच कर शक्ति की पूजा करता था …. क्युकि माँ पार्वती ने ही राजा इल को वरदान दिया था और शिव के कारण ही समस्या हुयी टी ऐसा शयद बो सोचता था … इस लिए बो अल्लाह (पार्वती) के निर्गुण मानता था … मुहम्मद से भारत का नाम धर्म से हटाने के लिए हिन्दू देवी देवताओ को इस्लाम के नवी और पैगम्बर बोलना शुरु कर दिया और सनातन धर्म से उल्टा काम करना … जैसे काबा के ७ चक्कर (उलटे ), आदि जिससे उसको जनता से कोई परेशनी नहीं हुयी जिससे हुयी उसको उसने खत्म कर दिया …
• दिन की जगह रात में पूजा .?..
क्युकि भगवान शिव और शक्ति की पूजा रात्रि में ही होती है और सनातन धर्म का नाम इस्लाम रख दिया कुछ समय बाद जब बहुत कुछ उसके हाथो में आ गया ….
• कलमा में क्या है ?
ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद उर-रसूलुल्लाह इस कलमे का अर्थ मुहम्मद ने बताया है की ईश्वर एक है और मुहम्मद उसके पैगम्बर है … अब जब की सब जानते है की इला और इल एक थे , जिनकी पूजा होती थी और अल्लाह (पार्वती शक्ति ) थी ..और मुहम्मद शक्ति मत को मानने और फ़ैलाने वाले ,
2. इस्लाम के आदम और ईव कोन कोन थे ?
# इस कथा के अनुसार राजा इल की आदम था और बो ही ईव … क्युकि आदम से ही ईव पैदा हुयी ऐसा इस्लाम और ईसाई मत है …और बाद में आदम और ईव (राजा इल ) को अपना देश छोडना देना ..इस मत को सिद्ध करता है
3. इस्लाम में हरा रंग क्यों ? चाँद और तारा क्यों ?
# इस्लाम में अपने पूर्वजो को पूजता है ये जग जाहिर है … हिन्दुओ में सब जानते है की नव ग्रह ने बुध एक ग्रह है और बो स्याम वर्ण और हरा रंग पहनते है ज्ञान के देवता कहलाते है .. लकिन उनके जन्म पर कुछ अजीब किस्सा है जिससे कुछ मुस्लिम हिन्दू धर्म को बदनाम करते है जब की ये इसके ही पूर्वजो की कहानी है … चंदमा के द्वारा देवताओ के गुरु ब्रस्पति की पत्नी तारा के संयोग से उत्पन्न हुए थे जिसके कारण आज भी मुसलमान चाँद तारा को देख कर अपना रोजा खोते है और ईद मानते है .. साथ ही अपने झंडो और धार्मिक स्थान में प्रयोग करते है
4. क्यों शेख लोग ओरत और मर्द दोनों को पसंद करते है ? क्यों शेख स्त्री जैसे बोलते और रहते है ?
# जैसा की इस कथा से जाहिर है की भगवान शिव ने उस क्षेत्र को स्त्री लिंग में बदल दिया था … ये बाद मे शुक्राचार्य(दत्यो के गुरु) जी के आने के बाद सब सही हुआ था अन्यथा तो सब स्त्री में था जिस कारण सभी में स्त्री अंश रह गया है
5. क्यों किन्नर अधिकतर मुस्लमान होते है ?
# कथा के अनुसार किन्नर की उत्पत्ति राजा इल के सेवको का स्त्री में हो जाने के कारण हुयी ..जिनको बुध ने उसी क्षेत्र (पर्वत के पास ) रहने को बोला था
भाइयो ये सत्य मैंने किसी धर्म का मजाक उड़ने के लिए नहीं बताया है .. मैंने केबल सत्य को सामने लाना चाहता हू ..आज हमारे हिन्दू समाज में ही बहुत से लोग राम और कृष्ण के साथ साथ सम्पूर्ण सनातन धर्म को बदनाम करने की सोचते है … इस कारण इस ग्रंथो को और राम , कृष्ण को कल्पनिक बता कर या कभी .. सत्य का मजाक उड़ा कर सत्य को छिपाने की कोशिस करते है लेकिन जो सत्य है तो सूरज की तरह है जो बदलो से कुछ समय के लिए कुछ लोगो से छिप सकता है सब से नहीं और नहीं ज्यादा देर तक … संतान धर्म तो उस गंगा , यमुना की तरह है जो निरंतर बहता रहत है ..और लोगो को सही राह दिखता है ..जो निर्मल और पवित्र है … जिसमे सादा ही परिवर्तन ..समय के अनुसार होते रहे है … जो वैज्ञानिक और अधात्मिक दोनों रूपों ने सिद्ध है … यहाँ मैंने एक कथा बुध के जन्म की सुनायी है जो पुराणों से है लेकिन इसका अर्थ भी कुछ और है.


