सोमवार, 15 अप्रैल 2013

25 - अनमोल विचार part_1

विद्यार्थी जीवन
हमारे पूर्वजो ने जीवन को सुब्यवस्थित ढंग से बिताने के लिए उसको ०४ भागो में बांटा है ...
१- ब्रम्हचर्य
२- गृहस्थ
३- वानप्रस्थ
४- सन्यास
इसकी महत्ता का प्रतिपादन करते हुए इन्हे आश्रम का नाम दिया गया है. विद्यार्थी जीवन ब्रम्हचर्य का ही दूसरा नाम है. विद्यार्थी जीवन मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ जीवन होता है. इस समय का सदुपयोग कर मनुष्य
 



क्या हैं पर्सनालिटी डेवलपमेंट के मायने ?
(अनमोल विचार )
{Priceless view and thought) part-1
Personality या व्यक्तित्व शब्द से हम सब भली प्रकार से परिचित हैं. इस शब्द का प्रयोग हम अपने जीवन में किसी भी व्यक्ति के गुण या attributes के रूप में करते हैं. अकसर ही हम ये कहते हुए पाए जाते हैं कि उस व्यक्ति की personality बहुत अच्छी है या “क्या पर्सनालिटी है!”.
पर क्या सही मायनो में हम इस शब्द के व्यापक रूप को समझ पाए हैं . Personality को अकसर लोग शारीरिक आकर्षण या सुंदरता से जोड़ कर देखते हैं पर इस शब्द के व्यापक रूप को हम समझ नहीं पाए हैं . Personality शब्द एक Latin शब्द Persona से derive हुआ है जिसका अर्थ होता है mask ; जिसका उपयोग रोमन लोग थियेटर में काम करने के लिए और अलग-अलग किरदार निभाने के लिए करते थे. इसका अर्थ तो ये हुआ की personality वही है जैसा हम दिखते हैं या दूसरों को नज़र आते हैं. पर ये personality की बहुत ही संकुचित परिभाषा हुई . व्यक्तित्व को सही रूप में इस परिभाषा से समझा जा सकता है -
” Personality is the dynamic organisation within the individuals of those psycho physical systems which determines his characteristic , behaviour and thought or which determines his unique adjustment to his environment”
इसका अर्थ ये हुआ कि पर्सनॅलिटी सिर्फ़ शारीरिक गुणों से ही नही बल्कि विचारों और व्यवहार से भी मिल कर बनती है जो हमारे व्यवहार और समाज में हमारे समायोजन को भी निर्धारित करती है . कोई भी व्यक्ति जन्मजात अच्छी personality ले कर पैदा नही होता है बल्कि सफल होने लिए अपने अंदर गुणों को विकसित करना पड़ता है. ऐसे गुणों को जो दूसरों को प्रभावित करे साथ ही साथ अपने आपको भी develop करे.
शारीरिक रूप से सुंदर होना या intelligent होना व्यक्तित्व का सिर्फ़ एक ही पहलू हैं बल्कि अच्छी personality के लिए ज्ञान का सही उपयोग करना और अपने gestures और posture को उसके अनुरूप बनाना आवश्यक होता है.
अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए पहली आवश्यकता है सही perception क्योकि आप वही देखते हैं जो आप देखना चाहते हैं ‘ we see the things through our mind not through our eyes”, अपने negative emotions से दूर रहना और inferiority complex को दूर करना. ऐसा बिल्कुल भी नही है कि अगर आप physically attractive नही है तो आप की personality अच्छी नही है- मार्टिन लूथर किंग,गाँधी जी , इत्यादि शारीरिक रूप से attractive नही थे पर मानव जाती के लिए इनका व्यक्तित्व एक मिसाल है. क्योकि इन लोगो ने अपने negative emotions पर पर विजय पाई और खुद पर भरोसा किया. Negative emotions पर विजय पाने का उपाय है love yourself, feel good about yourself and make realistic life goals.
अपने साथियों से बेहतर बनने की बजाए कोशिश करे की अपने आप से बेहतर बने. Stress और fear दो बहुत ही बड़े कारण है जो हमारी personality को पूरी तरह से निखरने नही देते , अपने अंदर के डर को पहचानना और उससे मुक्त होने का प्रयास करना अत्यंत आवश्यक है. सब से बड़ा डर जो किसी भी व्यक्ति के मन में होता है वो है fear of failure जिसे बार बार प्रयास कर के ही दूर किया जा सकता है. Positive attitudeself confidence, self motivation और अच्छी body language का इस्तेमाल कर के अपनी personality को develop किया जा सकता है. Because positive feelings come from being honest about yourself and accepting your personality, and physical characteristics, warts , scars and all; and to accept yourself without question.
व्यक्तित्व में विचारो और व्यवहारो की भूमिका के साथ साथ physical characteristics को नकारा नही जा सकता . Physical characteristics से अर्थ खूबसूरत चेहरे का नही बल्कि high level of energy, personal hygiene की और activeness से है साथ ही साथ सही manners, how to speak and treat others की knowledge होना अत्यंत आवश्यक है. हमारी personality का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे personal relationship हैं. किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व इस बात से भी आँका जा सकता है कि वो अपने personal relationships को किस प्रकार manage करता है या उसमे कितना सफल रहा है.
विक्खयात physiologist Hippocrates ने सबसे पहले पर्सनॅलिटी को चार भाग में बांटा था SANGUINE, MELANCHOLIC, PHLEGMATIC AND CHOLERIC.
उनका मानना था कि Sanguine लोगो में blood की मात्रा अधिक होती है तथा ये खुश रहते हैं और दूसरों को भी खुश रख ते हैं तथा ज़्यादा सोच विचार नही करते, melancholic बहुत ही systematic और logical होते है हर चीज़ को सोच समझ के चलते है, phlegmatic लोग शांत प्रवृत्ति के होते है किसी भी बात पर वे अधिक उत्तेजित नही होते और choleric गुस्से वाले होते हैं उनके अंदर leadership quality भी अधिक होती है जिसके कारण वे दूसरों को dominate करते है. इससे आप अंदाज़ा लगा ही सकते हैं कि हर तरह के पर्सनॅलिटी की अपने ही विशेषता है और इस दुनिया में इन चारो प्रकारो की आवश्यकता है ताकि संतुलन बना रहे. हम सब में ये चारो traits या personality होती हैं पर किसी में कोई गुण ज़्यादा है तो किसी में कोई और ये सब शारीरिक गुणों के कारण नही है बल्कि हमारी स्वाभाविक प्रवित्ती के कारण है. हमे एक दूसरे की पर्सनॅलिटी को पहचानना है और उसके हिसाब से adjustment करना है. मान लीजिए की आप sanguine है तो ज़रूरी नही कि आपका साथी भी sanguine हो, हो सकता है की वो melancholic हो या choleric हो बल्कि अगर आप sanguine हैं तो हो सकता है की आप अपने चंचल स्वाभाव के कारण समझदारी से decision ना ले पाए ऐसे में कोई melancholic personality वाला आपको बेहतर गाइड कर सकता है.
हमे सामने वाले की personality को भाँपते हुए react करना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति इस दुनिया में unique है. हमे हर प्रकार के व्यक्तित्व की respect करनी चाहिए और अपनी personality develop करने का निरंतर प्रयास करना चाहिए, क्योंकि ” personality is to human as fragrance is to flower .”

असफल होने के लिए आगे ना बढें !
असफल होने  से  मेरा  मतलब  है  की  आप  वो  नहीं  कर  पाते  हैं  जो  आप  करना  चाहते  हैं . For e.g अपना  कोई  business start करना  चाहते  हैं , एक successful  actor, chef , choreographer, fashion designer, social activist  , या  फिर  कुछ  और  बनना  चाहते  हैं ; लेकिन बन नहीं पाते.

और  आगे बढ़ने  से  मेरा  मतलब  है  आप  society की  नज़रों  में grow करते   जाते  हैं …. आप  अच्छी  designation पर पहुँच  जाते  हैं , अपने  लिए  गाड़ी -बंगला  खरीद  लेते  हैं  और  ऐसी  ही अन्य  materialistic चीजें  जुटा  लेते  हैं .

Friends, हममें से  बहुत  से  लोग  किसी  न  किसी  सपने  के  साथ  जीते  हैं  की  हम  आगे  चल  कर  कुछ  बड़ा  करेंगे , कुछ  महान  करेंगे ,  पर  किसी  न  किसी  वजह  से  उन  dreams को  postpone करते  जाते  हैं  और  life जिस  flow में  चल  रही  है  उसी  flow में  आगे  बढ़ते  चले  जाते  हैं ….हम  पढाई  पूरी  करते  हैं , किसी  नौकरी  या  business में  लग  जाते  हैं , चाहे  वो  हमारे  मन  का  हो  या  नहीं ….और  फिर  उसी  में  grow करने  लगते  हैं ….पैसे  कमाने  लगते  हैं , और  जब पैसे  आते  हैं  तो  हम  उन्हें  सही  जगह  invest करने  के  बारे  में  सोचने  लगते  हैं ; as a result कुछ  ही  सालों  में  हमारे  पास  ऐशो  आराम  की  ढेर  सारी चीजें  हो  जाती  हैं . कुछ  हमने  down payment पे  ली  होती  हैं  तो  कुछ  EMI पर . ज़िन्दगी  यूँही  चलती  जाती  है  पर  जब  आप  थोडा  settle हो  जाते  हैं  तो  आप अपनी  life में  एक  void एक  खालीपन  महसूस  करने  लगते  हैं …सब  कुछ  होते  हुए  भी  आप  satisfy नहीं  हो  पाते  और  एक  बार  फिर  आपको  लगता  है  की  अपने  दिल  की  सुनी  जाये …अपने  सपनो  का पीछा किया  जाए ;….इतने  दिनों  तक  ignore करने  के  बाद  भी  वो  सपने  मरते  नहीं   क्योंकि  उसका  बीज  आपके  भीतर  ही  कहीं  होता  है , और जब उसे आपका attention मिलता है तो वो फिर से पनपने लगता है ! और आप  एक  बार  फिर  उन  सपनो  को  पूरा  करने  के  लिए  बेचैन हो जाते हैं …ideas  सोचते  हैं , प्लान  बनाते  हैं ..पर  in most of the cases ये  plans ये  ideas धरे  के धरे  रह  जाते  हैं …

ऐसा क्यों होता है ?

क्योंकि  आपकी  risk taking capacity बहुत  कम  हो  चुकी  होती  है ….अब  आप  एक  अलग  standard of living or life style के  आदि  हो  चुके  होते  हैं , आपकी  liabilities बढ़  चुकी  होती  हैं , आप  अपनी  job छोड़ने  या  अपना  business change करने  का  खतरा  नहीं  उठा  पाते  , आप  खुद  को  ऐसी  जगह  पाते  हैं  जहाँ  एक  महीने  भी  खाली  बैठना  impossible लगता  है !! और  यही  आपका  FAILURE बन  जाता  है . अब  आपको  अनचाहे  मन  से  उसी  काम  में  खुद  को  लगाए  रखना  पड़ता  है  जो  आपको  पैसे  तो  देता  है  पर  संतोष  नहीं  दे  पाता और ज्यादातर  cases में न पर्याप्त पैसे दे पाता है और ना ही संतोष.  .

तो  क्या  करना  चाहिए ?

यदि  आप  अभी  तक  इस  तरह  की  condition में  नहीं  फंसे  हैं  तो  आप  इन  बातों  को  ध्यान  में  रखिये :

1)      उस  काम  में  grow करने  की  कोशिश  न  करें  जिसे  आप  दिल  से  like नहीं  करते .  और  भले  ही  हम  अपना  passion ना  जान  पाएं  पर  ये  जानना  आसान  होता  है  की  हम  क्या  like नहीं  करते . इसलिए  ऐसे  काम  में  succeed होना  जिसे  आप  like  ही  नहीं  करते  बेकार  है . For e.g आप  किसी  sales  and marketing job में  हैं  और  ये  काम  आपको  पसंद  नहीं है तो  आप  इस  job में  promotion पाने  के  लिए  काम  मत  करिए , बस  job चलाने  के  लिए  काम  करिए . ये थोडा मुश्किल है , पर आपको ये करना होगा , क्योंकि  जो  काम  आपको  पसंद  नहीं  उससे  पैसा  कामाने  की आदत  डालना  आपको  असफल  कर  सकता है .

2)      जब  तक  आप  अपने  मन  का  काम  नही  पा  जाते  तब  तक  कुछ  ऐसा  करने  की  कोशिश  कीजिये  जो  आपको  अधिक   से  अधिक  free time दे  सके . और  इस  free time को  आप  अपने  goals achieve करने  में  लगाइए .

3)      अपनी  liabilities को  limited रखिये , ख़ास  तौर  से  कोई  ऐसा  loan मत  लीजिये  जिसकी  EMI भरने  के  लिए  आपको  अपने  काम  में  लगे  रहना  मजबूरी  बन  जाए . ऐसे  loans लेना  तभी  ठीक  होगा  जब  पैसा  आपके  मन  के  काम  से  आ  रहा  हो .

4)      अपने  real interest और  liking को  explore करते  रहिये , और  जहाँ  तक  हो  सके  उस  दिशा  में  कुछ  steps लेने  की  कोशिश  कीजिये . भले  ये  steps बहुत  ही  छोटे  क्यों  न  हों , पर  इतना  निश्चित  है  की  हर एक  step आपको आपकी  मंजिल  के  करीब  ले  जायेगा .

क्या  करें  अगर  already ऐसी  condition में  पहुँच  चुके  हों ?

It means अब  आपके  लिए  आपकी  जॉब  या  जो  काम  आप  कर  रहे  हैं वो  करना  मजबूरी  बन  चुकी  हो , क्योंकि  इसको  छोड़ने  का  मतलब  एक  निश्चित  financial crisis है .  ऐसे  में  क्या  करना  चाहिए ???  Frankly telling, मुझे  नहीं  पता  की  ऐसे  में  क्या  किया  जा  सकता  है ….बताने  को  तो  मैं  कई  चीजें  लिख  सकता  हूँ , पर  मेरी  हमेशा  यही  कोशिश  होती  है  की  मैं  ऐसे  ideas share करूँ  जो  practical हों , जिन्हें आप सचमुच  apply कर  सकें .  हाँ , एक  approach शायद  कुछ  cases में  काम  कर जाये ….आप  जो  करना  चाहते  हैं  उसे  Virtually करिए .
Of course इसकी  limits हैं  और  हर  काम  इस  तरह  से  नहीं  किया  जा  सकता , पर  in case आपका  goal  इस तरह से achieve किया  जा  सकता  है  तो  आप  try कर  सकते  हैं .
Virtually करने  का  मतलब ?
It means, आप  internet का  use  करते  हुए  अपने  मन  का  काम  करिए .  इसके  लिए  आपको  अपने  interest से  related website / blog बनाना  या  बनवाना  होगा.
( To get a Ready To Publish professional blog at a very competitive rate please contact  Pradeep Singh Taamer. 
(Email: rheofalld@gmail.com ) or rheofallalahabad@rediffmail.com)
For instance, अगर  आप  एक  Chef बनना  चाहते  हैं  और  अभी  किसी  IT जॉब  में  फंसे  हुए   हैं  तो  आप  एक  Food blog बनाइये  और  उसपे तरह – तरह  की  recipe और  कुकिंग-टिप्स  post करिए . अगर  आप  अपनी  Travel Company शुरू  करना  चाहते  हैं  तो  travel related blog बनाइये …and  so on.
इससे  क्या  फायदा होगा ?
  • आप  घर  बैठे  अपने  interest से  related field में  कुछ  progress कर  पायेंगे . और  चूँकि  इस  काम  को  आप  कहीं  भी  और  कभी  भी  कर  सकते  हैं  इसलिए  इसके चलते रहने और आगे बढ़ने  के  chances कहीं  अधिक  हैं .
  • आपकी  us  field में  knowledge बेहतर  होती  जाएगी . और  अगर  कभी  future में  आप  physically ऐसा करना  चाहेंगे  तो  ये  knowledge बहुत  काम आयेगी .
  • लगातार  blog पर  काम  करने  से  आपको  कई  लोग  जानेंगे  और  हो  सकता  है  यहीं  से  कोई  opportunity निकल  आये  जो  आपको  आपके  interest से  related एक  well-paying opportunity दिला  सके .
  • आपका  blog आपको  एक  alternate source of income भी  दे  सकता  है  जो  ultimately आपकी  liabilities को  कम  करने  में  मददगार  होगा .
 Friends, मैं  lucky हूँ  की  समय  रहते  मेरे अन्दर ये समझ आ गयी कि  अपने दिल का काम find  करने से पहले materialistically  expand करना बेवकूफी है ; आप भी  जब  तक  उस  काम  से  पैसा  नहीं  कमाने  लगते  जिसको  लेकर  आप  passionate हैं तब तक  खुद  को expand करने से रोकिये. George Burns  ने कहा भी है कि  जिस  चीज  को  आप  चाहते  हैं  उसमे  असफल  होना  जिस  चीज  से  आप  नफरत  करते  हैं  उसमे  सफल  होने  से  बेहतर  है .
आप  चाहे  जैसी  condition में  हों …surrender मत  कीजिये ….अपने  लक्ष्य  को  पाने  के  लिए  लड़ते  रहिये … boxing match की  तरह  ज़िन्दगी  के  खेल  में  भी  हारता  वो नहीं  जो  गिर  जाता  है  , हारता  वो  है  जो  उठने  से  इनकार  कर  देता  है …आप  भी  चाहे  जितनी  बार  गिरें  हार  मत  मानिए  , उठिए  और तमाम मुश्किलों के बावजूद  अपना  लक्ष्य  प्राप्त  कीजिये .
All the best!
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कैसे रखता हूँ मैं खुद को Positive ?

दोस्तों आज मैं आपके साथ एक बड़ी ही interesting और important बात share कर रहा हूँ. एक ऐसी छोटी सी  बात जिसने मेरे thought process को improve करने और positive बनाने में बहुत मदद की है.
मुझे पूरी उम्मीद है कि ये आपके लिए भी उतना ही लाभदायक होगा.  ऐसा मैं इसलिए भी कह पा रहा हूँ कि क्योंकि इसे समझना  बहुत ही simple है. और इसे practically apply करना भी आसान है.
बात जनवरी 2010 की है मैं तब गोरखपुर में था. चूँकि मुझे नयी-नयी books पढने का शौक है , मैं एक दूकान में ऐसी ही कोई book खोज रहा था, तभी David J. Schwartz की लिखी हुई किताब ,” The Magic of Thinking Big”  मुझे नज़र आई.  दो -चार पन्ने पलटने के बाद मैं समझ गया कि इसमें दम है और मैंने वो book खरीद ली. वैसे तो इसमें मैंने कई लाभप्रद बातें पढ़ीं पर एक बात मेरे दिमाग में  घर कर गयी और आज मैं उसी के बारे में बता रहा हूँ.
हमारा दिमाग विचारों  का निर्माण  करने वाली  एक फैक्ट्री  है . इसमें हर  वक़्त  कोई ना  कोई thought  बनती  रहती  है. और इस  काम  को कराने  के लिए  हमारे  पास   दो  बड़े  ही आज्ञाकारी  सेवक  हैं और साथ ही ये अपने काम  में  माहिर  भी हैं . आप  कभी  भी इनकी  परीक्षा  ले  लीजिये  ये उसमे  सफल  ही होंगे . आइये  इनका  परिचय  कराता  हूँ-
पहले  सेवक  का  नाम  है-  Mr. Triumph  या  मिस्टर विजय
दुसरे  सेवक  का  नाम  है- Mr. Defeat या  मिस्टर  पराजय 
Mr . विजय  का काम  है आपके आदेशानुसार  positive thoughts का निर्माण करना. और Mr. पराजय  का काम  है आपके आदेशानुसार  negative thoughts का निर्माण करना. और ये सेवक इतने निपुण हैं कि ये आपके इशारे के तुरंत समझ जाते हैं और बिना वक़्त गवाएं अपना काम शुरू कर देते हैं.
Mr. विजय इस बात को बताने में  में specialize करते हैं कि आप चीजों को क्यों कर सकते हैं?, आप क्यों सफल हो सकते हैं?
Mr. पराजय इस बात को बताने में specialize करते हैं कि आप चीजों  को क्यों नहीं कर सकते हैं?,आप  क्यों असफल हो सकते हैं?
जब  आप   सोचते  हैं  कि मेरी life क्यों अच्छी है तो तुरंत  Mr. विजय  इस  बात को सही  साबित  करने के लिए आपके दिमाग   में  positive thouhts produce करने लगते  है, जो आपके अब तक के जीवन के अनुभवों से निकल कर आती है . जैसे  कि-
  • मेरे पास  इतना  अच्छा  परिवार  है.
  • मुझे चाहने  वाले  कितने  सारे  अच्छे  लोग  हैं .
  • मैं well settled हूँ, financially इतना  सक्षम  हूँ कि खुश  रह  सकूँ .
  • मैं जो करना चाहता  हूँ वो कर पा रहा हूँ.
  •  etc.
इसके  विपरीत  जब  आप सोचते  हैं  कि मेरी life क्यों अच्छी नहीं  है  ,तो तुरंत  Mr. पराजय   इस  बात को सही  साबित   करने के लिए आपके दिमाग में  negative thoughts produce करने लगते  है. जैसे  कि-
  •  मैं अपनी  life में अभी  तक  कुछ  खास  नहीं  achieve कर पाया
  • मेरी नौकरी  मेरी काबलियत  के मुताबिक़  नहीं  है
  • मेरे साथ हमेशा  बुरा  ही होता  है.
  • etc.
ये दोनों  सेवक  जी जान   से  आपकी  बात का समर्थन  करते  हैं . अब  ये आपके ऊपर  depend करता  है कि आप  इसमें से  किसकी services  लेना  चाहते  हैं . इतना याद रखिये कि इनमे से आप जिसको ज्यादा काम देंगे वो उतना ही मजबूत होता जायेगा और एक दिन वो इस फैक्ट्री पर अपना कब्ज़ा कर लेगा, और धीरे-धीरे दुसरे सेवक को बिलकुल निकम्मा कर देगा.अब आप को decide करना है कि आप किसका कब्ज़ा चाहते हैं- मिस्टर विजय का या मिस्टर पराजय का?
यदि  life को improve करना है तो जितना  अधिक  हो  सके  thoughts produce करने का काम  Mr. विजय  को ही दीजिये . यानि  positive self talk कीजिये . नहीं तो अपने आप ही Mr. पराजय अपना अधिकार जमा लेंगे.
मैंने कई बार is simple but effective technique का use किया  है. मैं अपने thoughts पर हमेशा  नज़र रखता  हूँ और जैसे  ही negative thoughts का production बढ़ने  लगता  है मैं तुरंत  Mr. विजय  को काम  पर लगा  देता  हूँ, यानि  मैं  कुछ  ऐसे  statements खुद  से  बोलता  हूँ जो  positive thoughts की chain बना  देते  हैं  और मैं वापस  track पर आ जाता  हूँ.
For example: जब  मुझे लगता है कि मेरी personal relationships में तनाव आ रहा है तो मैं खुद से कहता हूँ कि भगवान ने  मुझे कितना प्यार करने वाले लोग दिए हैं. और बस आगे का काम मिस्टर विजय कर देते हैं. वो personal relationships से related मेरे सुखद अनुभव को मेरे सामने गिनाने लगते हैं और कुछ ही देर में मेरा mood बिलकुल सही हो जाता है. और जब mood सही हो जाता है तो वो मेरे actions में भी reflect करने लगता है.फिर तो सामने वाला भी ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रह पाता और जल्द ही सारी खटास निकल जाती है और फिर सब अच्छा लगने लगता है.
Thoughts को positive रखने का ये एक बहुत ही practical तरीका है. बस आपको जब भी लगे कि आपके ऊपर negativity हावी हो रही है तो तुरंत उस विचार के विपरीत विचार मन में लाइए. जैसे कि यदि आपके मन में विचार आता है कि आप काबिल नहीं हैं तो तुरन्त इसका उल्टा प्रश्न Mr. विजय से कीजिये कि ,” Mr. Vijay बताइए मैं काबिल क्यों हूँ?” और आप पायेंगे कि आपका ये सेवक आपके सामने उन अनुभवों को रखेगा जिसमे आपने कुछ अच्छा किया हो, for example, आपने कभी कोई prize जीता हो, किसी की मदद की हो, कोई ऐसी कला जिसमे आप औरों से बेहतर हों,etc.
बस इस बात का ध्यान रखियेगा कि आप स्वयं से जो प्रश्न कर रहे हैं वो सकारात्मक हो नकारात्मक नहीं.
आप भी इसे try कर  के देखिये. अपने thoughts पर नज़र रखिये , और जब आपको लगे कि मिस्टर पराजय कुछ ज्यादा ही सक्रीय हो रहे हैं तो जल्दी से कुछ positive self talk कीजिये और मिस्टर विजय को काम पर लगा दीजिये.
Thanks . I hope it works for you. :)
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Job Interview में सफल होने के 10 Tips


Hi friends,

Job Interview Series की यह  दूसरी  post है . उम्मीद  है अब  तक  आपने  पहली  post पढ़  ली  होगी . और  अगर  नहीं  पढ़ी  है  तो  उसे  एक  बार  ज़रूर  पढ़  लें .