आदर्श दुर्गुण !


                    कुरान में मुहम्मद के द्वारा किये गए हरेक काम को मुसलमानों के लिए आदर्श उदाहरण (Good Example )बताया गया है .और इसी को सुन्नत कहा गया है .इसका अर्थ है कि मुसलमानों को वही काम करना चाहिए ,जो मुहम्मद करता था ,या जो भी काम उसने किये थे उसका अनुकरण करना जरूरी है .कुरआन में यही लिखा है -
“निश्चय ही तुम्हारे लिए रसूल का उत्तम आदर्श मौजूद है .जो भी अंतिम दिन आशा रखता है ,रसूल का अनुसरण करे .सूरा -मुम्तहिना 60 :6
“निश्चय ही तुम्हारे लिए अल्लाह के रसूल का आदर्श पर्याप्त है “.सूरा -अहजाब 33 :21
मुसलमान मुहम्मद को एक पूर्ण मानव या “कामिल इन्सान “बताते हैं और उसके हरेक काम को सद्गुण कहते हैं .
मुसलमान मुहम्मद के चरित्र को “उस्व ए हसना ” या اسوهِ حسنه उतम चरित्र कहते हैं .
अब आपको मुहम्मद के कुछ उत्तम चरित्र या सद्गुणों के बारे में प्रमाणिक हदीसों और इस्लाम की तवारीख से हवाले दिए जा रहे हैं .कुछ हदीसे लम्बी होने के कारण उसका सारांश ही लिया जा रहा है .पूरी हदीस साथ में दी गयी साईट में देख सकते हैं .यद् रखिये कि मुहम्मद का एक एक कार्य सुन्नत बन जाता था .और कानून का दर्जा प्राप्त कर लेता था .इसी को शरीयत भी कहा जाता है .और जो इसका इंकार करता है ,वह काफ़िर घोषित कर दिया जाता है .
अब संक्षिप्त में मुहम्मद के आदर्श कार्यों या सद्गुणों (दुर्गुणों )के नमूने देखिये -
1 -यहूदी द्वेषी )Antismetic )
“अबू हुरेरा ने कहा कि रसूल ने कहा कि जब तक हम ईसाइयों और यहूदियों का जमीन से सफाया नहीं करेंगे ,फैसले का अंतिम दिन नहीं आयेगा .इस लिए यहूदियों और ईसाइयों को क़त्ल करो .अगर वह किसी पत्थर या पेड़ के अन्दर भी छुप जायेंगे तो पेड़ बोल लार उनका पता दे देगा .लेकिन “गरकाद”का पेड़ चुप रहेगा .क्योंकि वह खुद यहूदी है .मुस्लिम-किताब 41 हदीस 6985 ,बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 791
2 -जादू ग्रस्त (Bewictched )
“आयशा ने कहा कि ,बनू जुरैक के कबीले के एक यहूदी लाबिद बिन अल असाम ने रसूल रसूल पर जादू कर दिया था .जिस से वह दीवाने हो गए थे .उनके मुंह से गलत आयते निकलती थीं .ऎसी हालत कई महीनों तक रही .जब हमने टोटका किया तो वे ठीक हुए .”.
मुस्लिम -किताब 26 हदीस 5428
3 -रिश्वतबाज (Briber )
“कुरेश के लोगों ने रसूल से शिकायत की ,कि आप लूट के मॉल से “नज्द “के सरदार को रिश्वत देते है ,लेकिन हमें कुछ नहीं देते .रसूल ने कहा कि मैं ऐसा इस लिए करता हूँ ,ताकि वह लोगों को इस्लाम के प्रति आकर्षित करे.बुखारी -जिल्द 4 किताब 55 हदीस 558
4 -बाल उत्पीड़क (Child Abuser )
“अस सुब्र ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जैसे ही तुम्हारे बच्चे 6 साल के हो जाएँ ,तो उनसे नमाज पढाओ ,और रसूल पर दरूद पढ़ने को कहो.अगर वह ऐसा न करें तो उनकी बेंतों से धुनाई करो .अबू दाऊद-किताब 2 हदीस 294 और 295
5 -बाल हत्यारा (Child Killer )