As per plan आज  मैं  आपके  साथ  जॉब  इंटरव्यू  में  सफलता  पाने  के  लिए  ऐसी  10 बातें  share करूँगा  जो  मुझे  बेहद  ज़रूरी  लगती  हैं . इन  बातों के  अलावा  भी  कुछ  important tips हैं  जो  मैं  कल  की  post में  आपके  साथ  as Job Interview Dos & Don’ts share करूँगा .

इन  10 Tips में  आप  मेरे  Interview से  related अब  तक  के  experience का  निचोड़  देखेंगे . तो  आइये  जानते  हैं  इंटरव्यू  में  सफल   होने  के  लिए  किन  10 बातों  पर  ध्यान  देना  आवश्यक  है .

1)  CV /  Resume  को  बनाने  में   पूरी  सावधानी  बरतें :

आपकी  CV का  मकसद  अपने  potential employer को  यह  दिखाना  होना  चाहिए  की  क्यों  आप  इस  जॉब  के  लिए  best person हैं .आपकी  CV ही  आपसे  related वो  पहली  चीज  होती  है  जो  Interviewer के  सामने  जाती  है .कह  सकते  हैं  कि  उनकी  नज़रों  में  यही  आपका  first impression होता  है . अगर  interviewer को  CV अच्छी  नहीं  लगी , या  उसमे  बचकानी  mistakes दिखीं  तो  आपके  लिए  उसका  perception खाराब  हो  सकता  है . और  ये  भी  ध्यान  रखें कि  आपकी  छोटी  छोटी  बातें  कहीं   ना  कहीं  आपकी  बड़ी -बड़ी  हरकतों  की  ओर  भी  इशारा  करती  हैं . अगर  कोई  व्यक्ति  अपनी  CV बनाने   में  असावधान  है  तो  job में  भी  उसके  ऐसा  करने  के  काफी  chances हैं , और  ये  बात  interviewer अच्छी  तरह  से  जानता  है .
CV अच्छे  से  बनाना  इसलिए  भी  ज़रूरी  है  क्योंकि  ज्यादातर  companies में  पहले  CV के  basis पर  ही  candidates को  छांट दिया  जाता  है , और  अगर  आप   यहीं  छांट  गए  तो  बाकी  tips रखी  की  रखी  रह  जायेंगी . इसलिए  इस  most important step को  कत्तई  miss ना  करें .
मैं  यहाँ  CV कैसे  बनाएं , ये  तो  नहीं  बता  सकता  पर  कुछ  important points ज़रूर  share कर  सकता  हूँ  जिस  पर  आपको  ध्यान  देना  चाहिए :
  •          आपकी  CV का  look professional होना  चाहिए .
  •          बड़े -बड़े  paragraph की  जगह  bullet points use करें  , ये   interviewer को  CV पढने  के  लिए  ज्यादा  प्रेरित  करते  हैं .
  •          कोई  भी  Spelling mistake नहीं  होनी  चाहिए .
  •          अगर  CV दो  page में  बन   सकती  है  तो  जबरदस्ती  उसे  चार  page का  ना  बनाएं .
  •          अलग -अलग  job के  हिसाब  से  अपनी  CV में  थोड़े – बहुत  बदलाव  करें .
  •          उन  points को  highlight करने  की  कोशिश  करें  जो  इस  job से  related हों.
  •          CV बनाने  के  बाद  दो-चार  लोगों  से  उसे  पढवा  लें .
2)   Job से  related theoretical knowledge को  special attention दें :
मैं  पिछले  5-6 साल  से  Insurance field से  related हूँ . इस  sector की  मुझे  ठीक – ठाक  knowledge है , पर  जब  कभी  कोई  interview schedule होता  है  तो  मैं  अपनी  पुरानी  books, PPTs, और  अन्य  resource material अच्छी  तरह  से  दोहराता  हूँ .
Job से  सम्बंधित  theoretical knowledge को  बराबर  importance दें , मैं  कुछ  ऐसे  लोगों  को  जानता  हूँ  जिनके  पास  practically काम  कैसे  होता  है  इस  बात  की  अच्छी  knowledge है  , पर  वो  technical terms और  theory में  lack करते  हैं  , और  इस  वजह  से  उन्हें  interview में  उतनी   सफलता  नहीं  मिल  पाती . आप  इस  तरह  की  गलती  ना  करें , और  theoretical knowledge को  कम  ना  आंकें .
अगर  मैं  अपनी  बात  करूँ  तो  interview की  पूरी  preparation का  60% time इसी  काम  में  देता  हूँ . यहाँ  पर  दिया  गया  effort और  चीजों  को  आसान  बना  देता  है , आपका  confidence बढ़  जाता  है , और  आप  जो  answers देते  हैं  उसमे  ये  साफ़  झलकता  भी  है . Interviewer भी  शुरआती  answers की  quality से   ही  जान  लेता  है  कि  आप  एक  well prepared candidate हैं  या  एक  casual candidate.
Interview को  कभी  casually नहीं  लेना  चाहिए , यह  एक  competition है , आपको  खुद  को  दूसरों  से  बेहतर  साबित  करना  होता  है . और  आप  किसी  भी  department में  कोताही नहीं  बरत  सकते .  इसलिए आप  जो भी  interview देने  जा  रहे  हैं  उस  field से  related theoretical knowledge पर  अतिरिक्त   ध्यान  दें .
मैं  यहाँ  practical knowledge को  इसलिए  emphasize नहीं  कर  रहा  हूँ  क्योंकि  यदि  आप  एक  fresher हैं  तो  आपसे  practical knowledge expected नहीं  है  और  यदि  आप  exeperienced हैं  तो  definitely आपके  पास  practical knowledge होगी  ही .
3) खुद  को  Employer की  जगह  रख  कर  देखें :
ये  सोचिये  कि  अगर  आप  Interviewer होते  तो  एक  ideal candidate के अन्दर क्या  खोजते . जो  job vacancy है  उसकी  specific need को  समझने  की  कोशिश  कीजिये , और  उन  needs को  पूरा  करने  के  लिए  जो  qualities चाहिएं  उसे  interview में   showcase कर  सकते  हैं.दूसरी तरफ आप उन qualities को छुपा भी सकते हैं जो इस जॉब के लिए फिट नहीं बैठतीं.
For example: अगर  Marketing जॉब  के  लिए  जा  रहे  हैं , तो  आपकी  travelling की  hobby को  आप  highlight कर  सकते  हैं , पर  यदि  आप  operations की  जॉब  के  लिए  जा  रहे  हैं  तो  आपको  इसे  highlight नहीं  करना  चाहिए . अलग -अलग  job requirements के  हिसाब से  आप  अपनी  CV में  बदलाव कर  सकते  हैं , और  उसे  और  भी  effective बना  सकते  हैं .
आम तौर  पर  कोई  interviewer आपके  confidence, subject knowledge और  stability , team में काम करने की क्षमता, इत्यादि  check करते  है .
कई  बार  ये  भी  होता  है  कि  आप  किसी  काम  के  लिए  overqualified होते  हैं  , जैसे  कि  अगर computer operator का  काम  है  और  कोई  MCA उस  जॉब के  लिए  interview दे  रहा  है , तो  भी  Employer उसे  select करने  में  हिचकेगा  , क्योंकि  उसकी  इस  job में  टिकने  के  आसार  कम  होंगे . इसलिए  अगर  job के  हिसाब  से  आपकी  qualification अधिक  है  तो  उसे  mention नहीं  करना  ही  ठीक  रहता  है .
इसी  तरह  जब  आप  खुद  को  employer की  जगह  रखकर  देखते हैं तो आपके  दिमाग  में  कई  बातें  आएँगी  और  आप उस  हिसाब  से  खुद को  तैयार  कर  सकते  हैं .
4) Frequently Asked Questions( FAQs) की  तैयारी  ठीक  से  कर  लें :
Job  interviews में  कुछ  questions बहुत  ही  common होते  हैं , जो  लगभग  हर एक  interview में  पूछे  जाते  हैं . ऐसे  questions की  तैयारी  अच्छे  से   कर  लें  , और  साथ  ही साथ उन  questions के  बारे  में  भी  सोच  लें  जो  आपके  जवाब  के  बदले  आपसे  पूछे  जा  सकते  हैं .
यहाँ  मैं  ऐसे  questions की  एक  छोटी  सी  list दे  रहा  हूँ :
  • Tell me about Yourself ? / Walk me through you CV?/ Introduce yourself/ अपने  बारे  में  हमें  बताएं ?
  • Do you want to ask any question? / क्या आप  कोई  प्रश्न    पूछना  चाहते  हैं  .  ( Inerview के  अंत  में  ये  पूछा  जा  सकता  है .)
  • Tell us about your  current  job, what is your role?/  अपनी  मौजूदा  नौकरी  के  बारे  में  बताएं , आपका  काम  क्या  है ?
  • Why do you want to join this company? / आप  ये  company क्यों  join करना  चाहते  हैं ?
  • Why is there a gap in your studies/ job ? आपकी  पढाई /job में  gap क्यों  है ?
  • Why do you want to leave your current job? / आप  अपनी  मौजूदा  नौकरी  क्यों  छोड़ना  चाहते  हैं ?
  • What are your weaknesses / strengths ? / आपकी  weakness/ strength क्या  है ?
  •  Why should we select you? /हम  आपका  चयन  क्यों करें  ?
  •  Why did you chose this specialization? आपने  यह  specialization क्यों  किया ?
  •  Why your marks are very low in xyz exam? Xyz exam में  आपके  marks इतने  कम  क्यों  हैं ?
  • What has been your biggest achievement till date? / अब  तक  की  आपकी  सबसे  बड़ी  achievement क्या  रही  है ?
इसके  अलावा  आपकी  industry से   related कुछ  common questions भी  पूछे  जा  सकते  हैं , इसलिए  ऐसे  प्रश्नों  की  study पहले  से  ही detail में  कर  लें .
In questions की  तैयारी  करने  का  मतलब  ये  नहीं  है  कि  इन्हें  रटा जाए . ये  इसलिए  है  कि  आपकी  mental clarity बनी  रहे . In questions के  answers की  एक  outline आपके  mind में  तैयार  होनी  चाहिए  , और  interview के  समय  उसे  अपने  शब्दों  में  बोलने  के  लिए  तैयार  रहना  चाहिए .
For example: अगर  कोई  अचानक  ही  आपसे  आपकी  strength पूछ  ले  तो  आप  कोई  ना  कोई  उत्तर  ज़रूर  दे  लेंगे  पर  हो  सकता  है   बाद  में   आपको  लगे  की  आप  अपनी  सबसे  बड़ी  खूबी  बताने  से  ही  चूक  गए  हैं , लेकिन  अगर  आप  पहले  से  prepared रहेंगे  तो  ऐसी  गलती  नहीं  होगी .
 5) Mind में  पूरा  interview process कई  बार  run कर  लें :
जब  भी  मुझे  interview देना  होता  है  तो उससे  पहले  मैं  4-5 बार  पूरा  का  पूरा  interview अपने  mind में  run कर  लेता  हूँ . और  ये  बहुत  ही  detailed होता  है .
इसमें  मैं  सुबह  उठने  से  लेकर  interview खत्म होने  तक  की  छोटी  से  छोटी  बात  के  बारे  में  सोचता  हूँ .ऐसा  करने  से  mind कई  चीजों  को  लेकर  बिलकुल  clear हो  जाता  है . जैसे  कि  कब  उठाना  है , क्या  revise करना  है , क्या  पहन  कर  जाना  है , कैसे  जाना  है , कब  तक  पहुचना  है , क्या -क्या  लेकर  जाना  है , कैसा  gesture रखना  है , कैसे  खुद  को  introduce करना  है , etc.
इसमें  सबसे  ज़रूरी  part होता  है  खुद  को  interviewer से  interact करते  हुए  visualize करना . मैं  अपने  मन में  सोचता  हूँ  कि  interviewer कोई  question पूछ  रहा  है , और  फिर  मैं  उसका  answer दे  रहा  हूँ .  ऐसा  करने  से  कई  बार  ऐसे  questions दिमाग  में  आ   जाते  हैं  जिनका  answer ठीक  से  नहीं   पता  होता ,और  तब  मैं  उन्हें  अच्छे  से  तैयार  कर  लेता  हूँ .
पता  नही  आपको  ये  technique कैसी  लगे  पर  मैं  जब  भी  इसे  करता  हूँ  इसका  कुछ  ना  कुछ  फायदा  ज़रूर  होता  है . अब  चाहे  वो  कोई  interview से  expected किसी  question का  दिमाग  में  आना  या  कोई  छोटी  सी  चीज  जैसे  कि  interview के  लिए  कपडे  प्रेस  करवाना :) …पर  कुछ  ना  कुछ  फायदा  होता  ज़रूर है .
6) Mock & Mirror Practice
MBA के  दौरान  campus selection से  पहले  मैंने  कई  बार  mock interviews दिए  थे , और  अपने  friend Dheeraj के  साथ  मिलकर  बहुत लोगों  के  mock interviews लिए  भी  थे , हमने  इन  interviews को  web-cam से  record भी  किया  था , जिसे  देखकर  लोगों  को  काफी  फायदा  हुआ   था . अगर  आपको  Interview देने  का  अधिक  अनुभव  नहीं  है  तो  आपको  भी  Mock Interviews जरूर  देने  चाहियें . मौक   interview conduct करने  के   लिए  आप  अपने  किसी  ऐसे  friend या  senior से  request कर  सकते  हैं  जो  आपको  एक   सही  feedback दे  सके . इस  activity को  बहुत  seriously कीजिये , ये  आपको  बहुत  कुछ  सीखा  सकती  है . क्योंकि  अक्सर  हम  खुद  जो  गलतियाँ  करते  हैं  वो  हमें  दिखाई  नहीं  देतीं , लेकिन  और  कोई  उन्ही  चीजों  को   आसानी  से  point कर  सकता  है .
ये  ध्यान  दें  कि  कहीं  इस  activity से   आपका  confidence कम  ना  हो .  यहाँ  interview लेने  वाले  को  समझदारी  दिखानी  होगी  कि  वो  आपकी  improvement areas भी  बताये  और  आपका  confidence भी  बढ़ाये . अगर  आपको  लगता  है  कि  इस  activity से  आपका  confidence lose हो  सकता  है  तो  इसे  ना  करें . इसकी  जगह  आप  खुद  शीशे  के  सामने  बैठ  कर  अपना  interview दें , और  चाहें  तो  उसे  अपने  mobile में  record भी  कर  लें . जब  आप  अपने  answers सुनेंगे  तो  आपको  खुद -बखुद  कुछ  improvement areas दिख  जायेंगी .
7) Non-Verbal Communication पर  ध्यान  दें :
हम  जो  communicate करते  हैं  वो  सामने  वाले  तक  दो  तरह  से  पहुँचता  है . Verbally और  Non-Verbally.
Verbally , यानि  जो  हम   बोलते  हैं  , या  लिखते  हैं , और  Non-Verbally बाकी  चीजें , हम  कैसे, किस  tone में  बोलते  हैं , हमारे  बैठने  का  तरीका , eye contact, even  हमारा  dressing sense. अलग -अलग  research के  मुताबिक़  हमारे  total communication में  सिर्फ  20% verbal होता  है  और  80% Non-verbal.
इसलिए  इस  80% पर  ध्यान  देना  बहुत  ज़रूरी  है . आपको   interviewer से  interact करते  वक़्त  कुछ  बातों  का  ध्यान  देना  होगा :
  • आपको  देखकर  लगे  की  आप  इस  job में  genuinely interested हैं .ऐसा  आप  अच्छे  से  dress up होकर  , time से  venue पर  पहुंच  कर  कर  सकते  हैं .
  • आपकी  आवाज़  dull नहीं  होनी  चाहिए , enthusiasm और  confidence show करना  बहुत  ज़रूरी  है .
  •  पहली  बार  मिलते  वक़्त    हलकी  सी  smile ज़रूरी  है , और  interview के  दौरान  भी  आपको  एक  friendly gesture रखना  चाहिए .
  •  Job के  लिए  आपका  जोश  आपकी  तैयारी  से  साफ़  झलकेगा , इसलिए  अपना  homework अच्छे  से  कर  के  interview देने  जाएं . Specially, company के  बारे  में  आपको  अच्छी  जानकारी  होनी  चाहिए  , और  आपकी  field से  related current developments भी  पता  होने  चाहिएं .
Note:अपना confidence level improve करने के लिए आप इस लेख को पढ़ सकते हैं. 
8 ) Contradictory answers ना  दें  :
Interviewer आपकी  honesty  check करने  के  लिए  , या  बस  यूहीं  कुछ  ऐसे  प्रश्न    पूछ  सकते  हैं  जिनका  उत्तर  एक -दूसरे  से   related हो .
For example: अगर  आप  पहले  कह  चुके  हैं  कि  ये  आपकी  dream company है , पर  जब  ये  पूछा  जाता  है  कि  ये  company क्या – क्या   service देती  है  , और  आप  ठीक   से  नहीं  बता  पाते  हैं , तो  येही  message जाता  है  कि  एक  तरफ  तो  ये  आपकी  dream company है  और  दूसरी  तरफ  आप  इसके  बारे  में basic जानकारी भी नहीं रखते हैं तो  इसका  मतलब   आप  honest नहीं  हैं .
या  मान  लीजिये आपने  CV में  अपनी  hobby Playing Cricket लिखी  है , और  interview में  Playing Chess बताते  हैं  तो  definitely interviewer को  आप  पर  doubt होगा .
Interview में  सच  बोलना  ही  सही  रहता  है , पर  यदि  आप  excitement या  nervousness में  कुछ  अधिक  बोल  गए  हों  तो  उस  उत्तर पर टिके रहिये , और  पूरे  interview के  दौरान  उसे  contradict मत  करिए .
9) जिस   भाषा   में  comfortable हों   उसी   में   इंटरव्यू  दें : 
यदि  आप  English और हिंदी दोनों में  बात  करने  में  निपुण  हैं  तो  आप  ये  point skip कर  सकते  हैं  लेकिन  अगर  आप  अंग्रेजी में  comfortable नहीं  हैं  तो  आपके  लिए  एक  important point हो  सकता  है .
अगर  देखें  तो  आज -कल  ज्यादातर  job interviews English में  होते  हैं , लेकिन  कई  जगह  जहां  Hindi में  भी  interview हो  सकते  हैं  वहां  भी  लोग  English में  ही  interview देने  की  कोशिश  करते  हैं . देखिये , गलत  अंग्रेजी  बोलने  से  अच्छा  है  सही  हिंदी  बोलें.
हाँ , अगर  job ही  ऐसी  है  जहाँ  बिना  English के  काम  नहीं  चलने  वाला , जैसे  कि  International Call center, etc में ,तब  आप अंग्रेजी  में  ही  बात  करने  की  कोशिश  करें ,  लेकिन  अगर  कोई  ऐसी   job है  जहाँ  Hindi से  भी  काम  चल  सकता  है  तो  Hindi में  ही  बात  करें .  In fact interview के  शुरू  में  ही  आप  साक्षातकर्ता  से  पूछ  सकते  हैं  कि  Can I answer the questions in Hindi ? क्या  मैं  अपने  उत्तर  हिंदी  में  दे  सकता  हूँ ? ज्यादातर  case में  आपको  हाँ  में  ही  उत्तर  मिलना चाहिए  . और  फिर  आप  अपना  पूरा  Interview Hindi +English मिला  कर  दे  सकते  हैं . Actually, बहुत  सारी  jobs में  बस  आपको  English के  समझ  की  आवश्यकता  होती  है , भले  आप  उसे  बोल  ना  पाएं  लेकिन , सुनकर  या  पढ़कर  समझने  की  काबिलियत  भी  उस  काम   को  करने  के  लिए  पर्याप्त  होती  है , और  Interviewer भी  इस  बात  को  समझता  है.
ऐसा  करने  का  सबसे  बड़ा  लाभ  ये  है  कि  आप  स्वयं  को  अच्छे  से  व्यक्त  कर  पायेंगे  और  आपकी उस नौकरी   से  related जो भी  knowledge है  उसे  interviewer के  सामने  आसानी  से  ला  पाएंगे . और  जब  आप  ऐसा  करेंगे  तो  आपके  success के  chance निश्चित  रूप  से  बढ़  जायेंगे .
Note: अंग्रेजी बोलना सीखने के लिए आप haihayvanshi. blogspot. com को पढ़ सकते हैं.
10) ये  सोच  कर  चलें  कि  Selection हुआ   तो  अच्छा  नहीं  तो  कुछ  इससे  भी  अच्छा  होगा :
Interview में  select होने  के  लिए  बहुत  over conscious मत  होइए . अगर  आप  select नहीं  होते  हैं  तो  भी  दुनिया  इधर  की  उधर  नहीं  होने  वाली , in fact कुछ  महीनों  बाद  शायद  आपको  याद  भी  ना  रहे  कि  आप  ऐसे किसी  interview में  appear हुए  थे . Positive attitude रखने  वाले  ये  मान  कर  चलते  हैं  कि  जो  होता है  अच्छा  होता  है.
मैंने  2010 में  Max Newyork Life में  trainer के  लिए  interview दिया  था , पर  सौभाग्य   से  मेरा selection उसमे  नहीं  हुआ . सौभाग्य   इसलिए  क्योंकि  उस  समय  जितने  भी  लोगों  को  as a trainer लिया  गया  था  उन्हें  market conditions ख़राब  होने  की  वजह से  6 महीने  के  अन्दर  निकाल  दिया  गया .वहीँ  दूसरी  ओर कुछ  दिनों  बाद  ही  मेरा  selection HCL Technologies में  हो  गया , जो  कि  work culture और  monetarily दोनों  तरह  से  मेरे  लिए  अच्छा  रहा , और  इस  job की  बदौलत  मुझे   Finland,Europe जाने  का  भी  मौका  मिला . :)
Friends, I hope कि  यहाँ  share की  गयी  बातें  आपके  काम  आएँगी  और  आप  इंटरव्यू  में  अपनी  success rate को  पहले  से  improve कर  पायेंगे .  मुझे  आपके  feedback और  इंटरव्यू   से  related questions का  इंतज़ार  रहेगा .
आप  comments के  द्वारा  questions पूछ  सकते  हैं  या  rheofalld@gmail.com पर  अपने  question mail कर  सकते  हैं . 
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कैसे पाएं Negative Thoughts से छुटकारा ?

दोस्तों कई बार ऐसा होता है कि हम खुद ही अपनी happiness या success के मार्ग में रोड़ा बन जाते हैं. और कई मामलों  में  तो हमें इस बात का पता भी नहीं होता. बार-बार मन में एक ही या कई नकारात्मक विचारों का आना एक ऐसा ही रोड़ा है.
For Example: यदि आपके मन में विचार आता है कि ,” मैं भद्दा दीखता हूँ”, या ,”मेरा पति मुझसे प्यार नहीं करता.”, या “मुझे अंग्रेजी नहीं आती.”, या ,” मेरा IQ कम है” इत्यादि , तो कहीं ना कहीं ये आपके personal development में hurdle बन रहे हैं.
आज AchhiKhabar.Com पर हम ऐसे ही विचारों से निजात पाने  के  एक बहुत ही effective process के बारे में जानेंगे. इसके बारे में मैंने Steve Pavlina के  article How to Squash Negative Thought Patterns में  पढ़ा था,और यहाँ पर मैं आपके साथ उसी का Hindi translation share कर रहा हूँ.
How to get rid of negative thought patterns in Hindi Redirect Negativity into Positivity
  Negative Thoughts से कैसे छुटकारा पाएं ?
Suppose करिए कि आपकी बार-बार एक ही negative thought को सोचने की बुरी आदत है. और suppose करिए कि असल दुनिया में उस सोच की कोई अभिव्यक्ति नहीं है. वो बस एक नकारात्मक सोच है , जैसे ” मैं बहुत depressed हूँ” या ” मुझे अपनी नौकरी से नफरत है” या ” मैं ये नहीं कर सकता” या “मुझे अपने मोटापे से नफरत है.” आप किसी  बुरी आदत से कैसे छुटकारा पायेंगे जब वो पूरी तरह से आपके दिमाग में हो ?