“अल अतिया अल कारजी ने कहा कि ,जब रसूल ने बनू कुरेजा के कबीले पर हमला किया था ,तो हरेक बच्चे के कपडे उतार कर जाँच की ,जिन बच्चों के नीचे के बाल (Pubic hair ) निकल रहे थे ,उन सब बच्चों को क़त्ल करा दिया गया .उस वक्त मेरे बाल नहीं उगे थे ,इसलए मैं बच गया था .मुस्लिम -किताब 38 हदीस 4390
“अस सबा बिन जसमा ने कहा कि ,रसूल ने “अल अबबा”की जगह पर काफिरों के साथ उनके बच्चों को भी क़त्ल कर दिया था .और औरतों को कैद करके लोगों में बाँट दिया था .बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 256
6 -स्त्री वेशधारी (Cross Dresser )
“अब्दुला बिन अब्दुल वहाब ने कहा कि ,एक बार मैं रसूल के घर गया ,मैं उनको तोहफा देने गया था .रसूल ने उमे सलमा सेकहा कि ,मुझे परेशां नहीं करो इस वक्त मैं आयशा के कपडे पहिने हुए हूँ ,जैसा हमेशा करता हूँ .मुस्लिम -किताब 2 हदीस 3941
7 -तिरस्कृत (Dispraised )
“अबू हुरैरा ने कहा कि ,कुरैश के लोग मुहम्मद को रसूल नहीं बल्कि पाखंडी मानते थे .और उसे धिक्कारते थे .वे मुहम्मद को “मुहम्मम “कह कर मजाक उड़ाते थे .बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 733
8 -अहंकारी (Egoist )
“अबू सईद बिन मुल्ला नेकहा कि ,एक बार मैं नमाज पढ़ रहा था .तभी रसूल ने मुझे पुकारा .मैनेनाहीं सुना ,जब रसूल ने चार पांच बार पुकारा तो मैं उनके पास गया .रसूल ने कहा कि नमाज से जादा रसूल की बात सुनना जरूरी है ,उसी समय रसूल ने यह आयत बना दी थी .जिसमे कहा गया है “अपने रसूल की बात पाहिले सुनो .कुरआन -सूरा अल अन आम 8 :24 “बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 226
बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 1 .और बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 170
9 -द्वेष प्रचारक (Hate Preacher )
“अबू जर ने कहा कि रसूल ने कहा कि ,अल्लाह ने मुझे दुनिया में नफ़रत फैलाने का काम सौंपा कर लिए भेजा है.और अल्लाह के नाम पर लोगों के बीच नफ़रत फैलाना उत्तम काम है.इसा से ईमान पुख्ता होता है .नफ़रत ईमान का हिस्सा है.अबू दाऊद-किताब 40 हदीस 4582 -4583 .
10 – खुशामद पसंद(Magalomaniac )
“अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि,जब तक तुम अपने बाप और बच्चों से अधिक मुझे अपना अजीज नहीं मानते ,मुसलमान नहीं बन सकते.तुम सारी दुनिया और अपने बाप और बच्चों से मुझे अपना हितैषी मानो.बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 12 और 13
11 -मोटा और स्थूल (ओबेसे )
“अबू बाजरा ने कहा कि एक बार रसूल को मोटापे के कारण एक पड़ी पर चढ़ने में तकलीफ हो रही थी ,ताल्हा बिन अबू उबैदुल्ला ने मुस्लिम नामके एक आदमी से कुछ लोगों बुलवाया ,और कहा देखो यह रसूल तुम्हारा बोझा हैं ,जो काफी भारी है .इसे ध्यान से ऊपर उठाना .फिर उन लोगों ने रसूल को ऊपर चढ़ाया.अबू दाऊद-कताब 40 हदीस 4731
12 -लुटेरा (Plundarer )
“जबीर बिन अब्दुल्ला ने कहा कि रसूल ने कहा कि ,अल्लाह ने मेरे लिए लूट का माल हलाल कर दिया है.बुखारी -जिल्द 4 किताब 53 हदीस 351