असल में negative thought pattern को बदलने के बहुत सारे तरीके हैं. Basic idea ये है कि पुराने thought pattern को नए से replace कर दिया जाए. मानसिक रूप से नकारात्मक सोच का विरोध करना उल्टा पड़ सकता है- आप इसे और मजबूत करते जायेंगे और स्थिति बदतर हो जाएगी. आप जितना अपने neurons को उसी दिशा में fire करेंगे, आपकी नकारात्मक सोच उतनी ही शशक्त होती जायेगी.

यहाँ एक तरीका है जो मैं अपने negative thought patterns को break करने के लिए use करता हूँ.  ये basically एक memory technique जिसे ‘chaining’ कहते हैं से मिला जुला कर बना है. ये तरीका मेरे लिए बहुत सही काम करता है.

Negative Thought pattern का विरोध करने का प्रयास करने की बजाये आप इसकी दिशा बदल दीजिये. इसे आप एक mental kung fu की तरह से समझिये. नकारात्मक सोच की उर्जा को लीजिये और उसे सकारात्मक सोच की तरफ मोड़ दीजिये. थोड़ी सी mental conditioning के साथ जब भी आपके दिमाग में negative thought आएगी , आपका दिमाग खुद बखुद positive thought की तरफ divert हो जाएगा. ये Pavlov’s dogs की तरह है जो घंटी बजने पर लार टपकाना सीख जाते हैं.

ये ऐसे काम करता है:

मान लीजये आपकी negative thought एक subvocalization है, मतलब आपको अन्दर से एक आवाज़ सुनाई देती है जिसे आप बदलना चाहते हैं , जैसे कि, ” मैं idiot हूँ”. अगर आपकी negative thought एक आवाज़ होने की बजाये एक mental image (कोई चित्र जो दिमाग में आता हो) या  kinesthetic ( कोई अन्दर होने वाला एहसास

) हो तो भी आप इस process को use कर सकते हैं. कई मामलों में आपका विचार इन तीनों का combination भी हो सकता है.

Step 1: अपनी negative thought को एक mental image में बदल लें.


उस आवाज को सुनिए और दिमाग में उसकी एक तस्वीर बना लीजिये.For Example, यदि आपकी सोच है कि , “मैं idiot हूँ”, तो कल्पना कीजिये कि आप मूर्खतापूर्ण कपडे पहने और जोकरों वाली टोपी लगाकर इधर उधर कूद रहे हैं. आपके चारो तरफ लोग खड़े हैं जो आपकी तरफ ऊँगली दिखा रहे हैं और आप चिल्ला रहे हैं, “मैं idiot हूँ” आप इस scene को जितना बढ़ा चढ़ा कर देखेंगे उतना बेहतर है . चटक रंगों, खूब सारे animation,यहाँ तक कि आप कुछ sex से भी सम्बंधित सोच सकते हैं यदि ये आपको याद रखने में मदद करे. इस scene को बार-बार तब तक practice करते रहिये जब तक महज वो negative line सोचने भर से आपके दिमाग में आपकी कल्पना की हुई negative mental image ना आने लगे.

यदि आपको उस विचार का चित्रण करने में दिक्कत हो तो आप उसे एक आवाज़ का भी रूप दे सकते हैं. अपनी negative thought को एक आवाज़ में बदल लें , जैसे कि कोई धुन जिसे आप गुनगुनाते हों. इस प्रोसेस follow करने में को चाहे एक  sound की कल्पना करें या किसी चित्र की , दोनों ही तरह से ये काम करेगा. वैसे मैं किसी चित्र के बारे में कल्पना करना prefer करता हूँ.

 Step 2: उस negative thought को replace करने के लिए कोई powerful positive thought चुनें.

अब decide करिए की negative thought को replace करने के लिए आप कौन सी positive thought चुनेंगे. जैसे कि यदि आप ये सोचते रहते हैं कि, ” मैं idiot हूँ,” तो शायद आप उसे , “मैं brilliant हूँ.” से replace करना चाहेंगे. कोई ऐसी सोच चुनिए जो आपको कुछ इस तरह से शशक्त बनाए कि आप उस negative thought के असर को कमजोर बना पाए.

Step 3: अब अपनी positive thought को एक mental image में बदल लें

एक बार फिर से Step 1 की तरह ही अपनी positive thought के लिए एक mental image बना लें. जैसे कि उदाहरण में ली गयी सोच  “में brilliant हूँ” के लिए आप खुद को Superman की तरह दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़ा हुआ होने की कल्पना कर सकते हैं.और आप सोच सकते हैं कि ठीक आपके सर के ऊपर एक bulb जल रहा है. Bulb बहुत तेज रौशनी के साथ जगमगा रहा है, और आप जोर से चीख रहे हैं, ” मैं bbbbrrrrrillllliannnnttt हूँ !”. इसकी practice तब तक करते रहिये जब तक महज वो positive line सोचने भर से आपके दिमाग में आपकी कल्पना की हुई positive mental image ना आने लगे.

Step 4: अब दोनों mental images को एक साथ जोड़ दीजिये.

आपने Step 1 और Step 3 में जो mental image सोची है , दोनों को अपने दिमाग में चिपका दीजिये. ये trick chaining नामक memory technique में प्रयोग होती है. इसमें आप पहले चित्र को दुसरे में परिवर्तित कर देते हैं. मेरा सुझाव है कि आप इस एक animated movie की तरह करिए. इसमें आपको पहला (negative picture) और आखिरी (positive picture) scene का अंदाजा है, बस आपको बीच में एक छोटा सा एनीमेशन भरना है.
For example, पहले scene में  आपके idiot version पर कोई एक light bulb फेंकता है.और आप उस बल्ब को कैच कर लेते हैं और  आपके पकड़ते ही वो बल्ब बड़ा होने लगता है और उससे इतनी तेज रौशनी निकलती है कि आपको घेरे हुए लोग चौंधिया जाते हैं. तब आप अपने मूर्खतापूर्ण कपड़ों को फाड़ कर फेंक देते हैं और चमचमाते सफ़ेद लिबास में प्रकट होते हैं. आप Superman की तरह पूरे आत्मविश्वास के साथ खड़े होकर जोर से चिल्लाते हैं, ” ” मैं bbbbrrrrrillllliannnnttt हूँ !”और फिर वो लोग अपने घुटनों के बल बैठ जाते हैं और आपकी पूजा करने लगते हैं. एक बार फिर , आप इसे जितना बढ़ा-चढ़ा कर सोचेंगे उतना अच्छा होगा. बढ़ा-चढ़ा कर सोचना आपको scene को याद रखें में मदद करेगा क्योंकि हमारा दिमाग unusual चीजों को याद रखने के लिए designed होता है.
एक बार जब आप पूरा scene complete कर  लें तो फिर बाद-बाद इसे अपने दिमाग में दोहरायें ताकि speed आ जाये. इस  scene को शुरू से अंत तक तब तक imagine करते रहिये जब तक कि आप पूरा का पूरा scene 2 मिनट में complete नहीं कर लेते, ideally 1 मिनट में. ये बिजली की तेजी से होना चाहिए, वास्तविक दुनिया से कहीं तेज.

 Step 5: Test.

अब आपको अपने mental redirect को टेस्ट करना है कि ये काम कर रहा है कि नहीं. ये बहुत हद्द तक HTML redirect की तरह है – जब आप पुराना negative URL input करते हैं, तब आपका दिमाग उसे automatically positive की तरफ  redirect कर देता है.Negative thought के  दिमाग में आते ही तुरन्त positive thought आपके दिमाग में आ जानी चाहिए. अगर आपने ये सही से practice किया है तो ये automatically होने लगेगा. Negative thought दिमाग में आते ही पूरा का पूरा scene आपके दिमाग में घूम जायेगा. इसलिए आप जब भी ये सोचेंगे कि , ” मैं idiot हूँ “, भले आप पूरी तरह से aware ना हो कि आप ऐसा सोच रहे हैं, आप अंत में खुद को ये सोचता हुआ पायेंगे कि, “मैं brilliant हूँ”
अगर आपने पहले ऐसा visualization नहीं किया है तो आपको ये सब करने में कुछ समय लगेगा. Speed practice के साथ आएगी. एक बार अभ्यास हो जाने के बाद सारी चीजें सेकेंडों में हो जाएँगी. पहली बार करने में चीजें धीमी गति से होंगी,इससे discourage मत  होइए . किसी भी और skill की तरह इसे भी learn किया जा सकता है,और शायद पहली बार सीखने में ये आपको ये कुछ अटपटा लगे.
मेरा सुझाव है कि आप अलग-अलग तरह की कल्पना के साथ experiment करिए. आपको कुछ कल्पनाएँ बाकियों से सही लगेंगी. Association Vs. Dissociation पर ख़ास ध्यान दीजिये. जब आप किसी scene से associated होंगे तो आप उसे अपनी आँखों से घटता हुआ देखेंगे( i.e. first person perspective). जब आप dissociated होंगे तो आप उस scene में खुद को देखने की कल्पना करेंगे ( i.e. third person perspective). आम  तौर  पर मुझे best results खुद को dissociate करने पर मिलते हैं. आपके results अलग हो सकते हैं.
मैंने 1990s की शुरआत में इस तरह की काफी mental conditioning की है. जब भी मुझे इस तरह की कोई नकारात्मक सोच परेशान करती थी तो मैं उसे चुनता था और उसकी दिशा बदल देता था.कुछ ही दिनों में मैंने दर्जनों negative thought patterns को reprogram कर दिया था, और कुछ ही दिनों में मेरे दिमाग के लिए negative thought या emotion produce करना भी कठिन हो गया. ऐसी कोई भी सोच positive सोच की तरफ redirect हो जातीं.शायद कुछ हद तक इसीलिए मैं college से निकलने के तुरंत बाद अपन business start करने में पूरा confident था.मैं mental conditioning के माध्यम से अपनी self-doubt सम्बंधित thoughts को can-do mindset में बदल देता था. कालेज के दिनों में मैंने इसका खूब प्रयोग किया और शायद इसी वजह से मैंने औरों से जल्दी graduate हो पाया.इसके बावजूद मुझे कई real-world challenges को face करना पड़ा, पर कम से कम मैं उस समय खुद के self-doubt से नहीं लड़ रहा था.
इस तरह की mental conditioning ने मुझे अपने अंदरुनी मामलों को control करने में काफी सहायता की.आज मैं ये इतना भली-भांति कर लेता हूँ कि बिना इसके बारे में सोचे ही ये automatically होता रहता है. किसी point पर मेरे subconscious ने इसका कंट्रोल ले लिया; इसलिए जब कभी मेरे मन कोई ऐसा विचार आता है कि , “I can’t” तो वो स्वतः ही ,”How can I?” में परिवर्तित हो जाता है. दरअसल जब आप mental conditioning को बहुत ज्यादा practice कर लेते हैं तो यही होता है- आपका subconscious कंट्रोल ले लेता है;ठेक विअसे ही जैसे कि साइकिल चलाने की practice के बाद हो जाता है.
अब जब कभी आपको लगे कि कोई negative thought आपके दिमाग में घर कर रही हो तो इसे try कीजिये. मेरे विचार है कि आप इसे काफी सशक्त बनाने वाला पाएंगे. और जिन्हें इससे फायदा पहुँच सकता है उनके साथ जरूर share करिए.
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Tension से निकलने के 5 तरीके


Friends,  ज़िन्दगी      मे    tension आनी  ही  आनी  है   , कभी   ये  कुछ


Tips to Be Tension Free in Hindi I am happy!


घंटों   के  लिए   आती   है  तो   कभी  ये  महीनो   तक   हमारे   पीछे   लगी   रहती   है  . इस   बार   दिवाली   से  just पहले    मेरे   साथ   भी  कुछ  ऐसा   ही  हुआ.   जहाँ   मैं  generally  खुश   रहता   हूँ  , ओर   अपने  आस – पास  का  माहौल  भी  वैसा   ही  रखता   हूँ , वहीं       मुझे   किसी   बात   को   लेकर   बहुत   tension हो  गई  . मुझे   याद   नही   कि   इससे   पहले  मैं  कभी  इतना   ओर  इतनी  देर   तक tense  रहा  होउंगा    almost for 2 days. ख़ैर  !!

मेरी wife को  भी ये  बहुत  अटपटा   लग रहा   था  क्योंकि  “tension”  तो  उसका   department है ओर फि़लहाल  मैं  उसका  HOD बन  के  बैठा था :), just kidding.
उसने   मुझे कई  तरह   समझाने   ओर  stress free करने  की   कोशिश   की  पर   पता   नही  मुझे  क्या   हुआ  था मैं,  तो मानो  कुछ  समझने   के  लिए  तैयार   नही  था ,  पर  तभी   उसने  एक   बात  कही -”जो  अपने काम से  इतने   लोगों   को  help करता है उनकी life में खुशियां  लाता  है अगर वो   ऐसे   रहेगा तो  कैसे  चलेगा  … शायद   भागवान   देखना   चाहते   हैं   कि  आप   जो  बातें   औरों   को  बताते   हैं  वो  खुद   apply करते   हैं  कि  नही !!” 
ये!!!”   बात  मुझे  छू   गई अब अपना   mood सही   करने  के  लिए  मैं और भी conscious हो गया और  अपनी   ही  लिखि   चीज़ों   के  बारे   में  सोचने   लगा , उसके   अलावा   मैंने   कुछ  ओर  तरीके  भी  अपनाये  ताकि   जल्दी   से  stress free हो सकूं   , ओर  आज   इस  post में  मैं  आपके   साथ  ऐसे ही   कुछ  तरीके  share कर  रह  हूँ  जिनसे   मुझे  फायदा   हुआ :
1) अपने टेंशन का कारण किसी करीबी से share करें :
किसी ऐसे से जो आपके साथ empathize कर सके , मैंने अपना concern अपनी wife से share किया, या ये कहें कि  वो खुद ही ये समझ गयीं , आप भी अपने life partner , parents या किसी friend से अपनी बात कह सकते हैं . बस इतना ध्यान रखिये की वह व्यक्ति tried and tested हो , जिसपर आप आँख मूँद कर भरोसा कर सकते हों . जब आप ऐसा करेंगे तो आपका मन हल्का होगा और चूँकि सामने वाला आपके लिए उतना ही concerned है तो वो भी आपको tension relieve करने में कुछ help कर सकता है , और आप psychologically better feel करेंगे की अब आप अकेले नहीं है , कोई है जो आपकी problem को समझता है .
2)      ऐसे   लोगों  से  बात  करें जिससे बात  करने  में  खुशी   मिलती   हो … मजा आता  हो:
 हमारी  life में  कई  लोग   होते   हैं  जिनसे  हमारे   बहुत अच्छे  रिश्ते   होते  हैं  ओर  हम   उन्हें   बहुत  मानते   हैं . लेकिन   मैं  जिन   लोगो   से  बात  करने  की  बात  कर  रह  हूँ  वो  भले   आपके  favourite list मे   आते   हों   या   नही  पर  आपको   उनसे   बात  करने  मे  मजा आता  हो , जिनके   साथ  आप  खिलखिला   कर  हँस   सकते   हों . Luckily मेरे  पास  ऐसे  कई  friends हैं… मैंने झट  से  ऐसे ही दो  दोस्तों  को  phone लगाया   ओर  खूब   जम   के  हँसा  . मैंने उनसे अपनी problem नही discuss की बस इधर उधर की हँसी  मजाक की बातें की , friends ज़ब  आप  हँसते   हैं  तो  आपकी   body stress hormones को  reduce कर  देती   है  जिससे  tension कम   हो  जाती   है .
3)      खुश   रहने   के  बारे  में  पढ़ें :
 आप  internet पे   search कर  के  ऐसे  कई  articles पढ़   सकते  हैं  जो  आपको  खुश  रहने  के  बारे  अच्छी   जानकारी   दे  सकते  हैं . मैंने   Psychology Today पर  कुछ  articles पढ़े   जो  काफ़ी   helpful थे  . इसके   अलावा  आप  spiritual articles , quotes भी  पढ़  कर  अपनी  tension कम  कर  सकते  हैं . ओर   अगर  internet easily accessible नही  है  तो  आप   ऐसी  कुछ  magazines पढ़  सकते  हैं , या  internet से  print लेकर  अपने  पास  रख   सकते  हैं.
 दरअसल, पढ़ना   हमारी   thoughts को  change करता  है ओर…  सारा   खेल   इन्हीं   thoughts का  ही  तो  है !!
4)      ये  समझें   की  आप  जितना   tense होंगे   आपकी  life में  उतनी ही  कठिनाइयाँ  आयेंगी:
 जैसा  की  मैं  पहले  भी  बता   चुका   हूँ  Law of Attraction हर   जगह   काम करता   है इसलिए  हम   जितना  अधिक   दुखी   रहते   हैं  , दुख   के  बारे   मे  सोचते   हैं  उतना   अधिक  ये  हमारी   reality मे  दिखाई   देता   है . मुझे  ये  अच्छे   से  पता  था , मैं  life में  ओर  tension नही  चाहता   था इसलिए…  मैं  intentionally अपनी  thoughts को  opposite direction मे  ले जाने  की कोशिश कर रहा  था  ओर  जल्द   ही  इसका   फायदा   भी  मुझे  मिल   गाय  .
5)      भगवान  से  अकेले   मे  बात  करें:
 अगर  आप  atheist हैं  तो  बात  अलग   है , पर  अगर  आप  भगवान  को  मानते  हैं  तो  उनसे  अकेले  में  बात  करें . आप  किसी  शान्त   जगह  चले   जाएँ  ओर…  भागवान  ने   आपको  जो  कुछ  दिया   है  उसके  लिए  thanks करें . आप  इस  बात  को  समझें  कि  दुनिया   मे करोड़ो    लोग  हैं  जो  आपसे   कहीं   बदतर  स्थिति   मे  हैं  पर ईश्वर  की  कृपा   से आपकी   स्थिति    उनसे  बहुत अच्छी   है ओर…  उससे   भी  बड़ी   बात  कि  भागवान  ने  आपको  वो  सब  कुछ  दिया  है  जिससे  आप  अपनी  life ओर  भी अच्छी   बना   सकते  हैं .
साईं बाबा का कहना  भी है- “अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथ बढ़ा कर उसे सहारा देता हूँ.”
Friends, मैंने  ये पाँच  points practically use किए   हैं और मुझे फायदा हुआ पर  मुझे नहीं पता आपके लिए ये कैसे काम करेंगे  इसलिए आप experts द्वारा recommended और भी चीजें try करते हैं , जैसे कि - एक अच्छी नींद लेना, Meditate करना, गहरी साँसे लेना , अपने पसंद का music सुनना, योग करना , etc.
अगर आप ध्यान दें तो अक्सर हमारी life  में जो tension आती है उसकी शुरुआत छोटी होती है , लेकिन हम खुद ही उसे अपनी negative thoughts से  feed करते जाते हैं और धीरे-धीरे वो बड़ा रूप लेने लगती है .
हमें इस बात को accept करना होगा की हमारी टेंशन का मुख्य कारण external नहीं internal होता  है , और उसे control करना सिर्फ और सिर्फ हमारे हाथ में है, और यकीन जानिये हम अपने थोड़े से effort से बहुत हद्द तक तनाव मुक्त हो सकते हैं . और ऐसा करने के लिए सबसे पहला स्टेप यही है कि  हम  तनाव को पालने की बजाये उसे टालने का प्रयास करें। मैंने कुछ महीनो पहले AKC पर एक story post की थी , ग्लास को नीचे रख दीजिये  , इस  कहानी की भी यही सीख है- ”  Life की problems ऐसी  होती हैं कि  आप  इन्हें कुछ देर तक अपने दिमाग में रखिये और लगेगा की सब कुछ ठीक है.उनके बारे में ज्यदा देर सोचिये और आपको पीड़ा होने लगेगी.और इन्हें और भी देर तक अपने दिमाग में रखिये और ये आपको paralyze करने लगेंगी. और आप कुछ नहीं कर पायेंगे. “
So, let’s make an effort to be stress free….and spread happiness.
Thanks. :)
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कैसे बढाएं अपनी dream life की तरफ अपने कदम ?


दोस्तों अगर मै अपने आस पास देखता हूँ तो मुझे एक्का-दुक्का लोग ही ऐसे दिखते हैं जो अपनी dream life  या ideal life जी रहे हैं. मेरे लिए ये कोई tension की बात नहीं है,पर  जो बात मुझे चिंतित करती है वो ये है कि बहुत कम लोग ही अपनी ideal life के बारे में सोचते हैं , और उससे भी कम उसे पाने का प्रयास करते हैं.

Ideal life से मेरा मतलब है एक ऐसी ज़िन्दगी जो आपके लिहाज़ से सबसे अच्छी हो,आपकी मनचाही हो,जिसे आप सच-मुच enjoy करें.

क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी ideal life कैसी होनी चाहिए ? नहीं, तो अभी से सोचना शुरू कर दीजिए. जिंदगी इतनी लम्बी नहीं है कि आप इस ज़रूरी काम को टाल सकें. और  दूसरी  बात  कि  ये  कोई  ऐसी  चीज  भी  नहीं  है  कि  इसे आज  सोचा  और  कल  पूरी  हो  गयी , इसमें  सालों  लग  सकते  हैं  या  एक  दशक  भी !!! पर  जब  भी  आप  इस  life को  पा  लेंगे  आप  दुनिया  के  सबसे  खुशहाल  लोगों  में  होंगे . इसलिए  आपको  इस  ओर कदम  बढ़ाना  ही  होगा .

अगर मैं अपनी बात करूँ तो फिलहाल मैं भी अपनी ideal life से दूर हूँ, पर इतना ज़रूर है कि मैं ये जानता हूँ कि मेरी ideal life कैसी होगी और मैं तेजी से उसकी तरफ बढ़ रहा हूँ. और शायद अगले दो – तीन सालों में वो reality होगी.

मेरे विचार से यदि आपको जानना है कि आपका आदर्श जीवन कैसा होगा तो आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर अपने अंदर ढूँढने होंगे: 