(नोट -इसके बारे में पूरा विवरण “लुटेरा रसूल “शीर्षक से अलग से दिया जाएगा )
13 -चरित्रहीन(Characterless )
“आयशा ने कहा कि रसूल के कई औरतों से गलत सम्बन्ध थे.फिर भी वह दूसरी औरतों को बुला लेते थे.और अपनी औरतों के लिए समय और दिन तय कर देते थे.पूछने पर कहते थे ,तुम चिंता नहीं करो ,तुम्हारी बारी तुम्हीं को मिलेगी .अगर मैं अल्लाह इच्छा पूरी करता हूँ ,तो तुम्हें जलन नहीं होना चाहिए .बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 311
(नोट -इसी बात पर कुरान की सुरा -अहजाब 33 :51 naajil
14 -नस्लवादी (Racist )
“अनस बिन मालिक ने कहा कि रसूल ने कहा कि ,हारेग गुलाम को अपने मालिक के हरेक आदेश पा पालन करना चाहिए .और हरेक काले लोग (Negro )हबशी दास होने के योग्य हैं.क्योंकि उनका रंग काले सूखे अंगूर की तरह (Raisin )की तरह है .बुखारी – जिल्द 9 किताब 89 हदीस 256 .और बुखारी -जिल्द 1 किताब 11 हदीस 662 और 664
15 -कामरोगी(Sex Addict )
“अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल बारी बारी से लगातार अपनी पत्नियों और दसियों से सम्भोग करते थे ,फिर भी उनकी वासना बनी रहती थी .बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 142 .
“अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल बारी बारी से हरेक औरत के साथ सम्भोग कर्राते थे .लेकिन उनकी वासना शांत नहीं होती थी .और जब भी युद्ध में औरतें पकड़ी जाती थीं ,रसूल उनके साथ सम्भोग जरुर करते थे.बुखारी -जिल्द 1 किताब 5 हद्दीस 268
16 -गुलामों का शौकीन (Slaver (
मुहम्मद को गुलाम रखने का शौक था .वह गुलाम बनाता भी था और उनका व्यापार भी करता था .मुहमद के पास मर्द और औरत गुलाम थे .कूछ के नाम इस प्रकार हैं -
मर्द गुलाम -साकन,अबू सरह ,अफ़लाह,उबैद ,जकवान ,तहमान,मिरवान,हुनैन ,सनद ,फदला,यामनीन,अन्जशा अल हादी ,मिदआम ,करकरा ,अबू रफी ,सौवान,अब कवशा,सलीह ,रवाह ,यारा ,नुवैन ,फजीला ,वकीद ,माबुर,अबू बकीद,कासम ,जैदइब्ने हरीस ,और महरान .
स्त्री गुलाम -सलमा उम्मे रफी ,मैमूना बिन्त असीब ,मैमूना बिन्त साद ,खदरा ,रिजवा ,रजीना,उम्मे दबीरा ,रेहाना ,और अन्य जो भेंट में मिली थीं
17 -हताश (Hopeless )
“अबू हुरैरा ने कहा कि ,जब मुहम्मद के उस्ताद “वर्का बिन नौफिल “मर गए तो ,कुरआन की आयतें आना बंधो गयीं थीं .और रसूल इतने हताश हो गए कि ,वे आत्महत्या के लिए एक पहाड़ी पर चढ़ गए थे.क्योंकि कई महीनों से कोई नई आयत नहीं बनी थी .बाद में रसूल ने अपना इरादा बदल लिया था .और कोई दूसरा उपाय खोज लिया था ..बुखारी -जिल्द 9 किताब 87 हदीस 111
18 -आतंकवादी (Terrorist )
“अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,मुझे अल्लाह ने आदेश दिया है कि मैं लोगों के दिलों में दहशत पैदा कर दूँ ,ताकि लोग भयभीत होकर अपने खजाने और सत्ता मेरे हाथों में सौंप दें .बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 220