  •  आप अपनी ज़िंदगी कहाँ बीताना चाहते हैं?
  • क्या करते हुए बीताना चाहते हैं ?
  • किन लोगों के साथ बीताना चाहते हैं ?
और ये ध्यान रखना होगा कि इन प्रश्नों के उत्तर आपके अंदर की आवाज़ हैं ना  की society को impress करने के लिए कही गयी बातें.
For example: यदि आप एक सादा जीवन जीने में यकीन करते हैं तो आपके आदर्श जीवन में लम्बी लम्बी गाड़ियों और बड़े बड़े बंगलों की महत्ता नहीं है, पर सिर्फ इसलिए कि society इन्ही चीजों से impress होती है, आप इसे अपनी ideal life में include करें ये सही नहीं होगा. आपको सिर्फ खुद को impress करना है और किसी को नहीं.
आपको इन प्रश्नों के उत्तर विस्तार से सोचने होंगे. और यदि आप इस सोच को हकीकत बनते देखना चाहते हैं तो आपको इनमे डूबना होगा. आप चाहें तो इनसे सम्बंधित कोई sketch या  painting भी बना सकते हैं. या अपने दिमाग में एक छोटी सी movie बना सकते हैं ,जिसे आप बार बार अपने  mind में  play कर के देख सकते हैं. मैं अपनी ideal life के बारे में अक्सर अपनी diary में लिखता हूँ. और लगभग हर रोज उस बारे में सोचता हूँ. ऐसा करते वक्त मेरे आँखों के सामने कुछ दृश्य गुजरते हैं , जो मुझे खुशी का एहसास कराते हैं.
जहाँ तक ज़िन्दगी कहाँ और किन लोगों के साथ बीताने का प्रश्न है इनके उत्तर तो आप आसानी से सोच सकते हैं पर Ideal life  के बारे में plan करते हुए जो सबसे बड़ा challenge आपके  सामने  आ  सकता  है  वो  है  रोज़ी  रोटी  का  सवाल . शायद  आपका  काम आपको वहां  नहीं  जाने  देता  जहाँ  आप  रहना  चाहते  हैं ? इसीलिए  एक  ideal life के  बारे  में  सोचने  में  सबसे  ज़रूरी  है  कि  आप  अपने  काम  के  बारे  में  गंभीरता  से  सोचें .
यहाँ मैं काम से सम्बंधित दो rules आपके साथ share करना  चाहता  हूँ, जो आपके लिए helpful हो सकते हैं  :
10,000 Hour Rule:
 जाने  माने  author Malcolm Gladwell , कि  theory के  मुताबिक  आप  जो  कुछ  भी  करते  हैं  उसमे  महारथ  हासिल  करने  के  लिए  आपको  कम  से  कम  उस  काम  को  10,000 घंटे  करना होता है तभी  आप  उसमे  expert बन सकते हैं. इसका मतलब है  कि  यदि आप  रोज़  5 घंटे  किसी  काम  को  करेंगे तो  भी  Expert बनने  में  आपको 5-6 साल लग जायेंगे . इसलिए  patience रखिये , इसमें  time लगेगा.
Expert क्यों बनें ?
ताकि  आप  अपनी  terms and conditions पे  काम  कर  सकें . आप  चाहे  जिस field में  हैं  उसमे  best बनिए . यदि  आप  कोई  subject पढ़ाते  हैं  तो  उसमे  इतना  रम  जाइए  कि  आपकी  जैसी  जानकारी   वाला दूसरा कोई  दूर  दूर  तक  ना  हो . यदि  आप accounts का काम  करते  हैं  तो उसमे महारथ हासिल कर लीजिये ताकि लोग आपको एक consultant के रूप में देखें. Experts की respect होती है , उनका  नाम  होता  है  और  उन्हे  कभी  काम  की  कमी  नहीं  रहती …..चाहे  वो  जहाँ  रहे.
इसका  एक  example आप  अपने  High School- Inter days में  देख  सकते  हैं , ऐसे  कई  teachers होते  हैं  जो  किसी  school में  नहीं  पढ़ाते  पर  उनके  यहाँ  tuition पढने  वालों  की  line लगी  रहती  है …क्योंकि वो  अपने  subject में  expert होते  हैं . और  वो  ये  रुतबा  अपने  हज़ारों  घंटो  की  मेहनत  के  बाद  ही  हासिल  कर  पाते  हैं.
यदि आप currently जो काम करते हैं वो आपके मन का नहीं है तो आप रोज़ अपने मन के काम के लिए कुछ समय निकालिए और धीरे धीरे उसमे expert बनने का प्रयास कीजिये, George Burns की ये बात याद रखिये ,”जिस चीज  को आप चाहते हैं उसमे असफल होना जिस चीज को आप नहीं चाहते उसमे सफल होने से बेहतर है.” इसलिए लगे रहिये देर से ही सही एक दिन आप ज़रूर सफल होंगे. और जब  आप एक  expert बन  जायेंगे  तो  शायद  आप  अपने  dream place या  उसके  आस -पास  जा  कर  भी  अपना  काम  कर सकें . Globalization के  इस  दौर  में ऐसा  पहले  से  कहीं  अधिक  संभव  है . और  Internet के  माध्यम  से  भी  बहुत  से  लोग  अपने मन  का  काम  घर  बैठे  कर पा रहे  हैं .
Be Number 1 or 2 in your work
General Electric को  नयी  ऊँचाइयों  तक  पहुचाने  वाले CEO JACK WELCH की  एक  philosophy थी  कि  आपकी  company जिस  business में  भी  है  उसमे  या  तो  number 1 हो  या  number 2.
इसी  philosophy को  थोडा  mould कर  के  हम  अपनी  life में  भी  use कर  सकते  हैं . आप  जो  भी  काम  करते  हैं  उस  काम  में अपने  area में  number 1 या  number 2 बनिए . Area कैसे  define करना  है  ये  आपके  ऊपर  है  यदि  आप  किसी  छोटे  शहर  में  हैं  तो  पूरा  का  पूरा  शहर  ही  आपका  area हो  सकता है , और यदि आप  Delhi जैसी  बड़ी  जगह  पर  हैं  तो  आप  उसके  किसी इलाके में  #1 या  #2 बनने  का  लक्ष्य  निर्धारित  कर  सकते  हैं .
दोस्तों  आज  आप चाहे जिस  condition में  हों  , चाहे  जो  भी  आपकी  age हो , आप  अपनी  ideal life के  बारे  में  सोच  सकते  हैं  और  उस  तरफ  बढ़ने  के  प्रयास  में  जुट  सकते  हैं . और  यदि  आप  twenty something हैं  तो  फिर  तो  आप  बहुत  ही  अच्छी position में  हैं , अगर  आप  आज  से  ही effort करें  तो  probably 30 तक  पहुँचते  -पहुँचते  आप  अपने  मन  की  ज़िन्दगी  जी  रहे  होंगे . और  यदि  आप  की  age अधिक  भी  हो  तो  भी  ज़िन्दगी  भर  एक  second class life जीने  से  अच्छा  होगा  की  आप  जितनी  जल्दी  हो  सके  अपनी ideal life को reality बना पाएं.
All the best. :)
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डरो मत ! स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग


स्वामी  विवेकानंद  बचपन  से  ही  निडर  थे , जब  वह  लगभग  8 साल  के  थे  तभी  से  अपने  एक  मित्र  के  यहाँ  खेलने  जाया  करते  थे , उस  मित्र  के  घर  में  एक  चम्पक  पेड़  लगा  हुआ  था . वह  स्वामी  जी  का  पसंदीदा  पेड़  था  और  उन्हें  उसपर  लटक कर  खेलना  बहुत  प्रिय  था .




रोज  की  तरह  एक  दिन  वह  उसी  पेड़  को  पकड़  कर  झूल  रहे  थे  की  तभी   मित्र  के  दादा  जी  उनके  पास  पहुंचे , उन्हें  डर था  कि  कहीं  स्वामी  जी  उसपर  से  गिर  न  जाए  या  कहीं  पेड़  की  डाल  ही  ना  टूट  जाए  , इसलिए  उन्होंने  स्वामी  जी  को  समझाते  हुआ  कहा , “ नरेन्द्र   ( स्वामी  जी  का  नाम ) , तुम  इस  पेड़  से  दूर  रहो  , अब  दुबारा  इसपर  मत  चढना ”

“क्यों  ?” , नरेन्द्र  ने  पूछा .

“ क्योंकि  इस  पेड़  पर  एक  ब्रह्म्दैत्य  रहता  है  , वो रात  में  सफ़ेद  कपडे  पहने  घूमता  है , और   देखने  में  बड़ा  ही  भयानक  है .” उत्तर  आया .
नरेन्द्र  को  ये  सब  सुनकर  थोडा  अचरज  हुआ  , उसने दादा जी  से  दैत्य  के  बारे  में  और  भी  कुछ  बताने  का  आग्रह  किया  .
दादा जी  बोले ,”  वह  पेड़  पर  चढ़ने  वाले  लोगों  की  गर्दन  तोड़  देता  है .”
नरेन्द्र  ने  ये  सब  ध्यान  से  सुना  और  बिना  कुछ  कहे  आगे  बढ़  गया . दादा  जी  भी  मुस्कुराते  हुए  आगे  बढ़  गए , उन्हें  लगा  कि  बच्चा  डर  गया  है . पर  जैसे  ही  वे  कुछ  आगे  बढे  नरेन्द्र  पुनः  पेड़  पर  चढ़  गया  और  डाल  पर  झूलने  लगा .
यह  देख  मित्र  जोर  से  चीखा , “ अरे  तुमने  दादा  जी  की  बात  नहीं  सुनी , वो  दैत्य  तुम्हारी  गर्दन  तोड़  देगा .”
बालक नरेन्द्र  जोर  से  हंसा  और  बोला   , “मित्र डरो मत ! तुम  भी  कितने  भोले  हो  ! सिर्फ  इसलिए  कि  किसी  ने  तुमसे  कुछ  कहा  है  उसपर  यकीन  मत  करो ; खुद  ही  सोचो  अगर  दादा  जी  की  बात  सच  होती  तो  मेरी  गर्दन  कब  की  टूट चुकी  होती .”
सचमुच  स्वामी विवेकानंद  बचपन  से  ही  निडर  और  तीक्ष्ण  बुद्धि  के  स्वामी  थे .
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निराशा से निकलने और खुद को motivate करने के 16 तरीके





If you want you can come out of demotivation

दोस्तों कई बार ऐसा होता है कि हम भले ही बड़े motivation के साथ कोई काम शुरू करें पर किन्ही कारणों से कुछ समय बाद हम अपना motivation lose कर देते हैं, और वापस track पर आना मुश्किल लगने लगता है. आज .Com पर मैं आपके साथ ऐसी ही state से बाहर निकलने के 16 तरीके share कर रहा हूँ. ये पोस्ट  Leo Babauta ने अपने बेहद popular ब्लॉग Zen Habits पर लिखी है , इसका  title “Get Off Your Butt: 16 Ways to Get Motivated When You’re in a Slump” है और मैं यहाँ इसी पोस्ट का Hindi translation आपके साथ share कर रहा हूँ.


 निराशा से निकलने और खुद को motivate करने के 16 तरीके 



 हममें से सबसे अधिक motivated लोग भी- आप,मैं, Tony Robbins (a self-help expert like Shiv Khera) – कभी -कभार demotivated feel कर सकते हैं. यहाँ तक की , कभी-कभी हम इतना low feel कर सकते हैं  कि positive बदलाव के बारे में सोचना भी बहुत कठिन लगने लगता है.

पर ये निराशाजनक नहीं है: छोटे छोटे steps लेकर आप सकारात्मक बदलाव के रास्ते पर वापस आ सकते हैं.

हाँ , मैं जानता हूँ, कभी कभी ये असंभव लगता है. आपको कुछ करने का मन नहीं करता. मेरे साथ भी ये हुआ है,दरअसल अभी भी समय समय पर मैं ऐसा feel करता हूँ. आप अकेले नहीं हैं . लेकिन मैंने इस निराशा से बाहर निकलने के कुछ तरीके सीख लिए हैं, और हम आज उन्ही पर नज़र डालेंगे. 