19 -अत्याचारी (Torturer )
“अबू हुरैरा ने कहा कि,एक ग्रामीण ने रसूल को “अबे मुहम्मद “कहकर पुकारा ,रसूल ने उसकी जीभ काटने का हुक्म देदिया था .और लोगों ने उसे पकड़ कर उसकी जीभ काट दी
.इब्ने इशाक -हदीस 595
“अबू हुरैरा ने कहा कि ,एक मुआज्जिन ने ईशा कि नमाज में अजान देने में देर कर दी ,रसूल ने उसको उसके घर सहित जिन्दा जलवा दिया .और वह माफ़ी मांगता रहा .
बुखारी -जिल्द 1 किताब 11 हदीस 626
20 -गन्दा (Unclean )
“अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल के सिर में जुएँ (Lice )भरी रहती थी ,वे नहीनों नही नहाते थे .और “उम्मे हरम “रसूल के सिर से जुएँ निकालती थी .उम्मे हरम “उदबा बिन अस साबित “की पत्नी थी .उसका काम रसूल के जुएँ निकालना था .बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 47
21 -अशिष्ट (Mannerless )
“आयशा ने कहा कि ,एक बार “अल अवाली “गाँव केलोग रसूल का दर्शन करने के लिए आये .वे काफी दूर से पैदल आये थे ,और थके हुए थे .और आराम करना चाहते थे .रसूल ने उनको गाली देकर भगा दिया .बुखारी -जिल्द 2 किताब 13 हदीस 25
22 -पत्नी पीडक (Wife Beater )
“मुहम्मद बिन किस ने कहा कि ,आयशा ने बताया कि एक बार रसूल रत को चुपचाप “अल बाक़ी “के कब्रिस्तान में चले गए.मैंने उनका पीछा किया .रसूल अजीब सी हरकतें कर रहे थे ,और हाथ हिला कर किसी से बातें कर रहे थे ,मैं चुपचाप जल्दी से घर आ गयी ,जब मैंने रसूल से इसके बारे में पूछा तो ,वह नाराज हो गए ,और मुझे नीचे पटक कर गिरा दिया .फिर मेरे दानों स्तनों पर घूंसे मारने लगे .जिस से मुझे कई दिनों तक दर्द होता रहा .सही मुस्लिम -किताब 4 हदीस 2127
23 -धनलोभी(Greedy )
“अल मसूद अल अंसार ने कहा कि ,हम रसूल के आदेश से बाजारों में जाते थे ,और जकात के बहाने दुकान में जोभी होताथा उठा लेते थे .यदि धन नहीं मिलाता तो अनाज या कपडे उठा लेते थे .रसूल कहते थे एक ऐसा समय था ,जब मैं गरीब था .लेकिन आज मेरे पास हजारों दीनार हैं .तो कल मेरे पास सौ हजार दीनारें होंगीं .बुखारी -जिल्द 2 किताब 24 हदीस 497
हम चाहते है
मेरा उन सभी लोगों से अनुरोध है जो,मुस्लिम ब्लोगरो के दुष्प्रचार ,झूठ से प्रभावित होकर मुहम्मद को एक आदर्श व्यक्ति मानने की भूल कर रहे हैं .यह तो थोड़े से उदाहरण हैं .मुहम्मद के आदर्श दुर्गुणों के बारे में जितना लिखा जाये उतना ही कम पडेगा .हरेक मुसलमान में मुहम्मद के यही आदर्श दुर्गुण अवश्य मौजूद होते हैं .यही मुसलमानों की पहिचान है .यही मुसलमान अपने बच्चों को सिखाते हैं और इन्ही गुणों को अपना कर जिहादी तैयार होते हैं .
मेरा अपने मित्रों से निवेदन है की ,मेरे सभी लेखों को धारावाहिक की तरह से नियमित रूप से पढ़ें और दूसरों को पढ़ायें .ताकि इस्लाम .कुरान ,और मुहम्मद संबंधी उनके भ्रमों का निर्मूलन हो जाये .और वे किसी जिहादी ब्लोगर के जाल में फंस कर अपनी संस्कृति और धर्म को न भूल जाएँ .वर्ना भारत से हमारा अस्तित्व मिट जाएगा .

                                                      धन्यवाद '''
                                                     एक हिन्दू 

36 घाघ व भड्डरी की ‘‘कृषि व मौसम संबंधी कहावतें’’!!

"chakravartee samrat shree shree sahastranjun " 
**********haihay vansh*********


घाघ व भड्डरी की ‘‘कृषि व मौसम संबंधी कहावतें’’!!

from googleघाघ और भड्डरी में अवश्य ही में कोई दैवीय प्रतिभा थी। क्योंकि उनकी जितनी कहावतें हैं, प्रायः सभी अक्षरशः सत्य उतरती हैं। गांवों में तो इनकी कहावतें किसानों को कंठस्थ हैं। इनकी  कहावतों के अनेक संग्रह मिलते हैं. परन्तु इनमें पाठांतरों की भरमार है। इसी कारण इनकी बहुत-सी कहावतों के फल ठीक नहीं उतरते। इसलिए मैंने इनकी  अत्यधिक प्रचलित, कृषि व मौसम संबंधी कहावतों को ही अपने इस ब्लॉग में सम्मिलित किया है। साथ ही कुछ कहावतों को मैंने वर्तमान परिपेक्ष्य में उदाहरण सहित प्रस्तुत किया है, ताकि पाठक कहावतों के सही अर्थ को ह्रदयंगम कर सकें।
चैते वर्षा आई और सावन सूखा जाई।
एक बूंद जो चैत में परे सहसबूंद सावन की हरै।

घाघ! कहते हैं यदि चैत के महीने में वर्षा होगी तो सावन के महीने में कम वर्षा होगी। यदि एक बूंद भी वर्षा की पड़ती है, तो वह सावन की हजार बूंदों को समाप्त कर देती है। पाठकजनों! आपको याद होगा इस बार चैत्र (मार्च-अप्रैल) के माह में प0 उत्तर प्रदेश में वर्षा हुई थी, किसानों को उस माह अपनी गेहूं की फसल में पानी नहीं देना पड़ा, जबकि उस माह में अधिकतर वर्षा नहीं होती, परिणाम हमारे सामने है, पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में सावन का महीना लगभग सूखा गया है।

माघ के ऊमष जेठ के जाड़, पहिला वर्षा भरिगे ताल।
कहैंघाघ हम होई बियोगी, कुआ खोदि के धोईहैं धोबी।।

घाघ! कहते हैं-यदि माघ के महिने में जाड़े के बजाय गर्मी पड़े और जेठ में गर्मी के जगह जाड़ा पड़े व पहली वर्षा से तालाब भर जाये तो समझ लेना चाहिए कि इस वर्ष इतना सूखा पड़ेगा कि धोबियों को भी कपड़े धोने के लिए जल कुएं से खींचना पड़ेगा। पाठकजनों! इस बार जेठ (मई-जून) के माह में गर्मी औसत से कम थी, परिणाम हमारे सामने है पूरा पश्चिम उत्तर प्रदेश काफी हद तक सूखे की चपेट में है।

मंगल रथ आगे चलै, पीछे चले जो सूर।
मन्द वृष्टि तब जानिये, पडती सगले धूर।।

इस कहावत में घाघ! ज्योतिष के अनुसार ग्रह-गोचर देखकर, वर्षा की भविष्यवाणी कैसे करे बताते हैं, यदि ग्रह-गौचर में मंगल आगे और सूर्य पीछे हो निश्चित ही सूखा पड़ता है। पाठकजनों!! इस वर्ष में जनवरी से अप्रैल तक मंगल गौचर में सूर्य से आगे रहे हैं, परन्तु 15 अप्रैल से सूर्य, मंगल से आगे चल रहे हैं।

आगे रवि पीछे चले, मंगल जो आषाड़।
तौ बरसे अनमोल हो, पृथ्वी आनन्द बाढ़।

जिस वर्ष गौचर में सूर्य के पीछे मंगल रहते हैं उस साल वर्षा खूब होती है और पृथ्वी पर आनन्द होता है।


माघ में जो बादर लाल घिरै, सांची मानो पाथर परै।
भड्डरी! कहते हैं कि यदि माघ के महीने में लाल रंग के बादल दिखाई दे तो निश्चय ही ओले पडते हैं।

जेठ चले पुरवाई, सावन सूखा जाई।
भड्डरी! कहते हैं, यदि जेठ के महिने में पुरवा हवा चले तो सावन के महिने में सूखा पड़ेगा, ऐसा मानना चाहिए।