जब बीमारी , चोट या life में चल रही किसी और समस्या के कारण में व्यायाम नहीं कर पाता तो उसे वापस से शुरू करना कठिन होता है. कई बार, मैं उसके बारे में सोचना भी नहीं चाहता . लेकिन मैं हमेशा उस  feeling से उबरने का कोई ना कोई रास्ता निकाल लेता हूँ, और यहाँ ऐसी ही कुछ बाते हैं जो मेरे लिए मददगार साबित होती हैं.
 1. One Goal  एक लक्ष्य
जब भी मैं  थोडा down हुआ हूँ , मैंने पाया है कि अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेरी life में एक साथ बहुत कुछ चल रहा होता है. मैं बहुत कुछ करने की कोशिश कर रहा होता हूँ. और ये मेरी energy और motivation को ख़तम कर देता है. शायद ये सबसे common mistake है जो लोग करते हैं: वो एक साथ बहुत कुछ करने की कोशिश करते हैं. यदि एक समय में दो या उससे अधिक लक्ष्य achieve करने का प्रयास करते हैं तो आप अपनी  ( लक्ष्य पाने के लिए दो सबसे महत्त्वपूर्ण चीजें ) energy और focus बनाये नहीं रख पाते.  ये संभव नहीं है – मैंने कई बार कोशिश की है. आपको अभी के लिए कोई एक लक्ष्य चुनना होगा, और पूरी तरह से उसपर focus करना होगा. मुझे पाता है ये कठिन है, पर मैं अपने experience से बता रहा हूँ. एक बार आप अपना अभी का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर लें फिर उसके बाद आप अपने बाकी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं.
2. Find Inspiration प्रेरणा खोजिये
मुझे उन लोगों से प्रेरणा मिलती है जिन लोगों already वो achieve कर लिया है जो मैं करना चाहता हूँ, या वो लोग जो वही कर रहे हैं जो मैं करना चाहता हूँ. मैं औरों के blogs, books,magazines पढता हूँ. मैं अपने goals को Google करता हूँ , और success stories पढता हूँ.  Zen Habits ऐसी ही जगहों में से एक है, सिर्फ मुझसे ही नहीं बल्कि अन्य कई readers से जिन्होंने अद्भुत चीजें प्राप्त की हैं.
3. Get Excited उत्साहित होइए
ये सुनने में बहुत obvious सी बात लगती है, पर ज्यादातर लोग इस बारे में अधिक नहीं  सोचते हैं: अगर आप निराशा से निकलना चाहते हैं, तो किसी लक्ष्य के लिए उत्साहित हो जाइये. पर अगर आप motivated नहीं feel करते हैं तो आप excited कैसे feel करेंगे? Well, इसकी शुरुआत दूसरों से प्रेरणा लेकर होती है, लेकिन आपको दूसरों से उत्साह लेकर उसे अपनी उर्जा में बदलना होगा.मैंने पाया है कि  मैं अपनी wife और अन्य लोगों से बात करके, इस बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़कर, और इसे  visualize (दिमाग  में  goal achieve करने से होने वाले फायदे को देखना ) करके कि  successful होना कैसा लगेगा, excited feel करने लगता हूँ. एक बार ये कर लिया तो बस इसी energy को आगे carry करने और आगे बढ़ने की ज़रुरत रहती है.
4.Build Anticipation अपेक्षा करें
ये सुनने में कुछ कठिन लग सकता है, और अकी लोग इस tip को skip कर देंगे. लेकिन ये सचमुच काम करती है. कई बार असफल प्रयासों के बाद इसी टिप की वजह से मैं cigarette पीना छोड़ पाया.अगर आपको अपना goal achieve करने की प्रेरणा मिल जाती है तो  तुरंत उसे प्राप्त करने का प्रयास ना करें. हममें से कई लोग excited होके आज ही अपना काम शुरू करना चाहेंगे. ये एक गलती है. Future की कोई date set कीजिये – एक या दो हफ्ते बाद , या एक महीना भी  – और उसे अपनी Start Date बनाइये. उसे कैलेण्डर पर mark कर लीजिये. उस date को लेकर उत्साहित होइए. उसे अपने जीवन की  सबसे important date बना लीजिये. इस बीच अपना प्लान बनाइये. और नीचे दिए गए कुछ steps follow कीजिये. क्योंकि अपनी start delay करके आप anticipation build करते हैं और अपने लक्ष्य के प्रति अपनी उर्जा और ध्यान बढाते हैं.
5. Post your goal  अपना लक्ष्य प्रकाशित करें
अपने goal का एक बड़ा सा print निकाल लें. अपना लक्ष्य कुछ ही शब्दों में लिखें , जैसे कोई मन्त्र  (“Exercise 15 mins. Daily”), और उसे अपने दीवार या फ्रिज पर चिपका दें. इसे अपने घर में अपने office में लगा लें उसे अपने computer के desktop पर लगा लें. आप अपने goals के लिए बड़े reminders लगाना चाहते हैं , ताकि  आप अपने goal पर focus कर पाएं और उसे लेकर excited रह पाएं. अपने goal से सम्बंधित कोई picture लगाना भी  helpful हो सकता है  (like a model with sexy abs, for example).
6.Commit Publicly सार्वजनिक रूप से प्रतिज्ञा लीजिये 
कोई भी दूसरों के सामने बुरा नहीं दिखना चाहता है . जो बात हमने publicly कही है उसे करने के लिए हम extra effort करते हैं. For example, जब मैं अपनी पहली मैराथन दौड़ दौड़ना चाहता था , तब मैंने अपने  local newspaper में इस बारे में एक column लिखना शुरू कर दिया. Guam की पूरी आबादी मेरे इस goal के बारे में जान गयी. अब मैं पीछे नहीं हट सकता था , हालांकि मेरी motivation कम -ज्यादा होती रही पर मैं इस goal को पकडे रहा और दौड़ complete की.आपको किसी newspaper में अपना goal commit करने की ज़रुरत नहीं है , पर आप इसे अपने family,friends, और co-workers से बता सकते हैं, और यदि आपका कोई blog है तो उसपर भी इस बारे में लिख सकते हैं.और खुद को जिम्मेदार ठेराइये – केवल एक बार commit मत करिए , बल्कि अपने progress के बारे में सभी को हर हफ्ते या महीने update करने के लिए भी commit करिए.
7. Think about it daily इस बारे में रोज़ सोचिये
यदि आप रोज़ अपने लक्ष्य के बारे में सोचते हैं तो उसके पूर्ण होने की संभावना कहीं अधिक है. इसीलिए अपने लक्ष्य को दीवार पर या desktop पर लगाना मददगार होता है . हर रोज़ खुद को reminder भेजना भी helpful होता है. और अगर आप रोज बस पांच मिनट भी ये छोटा सा काम करेंगे तो ये लगभग तय है की आपका लक्ष्य पूर्ण होगा.
8. Get Support.  मदद लीजिये
अकेले कुछ हांसिल करना कठिन होता है. जब मैंने मैराथन में दौड़ने का निश्चय किया था , तो मेरे साथ दोस्तों और परिवार का support था, और साथ ही Guam में दौड़ने वालों की एक अच्छी community भी थी  जो मेरे साथ दौड़ते थे और मुझे encourage करते थे. जब मैंने smoking quit करनी चाही तो मैंने एक online forum join कर लिया , जो मेरे लिए बहुत helpful रहा. और इस काम में मेरी wife Eva  ने हर कदम पर मेरा साथ दिया. मैं उसकी और अन्य लोगों की मदद के बिना ऐसा नहीं कर पाता. अपना support network खोजिये , अपने आस-पास  या online या दोनों जगह.
9. Realize that there’s an ebb and flow इस बात को समझिये की उतार-चढ़ाव आते रहते हैं
Motivation कोई ऐसी चीज नहीं है जो हमेशा आपके साथ रहे. ये आती है , जाती है और फिर आती है, ज्वार की तरह . इस बात को समझिये की भले ही ये चली जाए , पर वो हमेशा के लिए नहीं चली जाती . Motivation वापस आती है.  बस अपने लक्ष्य से जुड़े रहिये और motivation के वापस आने का इंतज़ार कीजिय. इस दौरान अपने लक्ष्य के बारे में पढ़िए , दूसरों से मदद मांगिये , और यहाँ बताई अन्य  कुछ चीजें कीजिये जब तक की आप का motivation वापस ना आ जाये.
10. Stick with it. लगे रहिये
आप चाहे जो कुछ भी करिए , पर हार नहीं मानिए. भले आप आज या इस हफ्ते बिलकुल  ही motivated ना feel कर रहे हों , पर अपना लक्ष्य छोड़िये नहीं. आपकी motivation फिर वापस आएगी . अपने लक्ष्य को एक लम्बी यात्रा की तरह देखिये , और बीच में जो demotivation  आता है वो महज़ एक speed-breaker है. छोटी मोती बाधाएं आने पर  आप यात्रा नहीं छोड़ते. लम्बे समय तक अपने लक्ष्य के साथ जुड़े रहिये , उतार-चढ़ाव पार कीजिये और आप वहां पहुँच जायेंगे.
11.Start small. Really small छोटे, बहुत छोटे से शुरुआत कीजिये
अगर आपको शुरुआत करने में दिक्कत  हो  रही है तो शायद इसकी वजह ये है की आप बहुत बड़ा सोच रहे हैं. यदि आप व्यायाम करना चाहता हैं, तो शायद आप सोच रहे हों की हफ्ते में पांच दिन intensely workout करना है. नहीं – इसकी जगह छोटे-छोटे baby steps लीजिये. सिर्फ दो मिनट व्यायाम कीजिये. मुझे पता है ये आपको अटपटा लग रहा होगा. ये इतना आसान है, आप fail नहीं हो सकते. पर आप इसे करिए . बस कुछ crunches, 2 pushups, और वहीँ थोड़ी सी jogging. जब आपने एक हफ्ते तक ये २ मिनट तक कर लेंगे , तो इसे बढाकर पांच मिनट कर दीजिये , और एक हफ्ते तक इसे कीजिये. एक महीने में आप 15-20 मिनट करने लगेंगे. सुबह जल्दी उठाना चाहते हैं ? सुबह पांच बजे उठने का मत सोचिये, इसकी जगह आप एक हफ्ते तक बस 10 मिनट पहले उठिए . एक बार आपने ये कर लिया , तो 10 मिनट और जल्दी उठिए. Baby Steps.
12.Build on small successes छोटी छोटी उपलब्धियों के साथ आगे बढिए
एक बार फिर , अगर आप एक हफ्ते तक छोटे लक्ष्य के साथ शुरू करेंगे तो आप सफल होंगे. अगर किसी बेहद आसान चीज से शुरुआत करेंगे तो आप fail नहीं हो सकते. भला कौन दो मिनट तक exercise नहीं कर सकता? ( यदि आप वो हैं, तो मैं माफ़ी मांगता हूँ) और आप successful feel करेंगे , आपको अन्दर से अच्छा लगेगा. इसी feeling के साथ और छोटे-छोटे steps लेते  जाइये . For example : अपनी exercise routine में दो-तीन मिनट add करिए. हर एक step के साथ (और हर स्टेप कम से कम एक हफ्ते चलना चाहिए), और आप और भी successful feel करेंगे. हर एक स्टेप बहुत बहुत छोटा रखिये और आप fail नहीं होंगे. दो महीने बाद , आपके छोटे छोटे कदम आपको बहुत सारी progress और success दिलाएंगे
13.Read about it daily. रोज़ इसके बारे में पढ़ें
जब मैं अपना motivation lose करता हूँ , मैं अपने लक्ष्य से सम्बंधित कोई किताब या ब्लॉग पढता हूँ. ये मुझे प्रेरित करता है और मुझे दृढ बनता है. किसी वजह से आप जो कुछ भी पढ़ते हैं वो आपको उस विषय में प्रेरित करता है और आपका ध्यान केन्द्रित करने में मदद करता है. इसलिए अगर आप पढ़ सकते हैं तो रोज़ अपने लक्ष्य के बारे में पढ़िए , खासतौर से तब जब आप motivated ना feel कर रहे हों.
14.Call for help when your motivation ebbs  जब प्रेरणा कम हो तब मदद मांगिये
समस्या है? मदद मांगिये. मुझे email करिए. कोई online forum join करिए. अपने लिए कोई partner खोजिये. अपनी माँ को call कीजिये. इससे मतलब नहीं है की सामने वाला कौन है , बस अपनी समस्या बताइए , इस बारे में बात करना आपके लिए helpful होगा. उनकी advice मांगिये . उनसे आपको demotivated state से निकालने के लिए मदद करने के लिए कहिये. ये काम करता है.
15.Think about the benefits, not the difficulties. फायदों के बारे में सोचिये परेशानियों के बारे में नहीं
एक common problem है कि हम ये सोचते हैं कि कोई चीज कितनी कठिन है . Exercise करना बहुत कठिन लगता है ! इसके बारे में सोचना ही आपको थका देता है.पर ये सोचना कि बजाये की कोई चीज कितनी कठिन है , ये सोचिये की उसके कितने फायदे हैं.   For Example, ये सोचने की  जगह कि  व्यायाम करना कितना कठिन है;आप ये सोचिये की ये करने के बाद आप कितना अच्छा feel करेंगे, और long run में आप कितने healthier और slimmer होंगे. किसी चीज के फायदे आपको energize कर देंगे.
16.Squash negative thoughts; replace them with positive ones. नकारात्मक विचारों को त्यागिये और उन्हें सकारात्मक विचारों से बदल दीजिये
अपने विचारों को monitor करना ज़रूरी है. आप जो negative self-talk करते हैं, जो दरअसल आपको demotivate कर रहा है  उसे पहचानिए. कुछ दिन बस ये जानने में बिताइए कि आपके अन्दर कौन कौन से नकारात्मक विचार हैं, और फिर कुछ दिनों  बाद उन्हें एक bug की तरह अपने अन्दर से निकालिए , और फिर उन्हें corresponding positive thought से replace कर दीजिये . अगर आप सोचते हैं कि ,” ये बहुत कठिन है” तो उसे ” मैं ये कर सकता हूँ” से बदल दीजिये . अगर वो Leo इसे कर सकता है , तो मैं भी! ये कुछ अटपटा सुने देता है , पर ये काम करता है. सचमुच.
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प्रदीप सिंह तामेर, इलाहाबाद 
rheofalld@gmail.com 

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