रात दिन घम छाहीं, घाघ कहै अब बरखा नाही।
पूनों पड़वा गाजै, दिना बहत्तर बाजै।।

कवि घाघ! कहते हैं कि रात दिन धूल छाई रहे तो वर्षा नहीं होगी, यदि जेठ के महिने में पूनो और परवा का बादल गर्जे तो समझ लो कि दो माह तक वर्षा नहीं होगी।

सवन शुक्ला सप्तमी, उगत न दीखै भान।
तब तक वर्षा होइगी, जो लगि देवउठान।।

घाघ! कहते हैं कि यदि सावन सुदी की सप्तमी को सूर्य बादल से ढका रहे तो देवउठान तक वर्षा होती है।

माघ पूस जो दखिना चले, तो सावन में लक्षन भले।
घाघ! कहते हैं कि यदि माघ तथा पूस के महिने में दक्षिण दिशा की हवा चले तो सावन में अच्छी वर्षा होती है।

दिन में गर्मी रात को ओस, कहै घाघ वर्षा सौ कोष।
घाघ! कहते है यदि दिन में गर्मी और रात को ओस पड़े तो वर्षा की कोई आशा नहीं है।


करिया बादल डरवावे, भुवरा बादल पानी लावे।
घाघ! कहते हैं काला बादल केवल वर्षा का भय दिखाता है, जबकि भूरा बादल अच्छी वर्षा करता है।

पूरब के बादल पछियां जाय, पतली छांडि के मोटी पकाव।
पछुवा बादर पूरब को जावे, मोटी छांडि के पतली खावे।।

घाघ! कहते हैं कि यदि बादल पूरब से पश्चिम की ओर जाये जो वर्षा अच्छी होती है, अन्न खूब पैदा होता है, यदि पश्चिम से पूरब की ओर हवा चले तो वर्षा कम होती है।

शुक्रवार की बादरी रही शनीचर छाय।
ऐसा बोले भड्डरी बिन बरसे ना जाय।।

भड्डरी! कहते हैं कि यदि शुक्रवार के दिन होने वाले बादल शनिवार तक छाये रहें तो वर्षा अवश्य होती है।
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सावन केरे प्रथम दिन उगत न दिखे भान।
चार महिना पानी बरसें जानों इसे प्रमान।

घाघ! कहते हैं कि सावन प्रतिपदा को यदि सूरज उगता न दिखायी पड़े तो चार मास तक खूब वर्षा होती है।

माघ मास की बादरी, और क्वार का घाम।
ये दोनों जो कोई सहै, करै पराया काम।।

घाघ! कहते हैं कि वही व्यक्ति नौकरी कर सकता है जो माघ के महिने की बदली तथा क्वार के महिने का घाम सहन कर सकता हो।

भोर समें डर डम्बरा रात उजेरी होय।
दुपहरिया सूरज तपै दुरभिक्ष तेऊ जोय।।

घाघ! कहते हैं यदि प्रातःकाल बादल घिरे, दोपहर को सूरज तपे और रात में आकाश स्वच्छ रहे तो निश्चय दुर्भिक्ष जानो।

मटका में पानी गर्म चिडि़या न्हावे धूर।
चिउंटी अन्डा लै चलै तौ बरषा भरपूर।

भड्डरी! वर्षा आने का एक संकेत और बताते हैं जो देहात में खूब प्रचलित हैं, यदि घड़े का पानी गर्म रहे, चिडि़या धूल में स्नान करें और चींटी अण्डा लेकर निकले तो खूब वर्षा होती है।

उतरे जेठ जो बोले दादुर, कहैं भडडरी बरसै बादर।
भडड्री्! कहते हैं, यदि जेठ मास के समाप्त होते ही मेढ़क बोले, तो वर्षा होती है।

सब चिन्ता को छांडि कै, करि प्रभु में विश्वास।
वाकै थापै, सब थपै, बिन थापे हो नाश।।

अन्त में घाघ! कहते हैं सब चिन्ताओं को छोड़कर भगवान में विश्वास करना चाहिए। उसमें निष्ठा करने से सब कार्य सिद्ध हो जाते हैं, बिना उसके सर्वनाश होता है।


praDeep Singh Taamer